Last Updated:May 09, 2025, 19:38 IST
Baba Ramdev News: रूह अफजा को लेकर रामदेव ने जो विवाद वीडियो शेयर किया था उस मामले में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने बंद कर दिया है. शरबत जिहाद के इस मामले में रामदेव के वकीलों ने अदालत को जो बताया उसके बाद जज...और पढ़ें

बाबा रामदेव की दलीलों के बाद कोर्ट ने बंद किया केस
हाइलाइट्स
हाईकोर्ट में रामदेव और पतंजलि ने दायर किया हलफनामाआपत्तिजनक वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटा दिए गएन्यायमूर्ति बंसल की पीठ ने रामदेव को फटकार लगाई थीनई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव की तरफ से अदालत में जो दलील दी गई उसके बाद जज ने रूह अफजा केस की सुनवाई बंद कर दी. हाईकोर्ट में शुक्रवार को फार्मास्युटिकल और फूड कंपनी हमदर्द द्वारा दायर एक मुकदमे को बंद कर दिया, जिसमें पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव के विवादास्पद वीडियो को हटाने की मांग की गई थी. इन वीडियो में कंपनी के लोकप्रिय पेय ‘रूह अफजा’ को ‘शरबत जिहाद’ से जोड़ने का दावा किया गया था.
न्यायमूर्ति अमित बंसल की सिंगल बेंच ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि द्वारा दायर हलफनामे पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया था कि आपत्तिजनक वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटा दिए गए हैं. इससे पहले हफ्ते, न्यायमूर्ति बंसल की पीठ ने रामदेव को फटकार लगाई थी, जब उन्हें बताया गया कि रामदेव ने हमदर्द के खिलाफ एक और आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट किया है, जबकि उन्होंने पहले यह वादा किया था कि वह भविष्य में ऐसे बयान, विज्ञापन और सोशल मीडिया पोस्ट नहीं करेंगे.
क्या कहा था हाईकोर्ट ने…
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि नया वीडियो प्रथम दृष्टया अवमाननापूर्ण है और रामदेव को अवमानना नोटिस जारी करने का संकेत दिया था, साथ ही उनकी उपस्थिति की मांग की थी. प्रतिकूल आदेश की आशंका के चलते, रामदेव के वकील ने न्यायमूर्ति बंसल की पीठ के सामने सहमति व्यक्त की कि आपत्तिजनक हिस्सों को 24 घंटे के भीतर सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटा दिया जाएगा.
क्या था रामदेव का दावा?
रामदेव ने पतंजलि के ‘गुलाब शरबत’ का प्रचार करते हुए दावा किया था कि रूह अफ़ज़ा की मूल कंपनी हमदर्द अपने लाभ का उपयोग मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में कर रही है. बाद में उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का उल्लेख नहीं किया था. हमदर्द की याचिका पर पहले सुनवाई में, जिसमें रामदेव के एक पूर्व वीडियो को लेकर रोक लगाने की मांग की गई थी, दिल्ली हाईकोर्ट ने योग गुरु को साम्प्रदायिक टिप्पणियों के लिए फटकार लगाई थी. जस्टिस बंसल ने कहा था कि यह अदालत की अंतरात्मा को झकझोरता है. यह असमर्थनीय है.
कोर्ट ने वीडियो हटाने का दिया था आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा आदेश देने का संकेत देने के बाद, रामदेव के वकील ने विवादास्पद वीडियो और विज्ञापन को हटाने पर सहमति व्यक्त की थी. अदालत ने रामदेव को हलफनामे पर यह वादा करने के लिए कहा था कि वह भविष्य में ऐसे बयान, विज्ञापन और सोशल मीडिया पोस्ट नहीं करेंगे, और मामले की अगली सुनवाई 1 मई को तय की थी. हमदर्द के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऐसे वीडियो “एक पल के लिए भी” अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, और जोड़ा कि रामदेव ने पहले भी हर्बल हेल्थ कंपनी हिमालय पर हमला किया था क्योंकि वह भी एक मुस्लिम के स्वामित्व में है.
रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही का उल्लेख किया, जिसमें भ्रामक विज्ञापनों के निरंतर प्रकाशन और एलोपैथी को निशाना बनाने का आरोप था. पिछले साल अगस्त में, दोनों को सुप्रीम कोर्ट के सामने व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने और प्रमुख समाचार पत्रों में पतंजलि द्वारा प्रकाशित सार्वजनिक माफी के कारण अवमानना नोटिस से मुक्त कर दिया गया था.
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