Last Updated:August 03, 2025, 09:58 IST
₹61000 crore deal with Safran: भारत फ्रांसीसी कंपनी सैफ्रान के साथ 61 हजार करोड़ रुपये की डील पर बातचीत कर रहा है. इसके तहत भारत में पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के लिए इंजन बनाने का प्रस्ताव है. लेकिन, भारत इस...और पढ़ें

हाइलाइट्स
भारत ने पांचवीं पीढ़ी का AMCA प्रोग्राम शुरू किया है.इसके लिए भारत को इंजन की जरूरत है.भारत आज भी फाइटर जेट्स के लिए इंजन नहीं बना पाता है.चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से घिरा भारत लड़ाकू विमानों की संख्या के मामले में चुनौती का सामना कर रहा है. भारत के पास लड़ाकू विमानों के स्क्वायड्रन की संख्या घटकर 29 हो गई है. जबकि चीन के पास फाइटर जेट्स के करीब 66 और पाकिस्तान के करीब 25 स्क्वायड्रन हैं. इतना ही नहीं चीन अपनी सेना को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों से लैस कर चुका है. साथ ही वह पाकिस्तानी एयरफोर्स को भी ये विमान दे रहा है. ऐसे में भारत के सामने एक तरह की संकट की घड़ी पैदा हो गया है. भारत लंबे समय से इस कमी को पूरा करने के लिए अपना फाइटर जेट विकसित करने में लगा है. इसमें उसको सफलता भी मिल गई है, लेकिन विदेशी कंपनियों की अड़चन के कारण यह काम तेज गति नहीं चल पा रहा है.
दरअसल, भारत देसी फाइटर जेट प्रोग्राम तेजस चल रहा है. इस विमान के कई वर्जन हैं और इसके सबसे एडवांस वर्जन तेजस MKII को 4.5 पीढ़ी का फाइटर जेट माना जाता है. लेकिन, अभी तक इसका प्रोडक्शन शुरू नहीं हुआ. इसमें सबसे बड़ा अड़चन अमेरिकी कंपनी जीई है. इन विमानों में जीई कंपनी के इंजन लगाए जाने हैं लेकिन, जीई इंजन की ओर से सप्लाई में काफी देर हो रही है. इससे प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. दूसरी तरफ भारत के लड़ाकू विमानों की संख्या लगातार घट रही है. अलगे कुछ दिनों में भारत अपने सबसे पुराने लड़ाकू विमानों मिग-21 के अंतिम दो स्क्वायड्रन को भी रिटायर करने जा रहा है.
भारत का एएमसीए प्रोग्राम
इस बीच, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपने पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट प्रोग्राम एडवांस मेडियम कम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) की घोषणा की. अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले करीब 10 साल में भारतीय वायुसेना के पास अपना देसी 5th जेन फाइटर जेट होगा. अब भारत इस फाइटर जेट के लिए भी इंजन की तलाश में है. दरअसल, फाइटर जेट का इंजन आज भी एक बेहद जटिल इंजीनियरिंग है. दुनिया में चुनिंदा कंपनियों को ही इसमें महारथ हासिल है. सबसे नामी कंपनी अमेरिका की जीई है. लेकिन, जीई के साथ भारत के अनुभव बहुत अच्छे नहीं हैं.
ऐसे में भारत अब अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है. इसमें एक बड़ा नाम सैफ्रान का है. यह फ्रांसीसी कंपनी है और यह भी दुनिया की सबसे नामी लड़ाकू विमान कंपनी है. इसे राफेल लड़ाकू विमानों की मम्मी कहा जाता है. इसी कंपनी राफेल लड़ाकू विमान बनाए हैं. एविएशन इंडस्ट्री में जीई की तरह सैफ्रान के इंजन को भी उच्च दर्जा प्राप्त है.
61 हजार करोड़ की डील
कहते है न कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंककर पीता है. कुछ ऐसा ही हाल भारत का है. इस समय भारत ऐसी ही स्थिति से गुजर रहा है. भारत ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस प्रोग्राम 1984 में शुरू किया था. लेकिन आज तक पूरी तरह इस प्रोग्राम पर भारत खरा नहीं उतरा है. इस पूरे सफर में मिले बुरे अनुभवों के कारण भारत पांचवीं पीढ़ी के विमानों के विकास में किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है. क्योंकि समय बहुत निकल गया है. पानी अब तक नाक तक पहुंच गया है.
इसी कारण भारत अब किसी एक कंपनी पर निर्भर नहीं रहना चाहता. उसने सैफ्रान के साथ 61 हजार करोड़ रुपये की डील पर बातचीत शुरी कही है. इसके तहत पांचवीं पीढ़ी के जेट के लिए भारत में ही इंजन बनाए जाएंगे. इसके लिए सैफ्रान और भारत की सरकारी कंपनी एचएएल के बीच साझेदारी होगी. इससे पहले ये दोनों कंपनियां मिलकर शक्ति इंजन का विकास कर चुकी हैं. ये इंजन एडवांस लाइट हेलीकॉप्टरों में इस्तेमाल हो रहे हैं. अब तक 350 से अधिक शक्ति इंजन बनाए जा चुके हैं. इसी कारण भारत एक बार सैफ्रान पर भरोसा कर रहा है.
पुरान अनुभव ठीक नहीं
लेकिन, हेलीकॉप्टर के लिए इंजन बनाना और पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए इंजन बनाना दोनों में काफी अंतर है. इस फाइटर जेट इंजन के मामले में सैफ्रान की रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा नहीं है. जानकार बताते हैं कि सैफ्रान भी टेक्नोलॉजी ट्रांफसर करने में काफी आनाकनी करता है. यहां तक कि शक्ति इंजन के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसकर में उसने करीब 20 सालों की देरी कर दी. ऐसे में जानकार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अगर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बात हो रही है तो उसे एक निश्चित टाइम में पूरा किया जाए वरना भारत के लिए चुनौती पैदा हो जाएगी. भारत ने इन्हीं अड़चनों की वजह अपने स्वदेसी इंजन कावेरी को डेवलप किया था लेकिन वह इंजन उतना दमदार साबित नहीं हुआ जितना की एक फाइटर जेट के लिए जरूरत होती है.
120 kN की ताकत वाले इंजन चाहिए
भारत को एमका प्रोग्राम के लिए 120 किलोन्यूटन (kN) की ताकत वाले इंजन चाहिए और इसके लिए सैफ्रान से समझौते की बात चल रही है. यह सौदा एक दो हजार करोड़ नहीं बल्कि कुल 61 हजार करोड़ है. इसके लिए इसके कंप्लीट ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी और फुल इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट (IPR) के ट्रांसफर की बात चल रही है. आईपीआर मिलना सबसे अहम चीज है. ऐसा हो जाता है तो भविष्य में भारत इन इंजनों में कोई भी बदलाव कर सकेगा. उसे अपग्रेड कर सकेगा और भारत के पास भारत में बनने वाले इन इंजनों को एक्सपोर्ट करने का भी अधिकार हासिल हो जाएगा.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
और पढ़ें
First Published :
August 03, 2025, 09:58 IST