Last Updated:April 14, 2025, 15:34 IST
Tamil Nadu Governor R N Ravi Jai Shriram Controversy: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने छात्रों से 'जय श्रीराम' का नारा लगवाया, जिससे विवाद हुआ. DMK ने इसे संविधान के खिलाफ बताया, तो चलिए इस पर विशेषज्ञों की र...और पढ़ें

तमिलनाडु राज्यपाल आर.एन. रवि के 'जय श्रीराम' बयान पर विवाद.
हाइलाइट्स
राज्यपाल ने छात्रों से 'जय श्रीराम' का नारा लगवाया.DMK ने इसे संविधान के खिलाफ बताया.विशेषज्ञों ने इसे धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन माना.चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उनका एक बयान विवाद का कारण बना है. हाल ही में उन्होंने एक सरकारी कॉलेज के कार्यक्रम में छात्रों से ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने के लिए कहा. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने छात्रों से तीन बार ‘जय श्रीराम’ कहने को कहा. जिसके बाद इस बयान के चलते तमिलनाडु की सियासत में हलचल मच गई है.
DMK ने इस मुद्दे पर राज्यपाल पर हमला बोला है. गौरतलब है कि यह DMK और राज्यपाल के बीच कोई पहली टसल नहीं है. पहले भी राज्यपाल और सरकार के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर मतभेद हो चुके हैं. अब एक बार फिर राज्यपाल के इस बयान पर कई सवाल उठ रहे हैं? संविधान इस पर क्या कहता है? आइए जानते हैं…
जानिए पूरा मामला?
यह घटना शनिवार को उस समय हुई जब मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रवि मदुरै के त्यागराज इंजीनियरिंग कॉलेज में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें राज्यपाल छात्रों को धार्मिक नारे लगाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस वीडियो में राज्यपाल रवि को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “आइए हम भगवान श्री राम को श्रद्धांजलि दें. मैं कहता हूं, और आप कहें – जय श्री राम,” जिसके जवाब में छात्र नारे लगाते हैं. बता दें कि MK स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार ने इस कदम की कड़ी निंदा की है, पार्टी ने रवि पर “आरएसएस विचारक” की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया है.
CNN-News18 से बात करते हुए, DMK प्रवक्ता सलेम धरणीधरन ने कहा कि रवि की कार्रवाई देश के संविधान के खिलाफ है. “यह हैरान करने वाला है कि राज्यपाल एक इंजीनियरिंग कॉलेज का दौरा करेंगे और छात्रों से एक विशेष धर्म के शब्दों का जाप करवाएंगे. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, कॉलेज के कार्यक्रम में इस तरह के धार्मिक रंग थोपना हमारे संविधान के खिलाफ है”
संविधान और धर्मनिरपेक्षता
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता को अपनी नींव मानता है. इसका मतलब है कि राज्य का किसी विशेष धर्म के प्रति कोई झुकाव नहीं होना चाहिए. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में धर्म की स्वतंत्रता दी गई है, जो यह कहता है कि हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, अभ्यास (practice) करने और फैलाने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार किसी भी सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता या स्वास्थ्य के विपरीत नहीं होना चाहिए.
साथ ही, अनुच्छेद 27 के तहत राज्य को किसी भी धर्म के प्रचार या उसका समर्थन करने के लिए करों का इस्तेमाल करने से मना किया गया है. इसका मतलब यह है कि राज्य को किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने का अधिकार नहीं है. ऐसे में राज्यपाल द्वारा ‘जय श्रीराम’ जैसे धार्मिक नारे को बढ़ावा देना संविधान की धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ हो सकता है.
विशेषज्ञों की राय
DNA की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता टेकचंद का कहना है कि राज्यपाल का यह कृत्य संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 14, 15, और 28 का उल्लंघन कर सकता है. ये अनुच्छेद राज्य की धर्मनिरपेक्षता और सभी नागरिकों के बीच समानता का संरक्षण करते हैं. जब राज्य के एक उच्च पदाधिकारी सार्वजनिक मंच पर छात्रों से धार्मिक नारे लगवाते हैं, तो यह संविधान के खिलाफ हो सकता है.
वरिष्ठ वकील ए.पी. विनोद का भी मानना है कि संविधान में किसी राज्यपाल को छात्रों से किसी विशेष धार्मिक नारे को लगवाने का अधिकार नहीं दिया गया है. यह गतिविधि राज्य के धार्मिक प्रचार को बढ़ावा दे सकती है, जो भारतीय संविधान के खिलाफ है.
क्या यह चुनौती दी जा सकती है?
इस बयान को कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सुमित बहुगुणा का कहना है कि राज्यपाल को इस तरह की गतिविधि करने का अधिकार नहीं है. यदि राज्यपाल इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं, तो यह संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत (Principles of Secularism) का उल्लंघन हो सकता है. इस पर राज्य सरकार या अन्य व्यक्ति उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.
First Published :
April 14, 2025, 15:34 IST