Last Updated:September 01, 2025, 14:52 IST
Jagdeep Dhankhar: जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर फिर से विधायक पेंशन की मांग की है. उन्हें सांसद, विधायक और उपराष्ट्रपति तीनों की पेंशन मिलेगी.

Jagdeep Dhankhar Re-Applied for MLA Pension: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान विधानसभा के पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन के लिए दोबारा आवेदन किया है. धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 1993 से 1998 तक राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक रहे धनखड़ 2019 तक विधायक वाली पेंशन प्राप्त करते रहे. पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद उन्होंने पेंशन लेना बंद कर दिया. 2022 में उन्हें उपराष्ट्रपति चुना गया, लेकिन अब उन्होंने इस पद से भी इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों के अनुसार राजस्थान विधानसभा सचिवालय ने धनखड़ के अनुरोध पर कार्रवाई शुरू कर दी है.
1989 से 1991 तक झुंझुनू से सांसद रहे जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से उनके इस्तीफे की तारीख से पेंशन मिलेगी. सूत्रों के अनुसार एक बार विधायक बने व्यक्ति को 35,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है. जो अतिरिक्त कार्यकाल और उम्र के साथ धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. धनखड़ जैसे सत्तर साल से ज्यादा उम्र के लोगों की पेंशन में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. सूत्रों के अनुसार एक पूर्व विधायक होने के नाते धनखड़ को 42,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी. उनको पूर्व विधायक के तौर पर जुलाई 2019 तक पेंशन मिलती रही. लेकिन पश्चिम बंगाल का गवर्नर बनने के बाद पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली पेंशन बंद हो गई थी.
ये भी पढ़ें- क्या है रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, क्यों कहते हैं एशिया का नोबेल, भारतीय NGO ‘एजुकेट गर्ल्स’ को क्यों मिला यह अवार्ड
क्या धनखड़ को मिलेंगी 3 पेंशन?
लेकिन सवाल यह है कि जगदीप पहले विधायक, फिर सांसद, गवर्नर और उपराष्ट्रपति बने. पूर्व गवर्नर को सरकार न तो कोई आवास उपलब्ध कराती है और न ही कोई पेंशन या भत्ता देती है. उन्हें केवल एक ही भत्ता मिलता है जो मेडिकल से जुड़ा है. स्वास्थ्य ठीक न होने की सूरत में सरकार उनका पूरा खर्च उठाती है, लेकिन इसके अलावा सारे खर्च उन्हें खुद ही करने होते हैं. 1982 के अधिनियम के तरह राज्यपाल को पेंशन देने का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन बाकी तीन पदों के लिए पेंशन का प्रावधान है. तो क्या ऐसे में जगदीप धनखड़ को विधायक, सांसद और उपराष्ट्रपति तीनों की पेंशन मिलेगी. तो इसका जवाब है हां. उन्हें ये तीनों पेंशन मिलेंगी.
ये भी पढ़ें- क्या है दारुमा गुड़िया? जो जापान में पीएम नरेंद्र मोदी को गिफ्ट की गई, जानिए इसका भारत से रिश्ता
हर महीने मिलेंगे 2.73 लाख रुपये
जगदीप धनखड़ की पेंशन के मुख्य तीन हिस्से हैं. उन्हें पूर्व उपराष्ट्रपति के रूप में 2 लाख रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी. पूर्व विधायक के रूप में उन्होंने राजस्थान विधानसभा में पेंशन के लिए आवेदन किया है. वह 1993 से 1998 तक किशनगढ़ से विधायक रहे थे. नियमों के अनुसार 74 वर्ष की आयु होने के कारण उन्हें 42,000 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलेगी. उनकी पूर्व विधायक वाली पेंशन उपराष्ट्रपति के रूप में उनके इस्तीफे की तारीख से लागू होगी. उन्हें एक पूर्व सांसद के तौर पर 31,000 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलेगी. पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व सांसद के रूप में उनकी पेंशन शुरू हो चुकी है. जबकि राजस्थान में पूर्व विधायक के रूप में उनकी पेंशन के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है. जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं, लेकिन पूर्व राज्यपाल को पेंशन नहीं मिलती है.
ये भी पढ़ें- क्या होता है सीक्रेट सर्विस सुरक्षा कवर, जो डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस का खत्म किया
1989 में पहली बार सांसद बने
झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में पैदा हुए जगदीप धनखड़ ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनता दल से की और 1989 में वह झुंझुनूं से सांसद बने. वह चंद्रशेखर सरकार में मंत्री भी रहे. इसके बाद वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 1991 में लोकसभा चुनाव लड़ा, हालांकि वह चुनाव हार गए. बाद में 1993 के विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमायी और विधायक बने. जगदीप धनखड़ अजमेर जिले के किशनगढ़ विधानसभा सीट से 1993 से 1998 तक कांग्रेस के विधायक रहे.
ये भी पढ़ें- वो मुगल राजकुमार, जिसका सिर उसके भाई औरंगजेब ने कटवा दिया, सत्ता या धार्मिक मान्यताएं क्या थी वजह
गवर्नर-उपराष्ट्रपति पद पर भी रहे
धनखड़ ने 30 जुलाई 2019 से 18 जुलाई 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में काम किया. अपने लगभग तीन साल के कार्यकाल के दौरान वह राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ अक्सर टकराव के कारण सुर्खियों में रहे. वह तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार के मुखर आलोचक के रूप में उभरे, जिसके कारण उन्हें ‘वास्तविक विपक्ष का नेता’ भी कहा जाने लगा. जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. उनका कार्यकाल 21 जुलाई 2025 को अचानक समाप्त हो गया, जब उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनका कार्यकाल अगस्त 2027 में समाप्त होना था. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है.
ये भी पढ़ें- जिस बुलेट ट्रेन को पीएम मोदी लाना चाहते हैं भारत, उसे एक चिड़िया ने बचा लिया, वर्ना कब की हो जाती बंद
कहां रहेंगे पूर्व उपराष्ट्रपति
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दक्षिण दिल्ली के छतरपुर एन्क्लेव में एक निजी आवास में रहने के लिए तैयार हैं. उपराष्ट्रपति पद के चुनाव 9 सितंबर को होने हैं और धनखड़ को उससे पहले संसद भवन परिसर के पास चर्च रोड स्थित उपराष्ट्रपति आवास खाली करना होगा. धनखड़ पिछले साल अप्रैल में उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में रहने गए थे. सूत्रों के अनुसार जब तक उन्हें सरकारी आवास नहीं मिल जाता वे छतरपुर एन्क्लेव में ही रहेंगे. नियमों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपतियों, उप-राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों को टाइप-8 बंगला आवंटित किया जाता है.
सरकारी आवास मिलने में लगेगा समय
आवास की व्यवस्था आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय (संपदा निदेशालय) करता है. धनखड़ के कार्यालय ने नियमों के अनुसार आवास के लिए एक औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किया है. एक सूत्र ने बताया, “अनुरोध प्राप्त होने के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति के समक्ष उपलब्ध विकल्प प्रस्तुत किए जाते हैं. चयन के बाद केंद्रीय लोक निर्माण विभाग आवश्यक कार्य शुरू करता है जिसमें रेनोवेशन भी शामिल है. पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर कम से कम तीन महीने लगते हैं.” सूत्रों ने बताया कि इस प्रक्रिया में कोई प्रगति न होने के कारण धनखड़ ने अस्थायी तौर पर निजी आवास का विकल्प चुना है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 01, 2025, 14:52 IST