Last Updated:August 20, 2025, 12:46 IST
Vantara and Gujarat Forest Department Join Hands: गुजरात वन विभाग ने वंतारा के सहयोग से बारदा वन्यजीव अभयारण्य में 33 चित्तीदार हिरण छोड़े हैं. यह पहल अभयारण्य की जैव विविधता को पुनर्जनन और समृद्ध करने की दिशा ...और पढ़ें

Vantara and Gujarat Forest Department Join Hands: बारदा वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीव विविधता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गुजरात वन विभाग ने वंतारा के सहयोग से 33 चित्तीदार हिरण (एक्सिस एक्सिस) को एक निर्दिष्ट संरक्षित क्षेत्र में छोड़ा है. इन चित्तीदार हिरणों को आमतौर पर चीतल के नाम से जाना जाता है. वंतारा अनंत अंबानी द्वारा स्थापित एक अग्रणी वन्यजीव बचाव और संरक्षण पहल है, जिसके तहत ग्रीन्स जूलॉजिकल, रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर संचालित होता है. हिरणों को वंतारा के जामनगर स्थित एक्स-सीटू संरक्षण सुविधा से स्थानांतरित किया गया और विशेष रूप से डिजाइन की गई एम्बुलेंस में बारदा वन्यजीव अभयारण्य तक लाया गया.
पारिस्थितिक उपयुक्तता और सहायता प्रणालियों की तैयारी की पुष्टि के बाद वन विभाग की देखरेख में हिरणों को रिहा किया गया. वंतारा ने स्थापित संरक्षण प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की.
ग्रीन्स जूलॉजिकल, रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के निदेशक डॉ. बृज किशोर गुप्ता ने कहा- वंतारा ने निर्धारित संरक्षण प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी और रसद सहायता दी. गुप्ता ने कहा कि यह पहल बारदा वन्यजीव अभयारण्य की जैव विविधता को पुनर्जनन और समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
उन्होंने कहा, ”यह पहल बारदा वन्यजीव अभयारण्य की जैव विविधता को बहाल करने और समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. चित्तीदार हिरण ऐतिहासिक रूप से इस परिदृश्य में निवास करते रहे हैं और उनकी वैज्ञानिक रूप से निर्देशित पुन:प्रवेश न केवल पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आवास पुनर्जनन के व्यापक दृष्टिकोण का भी प्रतीक है.”
गुजरात वन विभाग का सक्रिय दृष्टिकोण राज्य में इन-सीटू संरक्षण ढांचे को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. गुजरात वन विभाग की यह पहल पारिस्थितिक मूल्यांकन, प्रजाति पुनर्बहाली योजना और अंतर-एजेंसी सहयोग पर आधारित है. यह राज्य में इन-सीटू संरक्षण ढांचे को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह प्रयास सार्वजनिक संस्थानों और वंतारा जैसे संगठनों के बीच साझेदारी की परिवर्तनकारी संभावनाओं को भी रेखांकित करता है. ये भारत में वन्यजीव प्रबंधन के लिए नए मानदंड स्थापित कर सकते हैं.
बारदा वन्यजीव अभयारण्य
192.31 वर्ग किलोमीटर में फैला बारदा वन्यजीव अभयारण्य, गुजरात के पोरबंदर जिले में स्थित एक जैविक रूप से समृद्ध आश्रय स्थल है. अपने विविध पुष्प समूह के लिए प्रसिद्ध यह अभयारण्य विभिन्न आवासों का ठिकाना है जो वन्यजीवों की एक विस्तृत श्रृंखला को बनाए रखता है. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार बारदा शीर्ष और मध्य स्तर के शिकारियों जैसे तेंदुए, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार और जंगली सूअर के साथ-साथ नीली गाय (नीलगाय) जैसे मजबूत शाकाहारी प्रजातियों का घर है.
अभयारण्य में कई दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियां भी आश्रय पाती हैं, जिनमें चित्तीदार ईगल और क्रेस्टेड हॉक-ईगल शामिल हैं, जो इसे शिकारी पक्षियों और अन्य वन-निर्भर पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण शरणस्थली बनाता है.
ऐतिहासिक रूप से बारदा में सांभर, चीतल और चिंकारा की समृद्ध आबादी थी, जो समय के साथ आवास विखंडन और अन्य पारिस्थितिक दबावों के कारण घट गई. अभयारण्य की अक्षुण्ण आवास संरचना और पारिस्थितिक वहन क्षमता को पहचानते हुए, वन विभाग ने इन देशी खुर वाले जानवरों को पुन:प्रवेश कराने के प्रयास शुरू किए हैं, जिसका लक्ष्य ट्रॉफिक संतुलन को बहाल करना और अभयारण्य की कार्यात्मक संरक्षण परिदृश्य के रूप में भूमिका को मजबूत करना है.
बारदा में यह पहल सरकारी नेतृत्व वाले संरक्षण प्रयासों की निरंतरता को रेखांकित करती है, जिसमें वंतारा वैज्ञानिक विशेषज्ञता, पशु चिकित्सा देखभाल और तकनीकी बुनियादी ढांचा प्रदान करके एक प्रतिबद्ध साझेदार के रूप में कार्य करता है. ये सहयोगात्मक प्रयास न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर रहे हैं और भारत की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि देश भर में भविष्य की संरक्षण पहलों के लिए एक मॉडल भी स्थापित कर रहे हैं.
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First Published :
August 20, 2025, 12:46 IST