Last Updated:March 12, 2025, 13:20 IST
Election Commission on Voter ID: चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का निर्देश दिया है ताकि मतदाताओं की सही पहचान सुनिश्चित हो सके. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को यह...और पढ़ें

ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था.
हाइलाइट्स
चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का निर्देश दिया.मुख्य चुनाव आयुक्त ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को नोट भेजा.वोटर आईडी से आधार जोड़ने से डुप्लीकेट आईडी का मामला खत्म होगा.एक ही एपिक आईडी नंबर पर कई वोटर आईडी बने होने संबंधी विवाद के बीच चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है. आयोग ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे चुनावी रोल डेटा के साथ आधार नंबर को जोड़ने के लिए सभी प्रयास करें. यह निर्देश राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को भेजे गए एक नोट में दिया गया है. अंग्रेजी अखबार द हिंदुस्तान टाइम्स ने इस बारे में एक रिपोर्ट छापी है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने चार मार्च को मुख्य चुनाव अधिकारियों के सम्मेलन में दिए भाषण में इस बात का जिक्र किया था. अब सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियोंको इस संबंध में नोट भेजा गया है. इस नोट में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का हवाला देते हुए कहा गया कि चुनाव के लिए मतदाताओं की सही पहचान सुनिश्चित करने और आवश्यक संवाद बनाए रखने’के लिए आधार और मोबाइल नंबर से लिंक करने के सभी प्रयास किए जाने चाहिए. मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी निर्देश दिया कि घर-घर सर्वेक्षण करते समय सभी बूथ स्तर अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 18 साल से ऊपर के भारतीय नागरिकों को संविधान के अनुसार हमेशा मतदाता के रूप में पंजीकरण किया जाए.
आयोग का रुख बदला
चुनाव आयोग का यह निर्देश इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि कुछ समय पहले उसने कहा गया था कि आधार लिंकिंग अनिवार्य नहीं है. आयोग ने यह बात सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कही थी. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले ही संसद को सूचित किया था कि रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स (संशोधन) नियम, 2022 के तहत एक व्यक्ति जो चुनावी रोल में शामिल है, वह फॉर्म 6B के माध्यम से अपना ‘आधार नंबर’ वोटर आईडी में अपडेट करवा सकता है.
रिजिजू ने यह भी बताया था कि आधार देना विकल्प है और जिन मतदाताओं के पास आधार नंबर नहीं है, वे फॉर्म 6B में दिए गए अन्य वैकल्पिक दस्तावेजों को प्रदान कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार ने 1 अप्रैल 2023 तक की तारीख तय की थी, जिसके भीतर लोग अपने आधार नंबर साझा कर सकते थे.
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. तत्कालीन चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस बारे में फैसला दिया था. इस दौरान चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया था कि आधार अनिवार्य नहीं है. हालांकि उसने पंजीकरण फॉर्म में बदलाव पर विचार करने की भी बात कही थी. लेकिन फॉर्म में कोई बदलाव नहीं हुआ. जानकारों का कहना है कि वोटर आईडी से आधार को जोड़ने से एक इलेक्टर फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) से कई वोटर आईडी के जुड़े होनें संबंधी मामला खत्म हो जाएगा.
वोटर रोल की पवित्रता और पंजीकरण इस समय एक प्रमुख मुद्दा बन गया है, जब पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर मतदाता धोखाधड़ी और फर्जी एपिक के माध्यम से धांधली का आरोप लगाया था. आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि डुप्लीकेट एपिक धोखाधड़ी नहीं है. हालांकि साथ ही सभी CEOs को डुप्लीकेट मामलों को जल्दी से हल करने का निर्देश दिया.
First Published :
March 12, 2025, 13:20 IST