भारत का नाम रौशन किया, आज वही भूखे मर रहे! कैंसर से जूझ रहा, नौकरी भी चली गई

6 days ago

Last Updated:April 04, 2025, 17:42 IST

South Bengal: दक्षिण कोरिया में स्वर्ण पदक जीतने वाले सोमनाथ मालो को ब्लड कैंसर है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उनकी नौकरी भी चली गई. अब उनका परिवार इलाज और रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहा है.

भारत का नाम रौशन किया, आज वही भूखे मर रहे! कैंसर से जूझ रहा, नौकरी भी चली गई

सोमनाथ मालो

साल 2002 में जब सोमनाथ मालो ने दक्षिण कोरिया में ऊंची कूद में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता, तो उनके चेहरे पर गर्व की चमक थी. उन्होंने मंच पर खड़े होकर राष्ट्रगान गाया और भारतीय तिरंगा लहराया. उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि जो खिलाड़ी देश का सिर ऊंचा कर रहा है, उसे कुछ ही समय बाद ऐसी बीमारी का सामना करना पड़ेगा, जो उसकी जिंदगी को पल-पल कमजोर करती जाएगी.

जब जिंदगी ने दिया झटका : ब्लड कैंसर की मार
सोने के तमगे के कुछ वक्त बाद ही सोमनाथ को पता चला कि उन्हें जानलेवा रक्त कैंसर है. महज तीन साल की उम्र में खराब इलाज ने उन्हें विकलांग बना दिया था, लेकिन उस मुश्किल को पार कर वो खेल की दुनिया में चमके. अब कैंसर जैसी बीमारी ने उन्हें फिर से घेर लिया. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. साल 2016 में उन्हें बीरनगर हाई स्कूल, नादिया में ग्रुप-सी क्लर्क की नौकरी मिल गई. परिवार को उम्मीद बंधी कि सब कुछ फिर से बेहतर होगा.

न्याय की चोट : सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उड़ गई नौकरी
पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पश्चिम बंगाल में करीब 26,000 सरकारी नौकरियां रद्द कर दी गईं. इनमें से एक थे सोमनाथ बाबू. स्कूल की सी ग्रुप की छोटी-सी नौकरी ही उनकी जिंदगी की आखिरी उम्मीद थी, लेकिन उसे भी छीन लिया गया. अब उनके सामने सबसे बड़ा सवाल है – परिवार का गुज़ारा कैसे होगा? उनकी पत्नी और बेटी के लिए रोटी का इंतजाम कैसे होगा? और उनकी ब्लड कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज कहां से होगा?

टूटे सपने, भीगी आंखें और सवालों की कतार
सोमनाथ बाबू की पत्नी की आंखें हर दिन भर आती हैं. उन्हें डर है कि अगर इलाज रुक गया तो उनका परिवार कैसे जिंदा रहेगा. आंखों में सपने तो बहुत थे, लेकिन अब जिंदगी आंखों से बहती आंसुओं में सिमटने लगी है. उनके मन में कई सवाल हैं. नादिया के ताहिरपुर नगरपालिका के डी ब्लॉक में रहने वाले सोमनाथ यह भी पूछ रहे हैं कि जब एक और कैंसर पीड़ित सोमा पाल की नौकरी रद्द हो सकती है, तो उनकी क्यों नहीं हुई?

मुख्यमंत्री से लगाई गुहार : “हमें मत भूलिए”
सोमनाथ ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना की है. उन्होंने कहा, “दीदी, सिर्फ आप ही हमें बचा सकती हैं. हम जैसे लोगों की कोई सुनवाई नहीं होती. हम देश के लिए खेले हैं, अब आप हमारे लिए एक मौका दीजिए.” एक तरफ कैंसर की लड़ाई, दूसरी तरफ बेरोजगारी का डर… ऐसे में सोमनाथ बाबू का परिवार बस जीने की उम्मीद में हर दिन काट रहा है.

First Published :

April 04, 2025, 17:42 IST

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