भारत का कूटनीतिक संतुलन, पुतिन गए वापस तो अब जेलेंस्की आएंगे दिल्ली!

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Last Updated:December 08, 2025, 07:27 IST

Zelensky India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बाद अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भारत आ सकते हैं. खबर है कि वह अगले साल जनवरी की शुरुआत में नई दिल्ली पहुंच सकते हैं. जानें जेलेंस्की की इस संभावित भारत यात्रा को लेकर क्या तैयारी चल रही है.

भारत का कूटनीतिक संतुलन, पुतिन गए वापस तो अब जेलेंस्की आएंगे दिल्ली!पीएम मोदी और जेलेंस्की. (File)

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौरे के बाद अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की भारत यात्रा की तैयारियां चल रही हैं. माना जा रहा है कि सबकुछ ठीक रहा तो जेलेंस्की अगले साल की शुरुआत में ही भारत आ सकते हैं. हालांकि इस यात्रा की अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अगर यह दौरा होता है तो यह पुतिन की यात्रा के लगभग एक महीने बाद होगा. इसके जरिये रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की संतुलित कूटनीतिक नीति को और मजबूती मिलेगी. वहीं रूस के खिलाफ जंग खत्म करने के लिए जेलेंस्की की बाह मरोड़ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी यह एक सबक होगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारतीय और यूक्रेनी अधिकारियों के बीच बीते कई हफ्तों से बातचीत चल रही है. यहां तक कि पुतिन के भारत दौरे से पहले ही नई दिल्ली ने जेलेंस्की के कार्यालय से संपर्क साध लिया था. भारत का प्रयास दोनों देशों के साथ संवाद बनाए रखने का है, ताकि शांति की दिशा में उसकी भूमिका प्रभावी बनी रहे.

जेलेंस्की की भारत यात्रा पर यूक्रेनी राजदूत ने क्या कहा था?

गौरतलब है कि जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की यात्रा पर गए थे और मास्को में पुतिन से मुलाकात की थी. इसके ठीक एक महीने बाद अगस्त 2024 में पीएम मोदी यूक्रेन गए और जेलेंस्की से मुलाकात की. भारत-यूक्रेन के बीच 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा थी. उस दौरान जारी संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को ‘व्यापक साझेदारी’ से आगे बढ़ाकर ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक ले जाने में आपसी रुचि भी जताई थी.

यूक्रेन में भारत के राजदूत ओलेकसांडर पोलिशचुक ने अगस्त 2025 में यूक्रेन के नेशनल फ्लैग डे के अवसर पर कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को भारत आने का निमंत्रण दिया है और दोनों पक्ष इस दौरे के लिए उपयुक्त तारीख तय करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने भरोसा जताया था कि जेलेंस्की निश्चित रूप से भारत आएंगे.

किन फैक्टर्स से तय होगी जेलेंस्की की भारत यात्रा?

हालांकि जेलेंस्की के प्रस्तावित दौरे का समय कई कारकों पर निर्भर करेगा. इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना की प्रगति, युद्ध के मैदान की स्थिति और यूक्रेन की आंतरिक राजनीति शामिल है. यूक्रेन में इस समय जेलेंस्की सरकार एक बड़े भ्रष्टाचार कांड को लेकर दबाव में है, जिसका असर इस दौरे पर भी पड़ सकता है. हाल ही में जेलेंस्की के बेहद करीबी और चीफ ऑफ स्टाफ रहे आंद्रिय यरमाक का इस्तीफा भी इसी विवाद से जुड़ा बताया जा रहा है. अब नई दिल्ली यूक्रेन प्रशासन के नए अधिकारियों से संपर्क साधकर आगे की बातचीत बढ़ा रही है.

भारत का रुख रूस-यूक्रेन युद्ध पर शुरू से संतुलित रहा है. भारत लगातार शांति, संवाद और संप्रभुता के सम्मान की बात करता रहा है और किसी एक पक्ष का खुलकर समर्थन करने से बचता रहा है. पुतिन के हालिया भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘भारत न्यूट्रल नहीं है, भारत शांति के पक्ष में है.’ विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी कई बार दोहरा चुके हैं कि हिंसा का रास्ता समाधान नहीं है और कूटनीति ही आगे बढ़ने का एकमात्र उपाय है.

पीएम मोदी और जेलेंस्की के बीच हुई कितनी बार बात-मुलाकात?

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच अब तक कम से कम आठ बार फोन पर बातचीत हो चुकी है और दोनों नेता चार बार आमने-सामने मुलाकात कर चुके हैं. उनकी हालिया बातचीत अगस्त के अंत में हुई थी, जब पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन पहुंचे थे और उसी दौरान पुतिन से भी मिलने वाले थे.

इस बीच रूस के साथ भारत के संबंधों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नजर बनी हुई है. पुतिन की भारत यात्रा के बाद कई यूरोपीय देशों ने भारत से रूस को युद्ध समाप्त करने के लिए मनाने की अपील की थी. वहीं अमेरिका की ओर से रूसी तेल खरीद पर 25 प्रतिशत पेनाल्टी टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत को सितंबर से रूसी कच्चे तेल के आयात में भी कटौती करनी पड़ी है.

दिलचस्प बात यह है कि पुतिन के साथ हालिया बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में यूक्रेन युद्ध का सीधे तौर पर जिक्र तक नहीं किया गया, बल्कि इसे केवल ‘संकट’ के रूप में संबोधित किया गया. यह भाषा 2022 और 2024 में मोदी द्वारा दिए गए बयानों से अलग रही, जब उन्होंने ‘यह युद्ध का युग नहीं है’ और ‘समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकलता’ जैसी बातें कही थीं.

अब अगर जेलेंस्की जनवरी 2026 में भारत आते हैं, तो यह भारत की उस कूटनीतिक रणनीति को और मजबूत करेगा, जिसमें वह रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संवाद बनाए रखते हुए खुद को शांति के पक्षधर और मध्यस्थ की भूमिका में स्थापित करना चाहता है. इसके साथ ही यह दौरा भारत-यूक्रेन संबंधों को भी एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है.

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 08, 2025, 07:23 IST

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