'मीलॉर्ड पाकिस्तान न भेजें', SC को शख्स ने दिखाए ऐसे कागज, तो जज ने दिया ऑर्डर

12 hours ago

Last Updated:May 02, 2025, 13:24 IST

India Pakistan Tension: जम्मू-कश्मीर में रहने वाले 6 लोगों के एक परिवार पाकिस्तान डिपोर्ट किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनकी याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट बे...और पढ़ें

'मीलॉर्ड पाकिस्तान न भेजें', SC को शख्स ने दिखाए ऐसे कागज, तो जज ने दिया ऑर्डर

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हाइलाइट्स

6 लोगों के परिवार ने पाकिस्तान निर्वासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी.सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश दिया.अंतिम निर्णय तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं होगी.

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हिन्दुओं के नरसंहार के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागिरकों का वीजा रद्द कर बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अब तक कई पाकिस्तानी नागरिक अटारी-वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान वापस भेजे जा चुके हैं. हालांकि इस बीच 6 लोगों के एक परिवार पाकिस्तान डिपोर्ट किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जम्मू-कश्मीर में रहने वाले इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया है कि उनके पास भारतीय नागरिकता के वैध दस्तावेज मौजूद हैं.

अपनी याचिका में बेंगलुरु में नौकरी कर रहे अहमद तारिक बट ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार के पांच सदस्यों को श्रीनगर के फॉरेन रजिस्ट्रेशन ऑफिस से पाकिस्तान डिपोर्ट किए जाने का नोटिस मिला है. उनकी इस याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ताओं की तरफ से प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश दिया है.

‘तब तक नहीं भेजा जाए पाकिस्तान’
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जब तक इस मामले में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी. अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश दस्तावेजों की जांच करें और तय करें कि वे भारत के नागरिक हैं या नहीं.

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की तरफ से दाखिल की गई याचिका तथ्यों पर आधारित है, इसलिए इन दस्तावेजों का वेरिफिकेशन जरूरी हो जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द से जल्द निर्णय लेने की बात कही है, ताकि याचिकाकर्ताओं को अनिश्चितता की स्थिति से बाहर निकाला जा सके. साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर याचिकाकर्ता प्रशासनिक निर्णय से संतुष्ट नहीं होते, तो वे हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं.

Location :

New Delhi,Delhi

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