राजगोपाल चिदंबरम: पोखरण न्यूक्लियर टेस्ट ने हिला दी थी दुनिया, कांपा था पड़ोसी

2 days ago

नई दिल्ली. भारत को परमाणु शक्ति बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबरम का शुक्रवार देर रात निधन हो गया. वह 88 वर्ष के थे. उन्होंने पोखरण-1 (1977) और पोखरण-2 (1998) के परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी.

परमाणु ऊर्जा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि परमाणु हथियार कार्यक्रम से जुड़े रहे चिदंबरम ने मुंबई के जसलोक अस्पताल में शनिवार तड़के तीन बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली. 11 नवंबर, 1936 को चेन्नई में जन्मे डॉ. राजगोपाल चिदंबरम को भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है.

उन्होंने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था. चिदंबरम को 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण प्रदान किया गया था. चिदंबरम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव के तौर पर भी काम किया. इसके अलावा वह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे थे.

पीएम मोदी ने जताया दुख
पोखरण परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले देश के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. राजगोपाल चिदंबरम के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “डॉ. राजगोपाल चिदंबरम के निधन से बहुत दुख हुआ. वे भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे और उन्होंने भारत की वैज्ञानिक और सामरिक क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्हें पूरा देश कृतज्ञता के साथ याद करेगा और उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे.”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने लिखा, “आर. चिदंबरम, जिनका हाल ही में निधन हो गया, भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के दिग्गजों में से एक थे और उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय तक इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने मई 1974 में पोखरण-1 और मई 1998 में पोखरण-2 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 2002 से 2018 तक वे भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार रहे और उनका डॉ. मनमोहन सिंह के साथ विशेष संबंध था. पूरी शिक्षा भारत में हासिल करने के बावजूद, उन्होंने परमाणु भौतिकी में वैश्विक स्तर पर एक मजबूत प्रतिष्ठा बनाई. लेकिन वे सिर्फ एक परमाणु भौतिक विज्ञानी नहीं थे. वे विभिन्न विषयों में गहरी जानकारी और विद्वता रखने वाले व्यक्ति थे. उनसे मिलना और उनकी बातें सुनना हमेशा एक गहरा शिक्षण अनुभव होता था. डॉ. चिदंबरम अपने अंतिम समय तक बौद्धिक रूप से बहुत सक्रिय थे। उनके जैसे लोग बहुत, बहुत कम होते हैं.”

Tags: Narendra modi, Nuclear weapon

FIRST PUBLISHED :

January 4, 2025, 16:32 IST

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