मेंटेनेंस के नाम पर बिना तलाक ऐंठना चाहती थी पैसे, हाईकोर्ट ने ऐसे लगाई रोक

8 hours ago

Last Updated:July 13, 2025, 06:46 IST

Allahabad High Court News: पति से तलाक लेकर अलग रहने वाली महिलाओं के लिए भारतीय कानून में कुछ खास व्‍यवस्‍थाएं की गई हैं. बिना तलाक लिए पति से अलग रहने वाली पत्नियों को लेकर भी कानूनी प्रावधान हैं, जिसपर अब इला...और पढ़ें

मेंटेनेंस के नाम पर बिना तलाक ऐंठना चाहती थी पैसे, हाईकोर्ट ने ऐसे लगाई रोक

पत्‍नी को मेंटेनेंस देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है.

हाइलाइट्स

पत्‍नी को भरण-पोषण भत्‍ता देने के मामले में इलाहाबाद हाईकार्ट का बड़ा आदेशवैलिड रीजन के बिना पति से अलग रहने वाली महिलाओं को नहीं मिलेगा भत्‍ताहाईकोर्ट ने मेरठ फैमिली कोर्ट के फैसले का किया रद्द, धारा 125(4) का हवाला

Allahabad High Court News: तलाक लिए बगैर और बिना किसी वैलिड रीजन के मेंटेनेंस के नाम पर पति से पैसा लेना संभव नहीं होगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बाबत बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि पत्नी बिना उचित कारण के अपने पति से अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है. हाईकोर्ट ने मेरठ के एक फैमिली कोर्ट की ओर से 5,000 रुपये मासिक भरण-पोषण के आदेश को रद्द करते हुए यह व्‍यवस्‍था दी है. पति की ओर से हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन यानी पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया गया.

यह फैसला जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की पीठ ने दी है. कोर्ट ने पति विपुल अग्रवाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बड़ी व्‍यवस्‍था दी है. उन्होंने मेरठ की अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश (परिवार न्यायालय) द्वारा 17 फरवरी 2025 को दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125(4) के तहत यदि पत्नी बिना उचित कारण के पति से अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण की अधिकारी नहीं मानी जा सकती है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘ट्रायल कोर्ट ने यह पाया कि पत्नी यह सिद्ध करने में असमर्थ रही कि वह पर्याप्त कारणों से अपने पति से अलग रह रही है और पति उसकी उपेक्षा कर रहा है. इसके बावजूद अदालत ने उसके पक्ष में भरण-पोषण की राशि 5,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित कर दी. यह दोनों तथ्य एक-दूसरे के विपरीत हैं और CrPC की धारा 125(4) का उल्लंघन करते हैं.’ सुनवाई के दौरान याची पति के वकील ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने स्वयं यह माना है कि पत्नी पर्याप्त कारणों के बिना अलग रह रही है, फिर भी उनके मुवक्किल को 5,000 रुपये प्रतिमाह का भरण-पोषण देने का आदेश दिया गया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अदालत ने पति की आय पर विचार नहीं किया और एकतरफा रूप से पत्नी और नाबालिग बच्चे के लिए क्रमशः 5,000 और 3,000 रुपये का भरण-पोषण निर्धारित कर दिया.

पत्‍नी की दलील

पत्नी की ओर से पेश वकील और स्‍टेट काउंसल ने दावा किया कि महिला अपने पति की उपेक्षा के चलते अलग रह रही है, इसलिए फैमिली कोर्ट ने सही फैसला लिया था. हाईकोर्ट ने इन दलीलों पर विचार करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश और तथ्यात्मक निष्कर्ष परस्पर विरोधाभासी हैं और इससे न्यायिक प्रक्रिया में असंगति उत्पन्न होती है. एसे में आदेश में हस्तक्षेप आवश्यक है. हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामला फिर से विचार के लिए फैमिली कोर्ट को वापस भेजा जा रहा है और सुनवाई पूरी होने तक पति को अंतरिम भरण-पोषण के रूप में पत्नी को 3,000 रुपये और बच्चे को 2,000 रुपये प्रतिमाह देना होगा.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

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