Last Updated:June 08, 2025, 05:57 IST
India Missile Bus: भारत डिफेंस पावर को बढ़ाने के साथ ही उसे लगातार अपग्रेड कर रहा है. ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, आकाश के साथ S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, अटैक टैंक की फ्लीट, राफेल फाइटर जेट भारत के म्यान में सजे कुछ ...और पढ़ें

अग्नि-5 मिसाइल परमाणु वॉरहेड ले जाने में सक्षम है. (पीटीआई)
हाइलाइट्स
भारत के पास कई ऐसी मिसाइल्स हैं, जिनके डर से दुश्मनों का पसीना छूटता हैअग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल-ICBM MIRV टेक्नोलॉजी से लैस हैअग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5800 KM से ज्यादा है, चीन का ज्यादातर हिस्सा जद मेंAgni V Ballistic Missile: भारत की सीमा एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन से लगती है, ऐसे में लैंड से लेकर वॉटर और एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करना काफी आवश्यक है. पहलगाम अटैक के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर जिस प्रचंडता और आक्रमकता से आतंकवादियों और पाकिस्तान को सबक सिखाया, उससे पूरी दुनिया हैरत में पड़ गई. खासकर पाकिस्तान के साथ चीन के होश फाख्ता हो गए. वेस्टर्न डिफेंस एक्सपर्ट ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की प्रचंडता और एयर डिफेंस सिस्टम की कैपेबिलिटी ने सबको चौंकाया है. चाइना मेड एयर डिफेंस सिस्टम को तो भारतीय मिसाइलों के बारे में पता तक नहीं चल सका. हालांकि, भारत ने इस सैन्य अभियान में अपने सबसे खतरनाक मिसाइल का तो इस्तेमाल ही नहीं किया. न्यूक्लियर वॉरहेड (परमाणु बम या हथियार) ले जाने में सक्षम इस मिसाइल की रेंज 5800 किलोमीटर से भी ज्यादा है. इसी वजह से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी ICBM भी कहा जाता है. इसका नाम है- अग्नि-5 मिसाइल. अग्नि-5 मिसाइल को MIRV ( multiple independently targetable re-entry vehicle) टेक्नोलॉजी से भी लैस कर दिया गया है. MIRV को मिसाइल बस की उपमा भी दी जाती है.
11 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट शेयर कर देशवासियों को बड़ी खुशखबरी दी थी. दरअसल, पीएम मोदी ने अग्नि-5 मिसाइल का MIRV टेक्नोलॉजी के साथ सफल टेस्टिंग की जानकारी दी थी. इस टेक्नोलॉजी को हासिल करने वाला भारत अब दुनिया के गिनेचुने देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है. चीन के पास भी MIRV टेक्नोलॉजी से लैस मिसाइल हैं, ऐसे में भारत के लिए यह जरूरी हो गया था कि डिफेंस सिस्टम को अभेद्य किला बनाने के लिए MIRV तकनीक में महारात हासिल की जाए. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सालों की मेहनत के बाद इसे हासिल करके ही दम लिया. पाकिस्तान और चीन जैसे देश के पड़ोस में होने से नेशनल सिक्योरिटी को मजबूत करना समय की मांग है. अग्नि-5 उसमें सबसे अहम है. बता दें कि अग्नि सीरीज में कई मिसाइलों का सफल परीक्षण अब तक किया जा चुका है. अग्नि-5 उनमें से बेहद खास है.
अग्नि-5 मिसाइल से दुश्मन थर-थर कांपते हैं. (पीटीआई)
MIRV को इसलिए कहा जाता है मिसाइल बस
अब सवाल उठता है कि MIRV टेक्नोलॉजी को मिसाइल बस क्यों कहा जाता है? दरअसल, MIRV एक ऐसी तकनीकी है, जिसके माध्यम से सिंगल बूस्टर से कई मिसाइलों को फायर किया जा सकता है. ये मिसाइल्स एक ही समय में डिफरेंट टारगेट को ध्वस्त कर सकती हैं. इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि बार-बार मिसाइल दागने की जरूरत भी नहीं पड़ती है. इसकी प्रचंडता तब और बढ़ जाती है जब ये मिसाइल न्यूक्लियर वेपन ले जाने में सक्षम हो. अग्नि-5 में ये सभी विशेषताएं हैं, जो इसे बेहद खतरनाक और घातक बनाते हैं. 5800 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज होने की वजह से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. मान लीजिए कि विभिन्न लोकेशन पर स्थित टारगेट पर अटैक कर उन्हें एक ही समय में तबाह करना है तो इसमें MIRV टेक्नोलॉजी से लैस मिसाइल काम आती है.
दुश्मनों को संभलने का मौका तक नहीं
MIRV तकनीक से लैस अग्नि-5 मिसाइल से दुश्मनों पर हमला किया जाता है तो यह एक साथ कई टारगेट को ध्वस्त कर सकता है. इस खासियत की वजह से दुश्मन के रडार के साथ ही एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देना भी काफी आसान हो जाता है. कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम एक बार में एक ही प्रोजेक्टाइल को निष्क्रिय कर सकता है, लेकिन जब एक ही समय में कई मिसाइल्स विभिन्न टारगेट की ओर कूच करेंगी तो किसी भी प्रोटेक्टिव सिस्टम के लिए इसे पूरी तरह से रोक पाना असंभव सा हो जाएगा. यही वजह है कि अग्नि-5 का नाम सुनते ही चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के पसीने छूटने लगते हैं.
अग्नि-5 मिसाइल की खास खासियत.
MIRV लैस दुनिया की पहली मिसाइल
अमेरिका ने सबसे पहले MIRV तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मिसाइल को तैनात किया था. ‘द हिन्दू’ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने साल 1970 में MIRV तकनीक से लैस पहली मिसाइल मिनटमैन-III (Minuteman III ICBM) को तैनात किया था. उस वक्त यह मिसाइल एक साथ 3 वॉरहेड ले जाने में सक्षम थी. इसके अगले ही साल 1971 में अमेरिका ने MIRV तकनीक वाली पॉसीडॉन मिसाइल (Poseidon Missile) को सबमरीन यानी पनडुब्बी में तैनात किया था. यह एमआईआरवी तकनीक से लैस पहली सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) थी. पॉसीडॉन मिसाइल एक साथ 10 वॉरहेड ले जाने में सक्षम थी. अमेरिका के बाद पूर्व सोवियत संघ ने भी 1970 के दशक में स्वदेशी MIRV तकनीक डेवलप कर लिया था. बताया जाता है कि रूस MIRV से लैस ऐसी मिसाइल बना रहा है, जो एक साथ 16 वॉरहेड ले जाने में कैपेबल होगी.
भारत का ब्रह्मास्त्र
भारत का एमआईआरवी सिस्टम स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और हाई-एक्यूरेसी वाले सेंसर पैकेज से लैस है, जो सुनिश्चित करता है कि री-एंट्री व्हिकल पूरी सटीकता के साथ टारगेट प्वाइंट को हिट करे. यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति का प्रतीक है. अग्नि सीरीज की मिसाइलें भारत के परमाणु हथियार डिलिवरी सिस्टम की रीढ़ हैं और अग्नि V भारत म्यान में सबसे लंबी दूरी की मिसाइल है, जिसकी पहुंच 5,000 किलोमीटर से अधिक है. इसका मतलब है कि यह चीन के अधिकांश हिस्सों तक पहुंच सकती है, खासकर एक छोटे वॉरहेड के साथ.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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