Last Updated:August 14, 2025, 17:20 IST
UP Burj Khaleefa : यूपी की बुर्ज खलीफा कही जाने वाली बिल्डिंग का निर्माण कार्य एक बार फिर अटक सकता है. एनसीएलएटी ने इस बिल्डिंग को बनाने वाली कंपनी को दिवालिया घोषित करके उसके लिखाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने क...और पढ़ें

नई दिल्ली. 13 साल से चल रहे यूपी की सबसे ऊंची बिल्डिंग के निर्माण कार्य पर एक बार फिर काले बादल मंडराते दिख रहे हैं. इस प्रोजेक्ट को बनाने वाली कंपनी पूरी तरह दिवालिया हो चुकी है और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने भी उसके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दे दी है. इसके बाद कंपनी की संपत्तियों को बेचकर बैंकों के कर्ज उतारे जाएंगे. हालांकि, इसका सबसे बड़ा नुकसान उन खरीदारों को होगा, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट में निवेश किया है.
एनसीएलएटी ने नोएडा की सबसे ऊंची बिल्डिंग ‘सुपरनोवा’ परियोजना बनाने वाली कंपनी सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ दिवाला कार्यवाही का रास्ता साफ कर दिया है. सुपरनोवा प्रोजेक्ट में आवासीय अपार्टमेंट, कार्यालय, रिटेल स्टोर और एक लग्जरी होटल भी बनाया जा रहा है. यह शहर की सबसे ऊंची परियोजना होने के साथ-साथ सबसे लग्जरी प्रोजेक्ट भी माना जा रहा है. एनसीएलएटी ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की दिल्ली पीठ द्वारा पारित पिछले आदेश को बरकरार रखा है. पीठ ने 12 जून, 2024 को बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ओर से दायर याचिका पर कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने का निर्देश दिया था.
क्या बोला ट्रिब्यूनल
एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि इसके प्रवर्तक राम किशोर अरोड़ा द्वारा समाधान के लिए प्रस्तुत संशोधित प्रस्ताव को बैंकों के समूह ने स्वीकार नहीं किया है. लिहाजा हमारा मानना है कि वर्तमान मामला ऐसा है जिसमें कॉरपोरेट देनदार (सुपरटेक रियल्टर्स) का समाधान, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) तथा कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया 2016 के कानून के तहत किया जाना चाहिए. इस प्रकार हम धारा 7 के आवेदन को स्वीकार करने और अपील को खारिज करने के एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखते हैं.
अब आगे क्या होगा
अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर को सीओसी (ऋणदाताओं की समिति) का गठन करने और कानून के अनुसार सीआईआरपी के साथ आगे बढ़ने की भी अनुमति दे दी. सुपरटेक रियल्टर्स भी रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक की अनुषंगी कंपनी है. यह समूह की कुछ अन्य कंपनियों के साथ दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही है. इससे पहले एनसीएलएटी ने प्रवर्तक राम किशोर अरोड़ा की याचिका पर ऋणदाताओं के गठजोड़ सीओसी के गठन की प्रक्रिया पर तीन जुलाई, 2024 तक रोक लगा दी थी.
क्या है सुपरनोवा प्रोजेक्ट
सुपरटेक रियल्टर्स ने साल 2012 में नोएडा के सेक्टर-94 में 70,002 वर्गमीटर भूमि पर 2,326.14 करोड़ रुपये की लागत से ‘सुपरनोवा परियोजना’ शुरू की थी. इसे दिल्ली-एनसीआर की सबसे ऊंची बिल्डिंग माना जा रहा है, जिसकी ऊंचाई 300 मीटर यानी करीब 984 फुट है और इस बिल्डिंग को 80 मंजिल का बनाया जा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि कंपनी के दिवालिया हो जाने के बाद इस प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य एक बार फिर अटक सकता है और 13 साल से पूरे होने का इंतजार कर रही है यह बिल्डिंग अभी और इंतजार कराएगी.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 14, 2025, 17:20 IST