भारत ने 1947 में भी रोक दिया था पानी, पाकिस्तान की सारी अकड़ पड़ गई थी ढीली

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Last Updated:April 28, 2025, 14:28 IST

India Pakistan War Story: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों के नरसंहार के बाद भारत ने पाकिस्तान से बदला लेने की ठानी है और सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर बड़ा कदम उठाया है. इससे पहले 1947-48 की जंग में भी ...और पढ़ें

भारत ने 1947 में भी रोक दिया था पानी, पाकिस्तान की सारी अकड़ पड़ गई थी ढीली

भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

हाइलाइट्स

भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया.1947-48 में भारत ने पाकिस्तान का पानी रोका था.भारतीय सेना पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों के नरसंहार के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान से बदला जरूर लिया जाएगा. पाकिस्तान को भी लग रहा है कि भारत की तरफ बड़ा प्रहार किया जाएगा. भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को ठंडे बस्ते में डालकर इस तरफ कदम बढ़ा दिए हैं. हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन का इसे बस ट्रेलर माना जा रहा है. यह चर्चा जोरों पर है कि भारतीय सेना जल्द ही पाकिस्तान और वहां छुपे आतंकियों के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई कर सकती है.

भारत सरकार ने जब पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को सस्पेंड किया, तो इसे बड़ा कदम बताया गया. भारत और पाकिस्तान के बीच यह संधि वर्ष 1960 में हुई थी. इसमें भारत ने उदारता दिखाते हुए तीन प्रमुख नदियों का जल उपयोग सीमित कर दिया था, लेकिन अब, हालात बदल गए हैं.

वैसे भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस सिंधु जल संधि के पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है. एक ऐसी कहानी जो 1947 के विभाजन के समय लिखी गई थी, जब भारत के तीन सिविल इंजीनियरों ने पाकिस्तान को जाने वाला पानी रोक दिया था. इन इंजीनियरों की सूझबूझ ने 1947-48 के जंग में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ खिलाफ एक निर्णायक बढ़त दिलाई थी.

इतिहासकार सिद्धार्थ गुरु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी पूरी कहानी बयां की है. वह बताते हैं कि कैसे एएन खोसला, सरूप सिंह और कंवर सेन नाम के तीन भारतीय इंजीनियरों ने चुपचाप पंजाब की नदियों को भारत की तरफ मोड़ दिया था.

जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा तय हो रहा था, उस वक्त ब्रिटिश अधिकारी सर सिरिल रेडक्लिफ सीमा रेखा खींचने भारत आए थे. इसी दौरान, पंजाब सिंचाई विभाग में तैनात खोसला और सरूप सिंह ने एक बड़ा खतरा भांप लिया. तब भारत-पाक बंटवारे की जो रूपरेखा बनी थी, उसके अनुसार फिरोजपुर क्षेत्र पाकिस्तान के हिस्से में जा सकता था. यहीं से तीन बड़ी नहरों के हेडवर्क्स संचालित होते थे.

सरूप सिंह ने खतरे को समझते हुए तुरंत अपने सहयोगी कंवर सेन को इसकी जानकारी दी. कंवर सेन उस समय बीकानेर रियासत में जल संसाधन विभाग में तैनात थे. उन्होंने हालात की गंभीरता को समझते हुए बीकानेर के तत्कालीन प्रधानमंत्री पनिकर को आगाह किया. फिर महाराजा सादुल सिंह ने इस मुद्दे को सीधे लॉर्ड माउंटबेटन तक पहुंचाया और चेताया कि अगर फिरोजपुर हेडवर्क्स पाकिस्तान को दे दिए गए, तो बीकानेर को अपनी जीवनदायिनी नहर से हाथ धोना पड़ेगा और उसे पाकिस्तान के साथ मजबूरी में विलय करना पड़ सकता है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और वीपी मेनन ने भी दवाब बनाया. आखिरकार दबाव काम आया और फिरोजपुर हेडवर्क्स भारत के हिस्से में आ गए, जिससे पाकिस्तान भौंचक्का रह गया.

यही नियंत्रण बाद में भारत को सिंधु जल पर प्रभावशाली स्थिति में ले आया, जिससे पाकिस्तान जल समझौते को लेकर चीखने-चिल्लाने लगा और आखिरकार 1960 में सिंधु जल संधि के रूप में उसकी मुराद पूरी हुई थी.

सिंधू का पानी पाकिस्तान के लिए जीवनरेखा रही है. यह पानी अब उसके खिलाफ भारत के सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल हो सकता है. जिस तरह 1947 में भारतीय इंजीनियरों ने सूझबूझ से पाकिस्तान की रणनीति को ध्वस्त किया था, आज भारत उसी हिम्मत और संकल्प के साथ पाकिस्तान को उसकी हरकतों का करारा जवाब देने की तैयारी में है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

April 28, 2025, 14:28 IST

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भारत ने 1947 में भी रोक दिया था पानी, पाकिस्तान की सारी अकड़ पड़ गई थी ढीली

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