मोहन भागवत ने कहा- धर्मांतरण हिंसा, हम खिलाफ नहीं अगर...,पहलगाम पर भी बड़ी बात

1 day ago

Last Updated:June 06, 2025, 08:44 IST

RSS Chief Mohan Bhagwat News: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि धर्मांतरण हिंसा है, स्वेच्छा से हो तो ठीक है, लेकिन दबाव डालने के खिलाफ हैं. उन्होंने पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर पर भी राय दी.

मोहन भागवत ने कहा- धर्मांतरण हिंसा, हम खिलाफ नहीं अगर...,पहलगाम पर भी बड़ी बात

आरएसएस प्रमुख भागवत ने पहलगाम हमले के बाद राजनीतिक दलों में बनी समझ की सराहना की

हाइलाइट्स

धर्मांतरण हिंसा है: मोहन भागवतस्वेच्छा से धर्मांतरण ठीक, दबाव डालने के खिलाफपहलगाम अटैक के बाद की कार्रवाई की सराहना

आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चीफ मोहन भागवत ने कहा कि धर्मांतरण हिंसा है. यह स्वेच्छा से हो तो दिक्कत नहीं, मगर दबाव डालने के हम खिलाफ हैं. उन्होंने पहलगाम अटैक और उसके बाद हुए एक्शन पर भी अपनी राय रखी. मोहन भागवत ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले और उसके बाद भारत द्वारा की गई कार्रवाई के पश्चात राजनीतिक वर्ग में दिखी आपसी समझ जारी रहनी चाहिए और यह एक स्थायी विशेषता बननी चाहिए.

उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का परोक्ष संदर्भ देते हुए कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों की हत्या के बाद लोग आक्रोशित थे और चाहते थे कि दोषियों को सजा मिले और कार्रवाई भी हुई. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में पड़ोसी देश के हवाई ठिकानों को नुकसान पहुंचाया था.

मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस के स्वयंसेवकों के लिए कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए समाज में एकता का संदेश भी दिया. जबरन धर्मांतरण करने के खिलाफ मुखर होते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘धर्मांतरण हिंसा है. जब यह स्वेच्छा से किया जाता है तो हम इसके खिलाफ नहीं हैं. लेकिन लालच देने, जबरन धर्मांतरण कराने और दबाव डालने के हम खिलाफ हैं. लोगों को यह बताना कि उनके पूर्वज गलत थे, उनका अपमान करना है. हम ऐसी प्रथाओं के खिलाफ हैं.’

मोहन भागवत ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम (धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई में) आपके साथ हैं.’ मोहन भागवत ने एक बार फिर 7-10 मई के भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष का जिक्र करते हुए रेखांकित किया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद की गई कार्रवाई में सभी ने देश के लिए निर्णय लेने वालों के साहस को देखा.

उन्होंने कहा, ‘पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद कार्रवाई की गई. इसमें एक बार फिर हमारी सेना का पराक्रम दिखा. प्रशासन की दृढ़ता भी देखने को मिली. राजनीतिक वर्ग ने भी आपसी समझ दिखाई. समाज ने भी एकता का संदेश दिया. यह जारी रहना चाहिए और स्थायी होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के मामलों में आत्मनिर्भर होना चाहिए. आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि भारत को सुरक्षा के मामलों में आत्मनिर्भर होना चाहिए.

पाकिस्तान का नाम लिये बिना मोहन भागवत ने कहा, ‘जो लोग भारत से सीधी लड़ाई नहीं जीत सकते, वे हज़ारों घाव देकर और छद्म युद्ध छेड़कर हमारे देश को लहूलुहान करना चाहते हैं.’ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने लंदन पर लगभग एक महीने तक बमबारी की, जिससे उसे उम्मीद थी कि ब्रिटेन आत्मसमर्पण कर देगा. जवाब में प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने राष्ट्र को संबोधित किया और बाद में संसद को बताया कि अंग्रेज़ ‘समुद्र और तटों पर’ लड़ेंगे. भागवत ने इस प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि चर्चिल ने कहा था कि समाज ही सच्चा शेर है और उन्होंने तो केवल उसकी ओर से दहाड़ लगाई थी.

आरएसएस नेता ने कहा कि एक व्यक्ति का लाभ कभी-कभी दूसरे के लिए नुकसानदेह हो सकता है और व्यक्तियों के बीच परस्पर समझ की कमी असंतोष का कारण बन सकती है. उन्होंने रेखांकित किया कि राष्ट्रीय हित में किसी भी समूह या वर्ग को दूसरे के साथ टकराव में नहीं आना चाहिए. आवेगपूर्ण तरीके से काम करना, अनावश्यक बहस में उलझना या कानून को अपने हाथ में लेना देश हित में नहीं है.

आरएसएस प्रमुख ने उस समय को याद करते हुए कहा जब भारत स्वतंत्र नहीं था तब (ब्रिटिश) शासकों ने विभाजन को बढ़ावा दिया और विघटनकारी तत्वों का समर्थन किया, जिससे आम लोगों को लड़ाई के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, उन्होंने कहा कि आज सरकार संविधान के तहत काम करती है. मोहन भागवत ने अपमानजनक भाषा और अति प्रतिक्रिया के प्रयोग के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि कुछ लोग निजी लाभ के लिए भड़काऊ भाषण देते हैं.

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘हमारी जड़ें एकता में हैं, विभाजन में नहीं.’ उन्होंने आगे कहा कि भले ही लोग अलग-अलग भाषाएं बोलते हों और अलग-अलग रीति-रिवाजों का पालन करते हों, लेकिन एकता सभी मतभेदों से ऊपर है. मोहन भागवत ने दलील दी कि भारतीयों के बीच जातीय मतभेद का विचार ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा बढ़ावा दिया गया एक गलत विचार है.

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Shankar Pandit

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें

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Nagpur,Maharashtra

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