Last Updated:September 08, 2025, 05:41 IST
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर दूसरे चरण के कड़े प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की उनकी रणनीति का हिस्सा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मसीहा बनना चाहते हैं. वह रूस और यूक्रेन के बीच जंग खत्म करना चाहते हैं. मकसद नोबेल शांति पुरस्कार पर दावेदारी. मगर कोई उनकी बात मानने को तैयार नहीं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग खत्म होती नहीं दिख रही. रूस का यूक्रेन पर लगातार हमला जारी है. इससे डोनाल्ड ट्रंप खिसिया गए हैं. इस कारण अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. अब तो उन्होंने रूस पर और प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है. जी हां, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह रूस पर ‘दूसरे चरण’ के प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं. अब सवाल है कि आखिर सैंक्शन केस दूसरे चरण में क्या होगा?
डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शांति को चुनौती देता रहा तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश कहीं ज्यादा सख्त आर्थिक कदम उठाएंगे. दरअसल, पहले सैंक्शन के चरण में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस के बैंकों, बड़ी कंपनियों, हथियारों और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर रोक लगाई थी. इसके बाद रूस को डॉलर और यूरो में लेन-देन करने में बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ीं. अब जब अमेरिका दूसरे चरण के प्रतिबंधों को लगाएगा तो रूस पर बड़ा प्रहार होगा. ट्रंप से पहले मेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा था कि अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर और अधिक प्रतिबंध लगाते हैं तो रूसी अर्थव्यवस्था ‘ध्वस्त’ हो जाएगी.
दरअसल, दूसरे चरण के प्रतिबंध मुख्य रूप से ‘सेकेंडरी सैंक्शंस’ हैं. ये रूस से तेल और ऊर्जा खरीदने वाले देशों को टारगेट करेंगे. ट्रंप प्रशासन के मुताबिक, ये प्रतिबंध रूस की तेल आय को और कम करेंगे. अमेरिका के मुताबिक, यह रूस की युद्ध मशीनरी का मुख्य स्रोत है. पहले चरण में रूस के बैंकों, ऊर्जा क्षेत्र और निर्यात पर प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन अब फेज टू में भारत और चीन जैसे देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जा सकते हैं. ट्रंप ने पहले ही भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. इससे भारत पर कुल टैरिफ 50 फीसदी है.
दूसरे चरण के प्रतिबंध में क्या-क्या होगा
रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध: अमेरिका ने साफ कहा है कि रूस से कच्चा तेल आयात करने वाले देशों पर अतिरिक्त टैरिफ या प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. इसका मतलब है कि भारत और चीन पर भी प्रतिबंध लगेंगे. अमेरिका का मकसद रूस की तेल आय को कम करना है.
बैंकिंग और वित्तीय प्रतिबंध: दूसरे चरण में रूस के प्रमुख वित्तीय संस्थानों पर और सख्त प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं. पहले से ही रूस के वित्तीय संस्थानों पर कई प्रतिबंध हैं, जो उनकी वैश्विक बाजारों तक पहुंच और ऋण प्राप्त करने की क्षमता को सीमित करते हैं.
ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्रों पर प्रतिबंध: दूसरे प्रतिबंध में रूस के ऊर्जा क्षेत्र मसलन गैस, तेल और पाइपलाइन कंपनियों को टारगेट किया जा सकता है. वैसे भी पहले से ही रूस के औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं.
अमेरिका अगर रूस पर दूसरा प्रतिबंध लगाता है तो इसका असर व्यापक होगा. अगर ऐसा होता है तो भारत पर इसका सीधा असर पड़ेगा. कारण कि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है. साल 2025 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया. पश्चिमी देशों के पहले चरण के प्रतिबंधों के बावजूद भारत को सस्ते दाम पर कच्चा तेल मिला, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें कुछ हद तक काबू में रहीं.लेकिन अगर दूसरा चरण लागू होता है तो क्या होगा?
रूस से तेल खरीदना मुश्किल हो सकता है या इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
पेमेंट सिस्टम यानी डॉलर/स्विफ्ट बंद हुआ तो भारत को रुपया-रूबल व्यापार पर और निर्भर रहना पड़ेगा.
भारत के दवा, रक्षा और उर्वरक आयात पर भी असर पड़ सकता है.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
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First Published :
September 08, 2025, 05:41 IST