मालेगांव केस में आरोपियों के बरी होने के बाद सरकार क्या फिर से कराएगी जांच?

19 hours ago

Last Updated:August 01, 2025, 08:59 IST

Malegaon Bomb Blast 2008 Case Verdict : मालेगांव ब्लास्ट 2008 में 6 लोगों की मौत और 95 घायलों का इंसाफ अधुरा रह गया? 17 साल बाद एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिय...और पढ़ें

मालेगांव केस में आरोपियों के बरी होने के बाद सरकार क्या फिर से कराएगी जांच?मालेगांव केस में फैसला आने के बाद सरकार का अगला कदम क्या होगा?

हाइलाइट्स

मालेगांव ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हुई थी.एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया.सरकार ने नई जांच की घोषणा नहीं की है.

Malegaon Bomb Blast Verdict News : महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमाके पर गुरुवार को कोर्ट का फैसला आ गया है. इस धमाके के सभी नामजद आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है. 29 सितंबर 2008 की रात को रमजान की रौनक और नवरात्रि की तैयारियों के बीच अंजुमन चौक पर एक मस्जिद के पास बाइक में हुए धमाके ने पूरे शहर को दहला दिया था. इस विस्फोट में 6 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें फरहीन शेख, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर, और हारून शाह शामिल थे. 95 लोग घायल हुए, कई जिंदगियां हमेशा के लिए बदल गईं. 17 साल बाद 31 जुलाई 2025 को एनआईए की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने सबूतों की कमी और जांच में खामियों को आधार बताया. अब सवाल उठता है कि मालेगांव में किसने करवाया था ब्लास्ट? क्या तात्कालीन सरकार ने हिंदू संगठनों और उनके नेताओं को जानबूझकर फंसाया था? क्या मौजूदा सरकार अब नए सिरे से मालेगांव ब्लास्ट की जांच करवाएगी? या मालेगांव ब्लास्ट का हश्र भी मुंबई ब्लास्ट जैसा होगा, जहां पीड़ितों को इंसाफ का इंतजार आज भी है?

2008 का मालेगांव ब्लास्ट सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में हुआ, जहां मुस्लिम बहुल आबादी रहती है. रात 9:35 बजे हुए इस धमाके ने नमाजियों और बाजार में मौजूद लोगों को निशाना बनाया. मृतकों में मासूम बच्चे और परिवारों की उम्मीदें शामिल थीं. घायलों में कई आज भी शारीरिक और मानसिक आघात से जूझ रहे हैं. एक पीड़ित परिवार के सदस्य ने कहा, ‘हमने अपनों को खोया, लेकिन 17 साल बाद भी सच्चाई सामने नहीं आई.’ क्या आज आए कोर्ट के फैसले ने पीड़ितों के जख्मों को और गहरा कर दिया है?

कोर्ट का फैसला और सबूतों की कमी

मालेगांव ब्लास्ट की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की, जिसने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को गिरफ्तार किया. एटीएस ने दावा किया कि जिस बाइक से ब्लास्ट हुई वह प्रज्ञा के नाम थी और पुरोहित ने कश्मीर से आरडीएक्स (RDX) लाया था. 2011 में जांच एनआईए को सौंपी गई. एनआईए ने 323 गवाहों से पूछताछ की, लेकिन 34 गवाह अपने बयानों से मुकर गए. कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बाइक में बम था या साजिश हुई. यूएपीए की धाराएं भी लागू नहीं हो सकीं, क्योंकि तय प्रक्रिया में खामियां थीं.

सरकार की नई जांच की संभावना

कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ितों और स्थानीय लोगों में गुस्सा है. एक मालेगांव निवासी ने कहा, ‘6 लोग मरे, 95 घायल हुए, लेकिन कोई जिम्मेदार नहीं?’ एनआईए कोर्ट ने पीड़ितों के परिवारों को 2 लाख और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजे का आदेश दिया, लेकिन यह इंसाफ की जगह नहीं ले सकता. महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक नई जांच की घोषणा नहीं की है. कुछ एक्स पोस्ट्स में दावा किया गया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई.

कोर्ट के फैसले ने जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में विसंगतियां, फिंगरप्रिंट्स का अभाव और गवाहों का पलटना जांच की कमजोरियों को दर्शाता है. ऐसे में पीड़ितों के लिए इंसाफ की उम्मीद अब सुप्रीम कोर्ट या नई जांच पर टिकी है. लेकिन अगर सरकार ने सक्रिय कदम नहीं उठाए तो मालेगांव ब्लास्ट मुंबई हमलों की तरह एक अनसुलझा रहस्य बन सकता है. मालेगांव ब्लास्ट ने 6 जिंदगियां छीनीं और सैकड़ों परिवारों को दर्द दिया. 17 साल की लंबी सुनवाई के बाद सभी आरोपियों का बरी होना पीड़ितों के लिए झटका है. सरकार के पास अब सुप्रीम कोर्ट में अपील या नई जांच शुरू करने का विकल्प है. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह मामला इतिहास के उन पन्नों में दफन हो सकता है, जहां इंसाफ अधूरा रह गया. मालेगांव की गलियां आज भी उस रात की चीखों को याद करती हैं, और पीड़ितों का सवाल वही है: ‘असली गुनहगार कौन है?’

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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Location :

Malegaon,Nashik,Maharashtra

homenation

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