'ये बदले की कार्रवाई'.. RG Kar Protest में शामिल डॉक्टरों के ट्रांसफर से बवाल!

1 day ago

Last Updated:May 28, 2025, 15:16 IST

RG Kar doctors protest:आरजी कर आंदोलन में शामिल तीन डॉक्टरों को काउंसलिंग के बावजूद दूरदराज अस्पतालों में पोस्टिंग दी गई. मेडिकल समुदाय ने इसे बदले की कार्रवाई बताया और आंदोलन की चेतावनी दी.

'ये बदले की कार्रवाई'.. RG Kar Protest में शामिल डॉक्टरों के ट्रांसफर से बवाल!

प्रतीकात्मक तस्वीर

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज से जुड़े तीन सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की पोस्टिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. ये तीनों डॉक्टर्स आरजी कर आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे थे, और अब उन्हें कोलकाता से दूर के अस्पतालों में भेजा गया है. मेडिकल कम्युनिटी के कई लोग इस फैसले को बदले की कार्रवाई बता रहे हैं. वहीं, खुद डॉक्टर्स का कहना है कि यह पोस्टिंग नियमों और काउंसलिंग प्रक्रिया का उल्लंघन है.

डॉक्टर्स बोले- काउंसलिंग के लिए बदली पोस्टिंग
इन डॉक्टर्स का कहना है कि उन्होंने मेडिकल काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत अपनी पसंद के अस्पताल चुने थे और उस वक्त की मेरिट लिस्ट और खाली पदों के हिसाब से उन्हें पसंद की जगह मिलने चाहिए थी. लेकिन फाइनल पोस्टिंग लिस्ट आने के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें कहीं और भेजा गया है. डॉक्टर अनीकेत महता ने बताया, “मैंने काउंसलिंग में आरजी कर मेडिकल कॉलेज चुना था, लेकिन अब मुझे रायगंज मेडिकल कॉलेज भेजा गया है. ये साफ तौर पर बदले की भावना है.”

बाकी सभी को मिला पसंदीदा स्थान
मंगलवार को जारी सीनियर रेजिडेंट बॉन्ड पोस्टिंग की सूची में कुल 871 डॉक्टरों के नाम हैं. सूत्रों के मुताबिक इनमें से सिर्फ तीन – अनीकेत महता (एनेस्थीसिया), असफाकुल्ला नय्या (ईएनटी) और देबाशीष हल्दर – को ही उनकी काउंसलिंग में चुनी गई जगहों से अलग पोस्टिंग मिली है. असफाकुल्ला ने अरमबाग मेडिकल कॉलेज चुना था, लेकिन उन्हें पुरुलिया मेडिकल कॉलेज भेजा गया. देबाशीष हल्दर को भी हावड़ा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की जगह गजोल सब-डिविजनल हॉस्पिटल भेज दिया गया है.

बॉन्ड पोस्टिंग का नियम बना नई बहस का कारण
राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल छात्र को अपनी डिग्री पूरी करने के बाद तीन साल की बॉन्ड पोस्टिंग करनी होती है. पहले साल उन्हें किसी मेडिकल कॉलेज में सेवा देनी होती है और बाकी दो साल वे किसी जिला या उप-जिला अस्पताल में तैनात होते हैं. लेकिन इन तीन डॉक्टर्स का कहना है कि उन्होंने बॉन्ड के पहले हिस्से की सेवा पूरी कर ली थी, फिर भी उन्हें मनमानी तरीके से शहर से दूर भेजा गया है.

टीएमसी का पलटवार – ‘कब तक चलाएंगे आरजी कर आंदोलन की ढाल’
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा, “कब तक ये लोग आरजी कर आंदोलन की ढाल लेकर चलते रहेंगे? ये सभी डॉक्टर जानते थे कि सरकारी सेवा में ट्रांसफर सामान्य बात है. क्या ये चाहते हैं कि हमेशा कोलकाता में ही पोस्टिंग हो? जब दूसरे सरकारी कर्मचारी ट्रांसफर होते हैं, तो डॉक्टर क्यों नहीं?”

जूनियर डॉक्टर्स ने कहा होगा आंदोलन
अपनी पोस्टिंग को लेकर नाराज जूनियर डॉक्टर्स स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से जवाब मांगने पहुंचे लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. अब इन डॉक्टर्स ने आंदोलन की चेतावनी दी है. उनका साथ देने के लिए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स, सर्विस डॉक्टर्स फोरम और मेडिकल सर्विस सेंटर जैसी सीनियर डॉक्टर्स की संस्थाएं भी आगे आई हैं.

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Kolkata,West Bengal

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