Release 44 Indians serving in Russian Army: भारत ने रूसी सेना में मौजूदा वक्त में काम कर रहे 44 भारतीय नागरिकों की तत्काल रिहाई की मांग की है. इसके अलावा मास्को से अपने मिलिट्री रैंक्स में भारतीयों की भर्ती बंद करने की गुजारिश की है. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन आंकड़ों की पुष्टि की है. प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने कहा कि सरकार रशियन अधिकारियों और अफेक्टेड लोगों के परिवारों, दोनों के संपर्क में है. उन्होंने भारतीय नागरिकों की जिंदगी के लिए गंभीर जोखिम का हवाला देते हुए इस तरह की भर्ती के प्रस्तावों को स्वीकार न करने की चेतावनी दी है.
"इस तरह की प्रैक्टिस खत्म हो"
जायसवाल ने जोर देकर कहा कि नई दिल्ली ने मास्को के साथ बार-बार इस मुद्दे को उठाया है और इन लोगों की जल्द रिहाई और इस प्रैक्टिस को खत्म करने की मांग की है. उनका ये बयान उसी दिन आया जब विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने नई दिल्ली में रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको (Andrey Rudenko) से मुलाकात की, जहां उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग और वैश्विक विकास पर चर्चा की. ये मुद्दा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की दिसंबर में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत की प्लांड विजिट से पहले भी उठा है.
पहले भी आए हैं ऐसे मामले
ये पहली बार नहीं है जब ऐसा मामला सामने आया है. जुलाई में, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह (Kirti Vardhan Singh) ने संसद को बताया कि रूसी सेना में सेवारत 127 भारतीयों में से 98 को लगातार राजनयिक कोशिशों के जरिए रिहा कर दिया गया. हालांकि, 13 अभी भी वहीं हैं और 12 लापता बताए गए हैं. इस साल की शुरुआत में, विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की थी कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग में शामिल होते हुए 12 भारतीय नागरिकों की मौत हुई थी.
मानव तस्करी का मामला
ये सिचुएशन एक मानव तस्करी नेटवर्क से जुड़ी हुई है, जिसने भारतीयों को विदेश में नौकरी का झूठा वादा करके लुभाया और फिर उन्हें रूस-यूक्रेन कॉन्फ्लिक्ट जोन में भेज दिया, जिसके कारण भारत ने उनकी सुरक्षा और स्वदेश वापसी के लिए कड़ा रुख अपनाया.
(इनपुट-एएनआई)

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