South Korea President: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार को अचनाक देश में मार्शल लॉ लगाने का ऐलान कर दिया. हालांकि उन्हें इस ऐलान कि बाद काफी विरोध का सामना करना पड़ा, ना सिर्फ जनता और विपक्षी पार्टियों की तरफ से बल्कि उनकी खुद की पार्टी के नेता भी नाराज हो गए हैं. मार्शल लॉ के ऐलान के बाद देर रात तक चली संसद की कार्यवाही में वोटिंग हुई और 190 सदस्य ने मार्शल लॉ को हटाए जाने को लेकर वोट किया. जिसके बाद राष्ट्रपति येओल को आपातकाल लगाने का फैसला वापस लेना पड़ा. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर येओल क्यों देश को इस मुश्किल परिस्थिति में झोंकना चाहते थे?
पत्नी के चलते देश से मांगी माफी
यून ने 2022 में बहुत ही कम मार्जन के साथ राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जीता था. येओल अपने देश में बेहद अलोकप्रिय हो चुके हैं. अप्रैल में संसदीय चुनाव हारने के बाद से उनकी स्थिति काफी खराब है. इसके अलावा वो अपनी निजी समस्याओं से परेशान हैं. पिछले महीने उन्होंने अपनी पत्नी से जुड़े विवादों के लिए राष्ट्र के नाम एक टेलीविज़न संबोधन में माफ़ी मांगी थी, जिसमें कथित तौर पर एक लग्जरी डायर हैंडबैग लेने के अलावा स्टॉक में हेरफेर करना शामिल था. साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी की गतिविधियों की जांच की मांग को भी खारिज कर दिया.
कैसे बने थे राष्ट्रपति?
जब यून राष्ट्रपति बने तब वह राजनीति में नए थे. 2016 में बदनाम पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमा चलाने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों बंटोरी थीं. 2022 में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी ली जे-म्यांग को 1% से भी कम वोटों से हराया और राष्ट्रपति बने. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने उत्तर कोरिया पर हमलावर रुख अपनाए रखा. मंगलवार की रात को जब उन्होंने मार्शल लॉ ऐलान तो एक बार फिर उत्तर कोरिया का जिक्र किया था. हालांकि कहा जा रहा है कि उत्तर कोरिया से इतना बड़ा कोई खतरा नहीं था जिसकी वजह से मार्शल लॉ लगा दिया जाए, अगर ऐसा था तो उन्हें विस्तार से इस पर चर्चा करनी चाहिए थे.
गलतियों के मशहूर हैं दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति अपनी गलितायों के लिए काफी मशहूर हैं. 2022 में भी उन्हें पूर्व राष्ट्रपति चुन डू-ह्वान को अच्छा राजनीतिज्ञ कहे जाने की वजह से माफी मांगनी पड़ी थी. चुन डू-ह्वान वही राष्ट्रपति हैं जिन्होंने 1980 में पहली बार दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाया था. इसके अलावा जो बाइडेन से मुलाकात के बाद उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस का अपमान करने के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने कोरियाई भाषा में अमेरिकी सांसदों को 'बेवकूफ' कह दिया था. उनका यह वीडियो भी चर्चा और फजीहत का कारण बना.
'पद छोड़ें या महाभियोग का सामना करें'
दक्षिण कोरिया की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी 300 सीट वाली संसद में बहुमत रखती है. पार्टी ने बुधवार को कहा कि उसके सांसदों ने यून से तत्काल पद छोड़ने को कहा है, अन्यथा वे उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए कदम उठाएंगे. डेमोक्रेटिक पार्टी ने एक बयान में कहा,'राष्ट्रपति यून सुक येओल की मार्शल लॉ का ऐलान संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है. इसे घोषित करने के लिए किसी भी आवश्यक नियम का पालन नहीं किया गया.' बयान में कहा गया,'उनका मार्शल लॉ का ऐलान अमान्य है और संविधान का गंभीर उल्लंघन है.'
महाभियोग के लिए क्या करना होगा?
हालांकि राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने के लिए संसद के दो-तिहाई या 300 में से 200 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. नेशनल असेंबली के अधिकारियों के मुताबिक डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य छोटे विपक्षी दलों के पास कुल 192 सीट हैं, लेकिन जब संसद ने 190-0 वोट से यून के ‘मार्शल लॉ’ के ऐलान को खारिज कर दिया, तो यून की अपनी पार्टी ‘पीपुल्स पावर पार्टी’ के लगभग 10 सांसदों ने भी विपक्ष का समर्थन करते हुए वोटिंग की. अगर यून पर महाभियोग चलाया जाता है तो संवैधानिक न्यायालय की तरफ से फैसला सुनाए जाने तक उनकी संवैधानिक शक्तियां छीन ली जाएंगी. दक्षिण कोरियाई सरकार में दूसरे नंबर के पद पर काबिज प्रधानमंत्री हान डक-सू, राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियां संभालेंगे.