ये गांव शहर से भी आगे! 100% डिजिटल ग्राम पंचायत, महिलाओं के हाथ में हैं कमान

12 hours ago

अमरेली: गुजरात के अमरेली जिले की कई ग्राम पंचायतें महिलाओं द्वारा चलायी जा रही हैं. ये महिलाएं इस ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. अब गांव शहरों की तरह स्मार्ट बन रहे हैं और स्मार्ट सिटी को टक्कर देने के लिए गांव की महिलाएं कड़ी मेहनत कर रही हैं और गांव में सभी प्रकार की सुविधाएं तैयार कर रही हैं. देवराजिया गांव अमरेली जिले के स्मार्ट गांव के रूप में प्रसिद्ध है, तो चलिए इसके बारे में जानते हैं…

100 प्रतिशत डिजिटल ग्राम पंचायत
सगुणाबेन कौशिकभाई वेकारिया 37 साल की हैं और इन्होंने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. सगुणाबेन देवराजिया गांव की सरपंच हैं. इन्होंने पहले पांच साल उप0सरपंच के रूप में सेवा की और अब वर्तमान में सरपंच के रूप में कार्यरत हैं. गांव के अंदर का पूरा पैनल महिला-प्रमुख है, जिसमें सरपंच, उपसरपंच और सदस्य महिलाएं हैं, और विकास कार्य महिलाएं ही चला रही हैं.

लोकल 18 से बात करते हुए सगुणाबेन ने बताया कि गांव की ग्राम पंचायत 100 प्रतिशत डिजिटल है और यहां के आंगनवाड़ियों और प्राइमरी स्कूलों में भी डिजिटल और मॉडर्न सुविधाएं हैं. गांव के मुख्य प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी फुटेज और स्ट्रीट लाइट्स हैं. साथ ही, पूरा गांव रात में रोशन होता है. गांव के प्रवेश से लेकर गांव के सभी हिस्सों तक पक्की सड़कों का निर्माण किया गया है और हर घर तक पीने के पानी की टंकी के कनेक्शन दिए गए हैं, जहां पानी की आपूर्ति आवश्यकता के अनुसार की जाती है.

गांव में आधुनिक सुविधाएं
गांव में एक अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया गया है, ताकि गांव का पानी सही तरीके से निपट सके. इसके अलावा, पीने के पानी के लिए गांव में एक मुख्य एरो पंप तैयार किया गया है, जिससे सभी ग्रामीणों को पानी की आपूर्ति की जाती है. इस समय, गांव में एक ओपन थिएटर का निर्माण शुरू हो चुका है. अमरेली जिला का यह पहला गांव होगा, जहां ओपन थिएटर बनेगा.

महापुरुषों की मूर्तियां और डिजिटल बस स्टैंड
बाबूभाई नरसिंहभाई खावेलिया ने आगे बताया कि उनके गांव के प्रवेश द्वार पर महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. इनमें बाबासाहेब अंबेडकर, स्वामी विवेकानंद, सरदार वल्लभभाई पटेल और अन्य महान पुरुषों की मूर्तियां शामिल हैं. गांव के प्रवेश द्वार के पास एक डिजिटल बस स्टैंड भी स्थित है. इसके पास ही एक पुराना खोड़ू (E.S.) है. 1960 से 2000 तक का पुराना ट्यूब हाउस, बैल, बैल गाड़ियां, महिला बर्तन, लावो, गिर गाय, कृषि यंत्र और पुराने समय की सभी चीजों को एक जीवंत प्रदर्शन (Perform Live) के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जो अतीत की याद दिलाती है.

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गांव में शांति और भाईचारे का माहौल
बता दें कि गांव में दोनों तरफ के तोपों की मूर्तियां भी मुख्य प्रवेश द्वार पर रखी गई हैं. गांव के अंदर बाग-बगिचे हैं और यहां बैठने के लिए बेंच, कुर्सियां और पेड़ की ट्रंक्स से बनी कुर्सियां भी रखी गई हैं. गांव के अंदर सभी लोग भाईचारे और शांतिपूर्ण माहौल में रहते हैं. इस गांव की जनसंख्या लगभग 1500 है, जिनमें से कई लोग सरकारी नौकरी करते हैं, जबकि कई लोग शहरों जैसे सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा में बसकर व्यापार कर रहे हैं.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

December 4, 2024, 12:15 IST

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