लश्कर और जैश ने बांग्लादेश में फैलाया नेटवर्क, भारतीय छात्रों को बनाया निशाना

1 day ago

Last Updated:June 02, 2025, 15:05 IST

Bangladesh News: लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी के साथ मिलकर भारतीय छात्रों को कट्टरपंथ की ओर धकेलने का अभियान शुरू किया है. ISI का समर्थन प्राप्त है.

लश्कर और जैश ने बांग्लादेश में फैलाया नेटवर्क, भारतीय छात्रों को बनाया निशाना

लश्कर का कमांडर सैफुल्लाह खालिद.

हाइलाइट्स

लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने बांग्लादेश में नेटवर्क फैलाया.भारतीय छात्रों को कट्टरपंथ की ओर धकेलने का अभियान शुरू.ISI का समर्थन प्राप्त, जमात-ए-इस्लामी के साथ गठजोड़.

Bangladesh News: लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने बांग्लादेश में नया मोर्चा खोल लिया है. ये आतंकी संगठन वहां के कट्टरपंथी समूहों के साथ मिलकर भारतीय छात्रों को निशाना बना रहे हैं. खुफिया सूत्रों के हवाले से हमारे सहयोगी CNN-News18 को मिली जानकारी के मुताबिक बांग्लादेश की यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को कट्टरपंथ की ओर धकेला जा रहा है. इसके लिए आतंकी संगठन वहां के कट्टरपंथी संगठनों का सहारा ले रहे हैं.

लश्कर और जैश ने बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी के साथ गठजोड़ किया है. यह एक क्रॉस-बॉर्डर वैचारिक नेटवर्क है. बांग्लादेश की यूनिवर्सिटी में इन संगठनों को वैध पहुंच मिल रही है. वहां भारतीय छात्रों को भड़काने का काम हो रहा है. लश्कर की रणनीति तीन मुख्य आधारों पर टिकी है. पहला है स्थानीय कट्टरपंथियों के साथ वैचारिक गठजोड़. दूसरा है संस्थागत कमजोरी का फायदा उठाना. तीसरा है सीमा पार से संचालन की आजादी. खुफिया सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की ISI इसका समर्थन कर रही है.

जमात की छात्र शाखा इस्लामी छत्र शिबिर इन आतंकियों की मदद कर रही है. यह संगठन यूनिवर्सिटी में छात्र नेटवर्क तक पहुंच देता है. हॉस्टल और इस्लामी स्टडी सर्कल का इस्तेमाल भर्ती के लिए हो रहा है. 2024 में जमात-ए-इस्लामी को फिर से वैधता मिलने के बाद यह काम आसान हो गया है. लश्कर और जैश ने हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी बांग्लादेश (HuJI-B) और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) जैसे समूहों के साथ मिलकर यूनिवर्सिटी के पास मदरसे खोले हैं. इन मदरसों में वहाबी-स्लाफी विचारधारा सिखाई जाती है. शिक्षा को इस्लामी पुनरुत्थान के लिए जिहाद बताया जाता है.

छात्रों को इस्लामी स्टडी सर्कल में बुलाया जाता है. वहां धार्मिक चर्चा के साथ लश्कर के प्रोपेगेंडा वीडियो दिखाए जाते हैं. ढाका यूनिवर्सिटी में ऐसे आयोजन हुए हैं. इनमें कश्मीर के मारे गए आतंकियों को शहीद बताया गया. लश्कर के हमलों के वीडियो टेलीग्राम और सिग्नल जैसे ऐप्स पर शेयर किए जाते हैं. 2025 के पहलगाम हमले का वीडियो भी छात्रों को भड़काने के लिए इस्तेमाल हुआ. कट्टरपंथी समूह आर्थिक रूप से कमजोर भारतीय छात्रों को स्कॉलरशिप और बाढ़ राहत देते हैं. 2024 की बाढ़ के बाद जमात ने राहत के साथ कट्टरपंथी साहित्य बांटा. सीनियर छात्र भारतीय युवाओं को अलग-थलग करते हैं. वे कट्टरपंथ को पहचान की रक्षा के रूप में पेश करते हैं. दाढ़ी और हिजाब जैसे ड्रेस कोड को बढ़ावा दिया जाता है.

ट्रांजिट हब के रूप में इस्तेमाल

लश्कर बांग्लादेश को ट्रांजिट हब के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. ढाका और चटगांव में कट्टरपंथी बनाए गए छात्रों को म्यांमार या नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भेजा जाता है. यह काम शैक्षिक यात्रा के बहाने होता है. भारत को मुसलमानों का दमन करने वाला बताया जाता है. नागरिकता संशोधन कानून और 2023 में मंदिर तोड़फोड़ जैसी घटनाओं का जिक्र किया जाता है. 28 मई को लाहौर के कसूर में सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद का भाषण वायरल हुआ. इसमें बंगाल के बंटवारे का जिक्र था. यह भाषण कट्टरपंथी समूहों में प्रोपेगेंडा के लिए इस्तेमाल हो रहा है.

2024 के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटा लिया. कई कट्टरपंथी नेताओं को अहम पद दिए गए. हिज्ब-उत-तहरीर के संस्थापक को गृह सचिव बनाया गया. इससे लश्कर से जुड़े संगठन जैसे अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) खुलकर काम कर रहे हैं. सरकार ने हिफाजत-ए-इस्लाम को रियायतें दीं. अनिवार्य इस्लामी शिक्षा लागू की गई. इससे मदरसों में जिहादी विचारधारा को बढ़ावा मिला. यूनिवर्सिटी में जेंडर आधारित पाठ्यक्रम लागू किए गए. इससे कट्टरपंथी विचार सामान्य हो गए.

बांग्लादेश में NGO पर निगरानी कम है. हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग से लश्कर को फंडिंग मिलती है. मध्य पूर्व, खाड़ी, सऊदी अरब और कुवैत से NGO के जरिए पैसा आता है. इसे इस्लामी विरासत और कैंपस चैरिटी के नाम पर छिपाया जाता है. ब्रिटेन की फ्रंट संस्थाओं ने भी मदरसों को फंड दिया है. कट्टरपंथी बनाए गए छात्र भारत लौटकर हमले करते हैं. असम और नगालैंड में 40 स्लीपर सेल सक्रिय हैं. 2025 के पहलगाम हमले में एक लश्कर आतंकी शामिल था. उसने हमले से पहले बांग्लादेशी अधिकारी से मुलाकात की थी. 2024 में बांग्लादेश में हिंदुओं पर 2200 हमले हुए. इससे भारत में हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ा. यह जिहादी भर्ती में मदद कर रहा है.

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