Last Updated:August 14, 2025, 20:49 IST
बिहार एसआईआर पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मान्यता नहीं दी है. विपक्ष के नेता भले दावा करें लेकिन सच यही है कि आधार पर जो स्थिति सुनवाई से पहले थी, लगभग वही स्थिति आज भी है.

नीरज/ शंकर आनंद
बिहार में जिन लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कट गया है, क्या वे अब आधार दिखाकर वोटर बन सकते हैं? क्या सुप्रीम कोर्ट ने ‘आधार’ को मान्यता दे दी है? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तो यही दावा कर रहे हैं. लेकिन सच क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग पहचान तय करने के लिए आधार कार्ड को एक स्वीकार्य दस्तावेज के रूप में स्वीकार करेगा लेकिन क्या वह उन 11 दस्तावेजों से अलग होगा? हम आपको इन सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं.
बिहार स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि चुनाव आयोग को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम बताने होंगे. इतना ही नहीं, ये भी बताना होगा कि इन लोगों को क्यों हटाया गया? यह पूरी लिस्ट जिला लेवल पर आयोग की वेबसाइट पर मंगलवार तक जारी की जाएगी. बूथ लेवल के अधिकारी भी हटाए गए मतदाताओं की सूची जारी करेंगे. इसका व्यापक प्रचार-प्रसार टीवी-रेडियो और अखबारों में किया जाएगा. लेकिन इस फैसले के साथ कोर्ट ने जो सबसे अहम बात कही वो ये कि जिन लोगों का नाम हटाया गया है, वे अपने नाम शामिल करने के लिए अपने क्लेम आधार कार्ड के साथ पेश कर सकते हैं. कंफ्यूजन यहीं पर है.
#WATCH | पटना: राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “SIR को लेकर हम सभी विपक्षी दलों ने संसद से लेकर विधानसभा, सड़क तक या किसी भी मंच पर लड़ाई लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज सुप्रीम कोर्ट में बहस के बाद जो अंतरिम फैसला आया है, हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र की जीत हुई है। SIR की… pic.twitter.com/BlwuhiB6md
खरगे तेजस्वी का क्या दावा
इसी लाइन को आधार मानकर खरगे और तेजस्वी कह रहे कि SIR की प्रक्रिया को लेकर हमारी जो मांगें रही हैं, आज सुप्रीम कोर्ट ने हमारी उन मांगों पर मुहर लगाई है. हम शुरूआत से ही SIR का विरोध नहीं कर रहे थे बल्कि उसकी प्रक्रिया और जिस जानकारी को चुनाव आयोग छिपाने का काम कर रहा था, उसे लेकर हमारा विरोध था. आदेश दिया गया है कि आधार कार्ड को मान्य किया जाएगा, दूसरा जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम काटा गया है उनके नाम की सूची को कारण बताते हुए बूथ स्तर पर लगाया जाएगा…तीसरा विज्ञापन जारी करके लोगों को इस बारे में बताया भी जाएगा.
इस नामांकन फार्म को ध्यान से देखिए, इसमें पहले ही आधार नंबर मांग रहा चुनाव आयोग.
अब असली खेल समझिए
सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा कि जिन लोगों का नाम काट दिया गया है वे सभी सिर्फ आधार कार्ड दिखाकर वोटर बन जाएंगे. ये सिर्फ उन कुछ लोगों के लिए है, जिन्हें मृत घोषित बताकर वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है लेकिन वे जिंदा हैं. उन्हें सहूलियत दी गई है कि वे पहचान के रूप में आधार कार्ड को पेश कर सकते हैं. चुनाव आयोग पहले से ही SIR नामांकन फॉर्म में ‘आधार’ नंबर को पहचान के तौर पर मांग रहा है. नीचे SIR नामांकन फॉर्म की तस्वीर में आप इसे देखकर समझ सकते हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि कोई नई बात सुप्रीम कोर्ट ने नहीं कही है.
चुनाव आयोग ने दोहराई अपनी बात
SIR पर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद चुनाव आयोग ने अपनी बात फिर दोहराई है. आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों से सभी विवरण 20 जुलाई से साझा किया जा रहा है. मर चुके मतदाता, दो जगह वाले वोटर्स और स्थाई तौर पर स्थानांतरित वोटर्स की सूची राजनीतिक दलों को 20 जुलाई से दी जा रही है . SIR के नामांकन फॉर्म में आधार नंबर पहचान के तौर पर पहले से मांगा जा रहा है. यह कोई नई बात नहीं.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
August 14, 2025, 20:49 IST