Last Updated:September 10, 2025, 14:58 IST
देश में आए दिन आत्महत्या के मामले सामने आते हैं. हालांकि एम्स दिल्ली के साइकेट्री विभाग के डॉक्टरों ने खुदकुशी की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत बताने के साथ ही महिला और पुरुषों को लेकर कई...और पढ़ें
Men or women who want to kill self most: पिछले कुछ सालों से खुदकुशी करने की घटनाएं भारत में तेजी से बढ़ रही हैं. यहां तक कि साल 2022 के आंकड़े तो और भी भयावह थे जब 56 सालों में इस बार सबसे ज्यादा लोगों ने जान दी थी. हाल ही में आए सुसाइड के ऐसे कई केसेज दिल दहला देने वाले थे जब एक छोटी बच्ची के साथ मां ने खुद को आग के हवाले कर दिया, या एक पिता ने पहले दो बेटियों को नदी में फेंका और फिर खुद छलांग लगाकर जीवनलीला समाप्त कर ली.
देशभर में होने वाली घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि वैसे तो आत्महत्या करने वालों में महिला और पुरुष दोनों ही शामिल हैं और जब तब ऐसे मामले भी सामने आते रहते हैं जब खेलने-कूदने की उम्र वाले बच्चे भी किसी न किसी वजह से ऐसा आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. लेकिन जान देने के ख्याल से लेकर इसके अंजाम को लेकर दिल्ली एम्स के साइकेट्री विभाग के डॉक्टरों की ओर से दिए गए आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं.
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साइकेट्री विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. गगन हंस ने बताया कि देखा गया है कि मेंटल इलनेस या मानसिक दवाब के चलते कुछ लोग लोग आत्महत्या के लिए कई बार तक कोशिश करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं में जान देने का ख्याल ज्यादा आता है और यही वजह है कि वे ज्यादा बार खुद को खत्म करने की कोशिश करती हैं. हालांकि अंजाम का आंकड़ा इससे काफी अलग है.
डॉ. हंस कहते हैं कि पुरुष महिलाओं के मुकाबले सुसाइड के कम अटेम्ट करते हैं, लेकिन जान गंवाने की संभावना इनकी ज्यादा होती है. हालांकि किसी भी कोशिश को कम करके नहीं आंका जा सकता और न ही उसके खतरे को कम माना जा सकता है. जान देने की कोई भी कोशिश खतरनाक हो सकती है और उसे हर कीमत पर रोका जाना चाहिए.
लोग मदद के लिए करते हैं कोशिश
डॉ. हंस कहते हैं कि देखा गया है कि जो लोग आत्महत्या करने का मन बना चुके होते हैं, उनमें से 90 फीसदी लोग घटना से 24 से 48 घंटे पहले कहीं न कहीं मदद तलाशते हैं. ऐसे समय में अगर उनको मेंटल सपोर्ट या सही मार्गदर्शन मिले तो ये जानें बचाई जा सकती हैं.
मेंटल इनलेस को समझा ही नहीं जाता
डॉ. कहते हैं कि इन घटनाओं के पीछे ज्यादातर कारण मानसिक रोग या मानसिक अस्वस्थता के होते हैं. लेकिन हमारे समाज में मेंटल इलनेस को महत्व ही नहीं दिया जाता. इसका परिणाम ये होता है कि व्यक्ति में यह बीमारी बढ़ती जाती है जो कई बार सुसाइड की कोशिश के रूप में सामने आती है. इसलिए मेंटल इलनेस को समझना चाहिए..
priya gautamSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 10, 2025, 14:58 IST