वाससलीगंज में 'फ्रेंडली फाइट' खत्म पर राजनीति उलट-पलट हो गई, अब सीधी टक्कर

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Last Updated:October 24, 2025, 07:36 IST

Bihar Chunav Warsaliganj Vidhansabha Seat : वारसलीगंज विधानसभा सीट इस बार बिहार चुनाव की सबसे दिलचस्प कहानियों में से एक बन गई है. कांग्रेस उम्मीदवार और जिला अध्यक्ष सतीश कुमार उर्फ मंटन सिंह के अचानक नामांकन वापस लेने से पूरा चुनावी समीकरण पलट गया है. अब दो महिला उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर है और नवादा की राजनीति में जोरदार हलचल है.

वाससलीगंज में 'फ्रेंडली फाइट' खत्म पर राजनीति उलट-पलट हो गई, अब सीधी टक्करवारसलीगंज सीट पर सतीश कुमार के नामांकन वापसी से अब मुकाबला कुमारी अनिता और अरुण देवी के बीच सीधा हो गया है. चुनावी समीकरण बदल गए हैं

नवादा. बिहार विधानसभा चुनाव के बीच वारसलीगंज सीट पर एक बड़ा राजनीतिक मोड़ आ गया है. महागठबंधन के उम्मीदवार और कांग्रेस जिला अध्यक्ष सतीश कुमार उर्फ मंटन सिंह ने गुरुवार को अपना नामांकन वापस ले लिया.उनका यह कदम न केवल स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए चौंकाने वाला रहा, बल्कि इसने पूरे सीट के चुनावी समीकरण को भी बदलकर रख दिया है. इससे सीट पर मुकाबला अब दो उम्मीदवारों के बीच सीधा हो गया है. बता दें कि महागठबंधन की अंदरूनी खींचतान से शुरू हुई यह कहानी अब दो महिला उम्मीदवारों के आमने-सामने आने तक पहुंच गई है. एक तरफ बाहुबली अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनिता और दूसरी ओर पूर्व विधायक अखिलेश सिंह की पत्नी अरुण देवी. अब यह मुकाबला सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा और सामाजिक जनाधार की जंग बन चुका है.

महागठबंधन में ‘फ्रेंडली फाइट’ से पैदा हुई थी दरार

वारसलीगंज विधानसभा सीट पर इस बार महागठबंधन के भीतर ही ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति बन गई थी. राजद और कांग्रेस -दोनों दल यहां अपने-अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में थे. राजद की ओर से बाहुबली नेता अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनिता मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने अपने जिला अध्यक्ष सतीश कुमार को टिकट दिया था. दोनों ही उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने से गठबंधन के अंदर तनातनी खुलकर सामने आ गई थी. स्थिति ऐसी बनी कि कांग्रेस और राजद के वोट एक-दूसरे को काटने लगे, जिससे एनडीए के उम्मीदवार को सीधा लाभ मिलता दिख रहा था.

वारसलीगंज चुनाव में सतीश कुमार की वापसी ने समीकरणों को बदल दिया.

अशोक गहलोत की एंट्री और डैमेज कंट्रोल

बता दें कि महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के बीच तनातनी की स्थिति गंभीर होती देख कांग्रेस आलाकमान ने हस्तक्षेप किया. वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत पटना पहुंचे और महागठबंधन के भीतर डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू की. पार्टी के निर्देश के बाद सतीश कुमार ने नवादा सदर अनुमंडल कार्यालय पहुंचकर अपना नामांकन वापस ले लिया. नामांकन वापसी के बाद उन्होंने बताया, पार्टी आलाकमान से आदेश जारी हुआ है, और हमने उसी का पालन किया है. हमें संदेश मिला और हमने तुरंत नाम वापस ले लिया. हालांकि सतीश कुमार का चेहरा मायूस था और जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अब राजद उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे तो उन्होंने जवाब टालते हुए कहा- जहां पार्टी भेजेगी, मैं वहां प्रचार करूंगा. जाहिर है उनकी यह उदासीन प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि स्थानीय स्तर पर नाराजगी अभी शांत नहीं हुई है.

अब मुकाबला सीधा, अनिता बनाम अरुण देवी

सतीश कुमार के हटने के बाद अब मुकाबला सीधा दो महिलाओं के बीच हो गया है. एक ओर बाहुबली अशोक महतो की पत्नी राजद प्रत्याशी कुमारी अनिता हैं और दूसरी ओर र्व विधायक अखिलेश सिंह की पत्नी अरुण देवी एनडीए प्रत्याशी हैं. दोनों उम्मीदवारों का जनाधार अपने-अपने समुदाय में मजबूत है. जानकार बताते हैं कि अनिता को यादव, मुस्लिम और महादलित वोट का बड़ा हिस्सा मिल सकता है, वहीं अरुण देवी पर सवर्ण और व्यापारी वर्ग का भरोसा कायम है. सतीश कुमार के हटने से कांग्रेस समर्थक वोटों का झुकाव भी अब महागठबंधन की ओर जा सकता है, हालांकि यह भी हकीकत है कि सतीश कुमार के समर्थकों में असंतोष की हलचल जारी है.

वारसलीगंज सीट पर सतीश कुमार के नामांकन वापसी से अब मुकाबला कुमारी अनिता और अरुण देवी के बीच सीधा हो गया है. चुनावी समीकरण बदल गए हैं

स्थानीय समीकरण और सियासत की संभावनाएं

वारसलीगंज विधानसभा का चुनाव हमेशा स्थानीय सामाजिक समीकरणों और उम्मीदवार की छवि पर निर्भर करता रहा है. इस बार समीकरण और दिलचस्प हैं. यादव-मुस्लिम वोट राजद के साथ, सवर्ण और शहरी वोट एनडीए के साथ, जबकि कांग्रेस समर्थक वोट फिलहाल भ्रम की स्थिति में हैं. अगर बागी भावनाएं शांत नहीं हुईं तो यह असंतोष कुछ प्रतिशत वोटों को प्रभावित कर सकता है जो हार-जीत का अंतर तय करेंगे.स्थानीय राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सतीश कुमार के मैदान में रहने से वोट तीन हिस्सों में बंट जाते, लेकिन अब सीधी टक्कर ने मुकाबले को और तीखा बना दिया है.

वोटों के बिखराव का कारण बन सकता है असंतोष

बहरहाल, वारसलीगंज की लड़ाई अब सियासी से ज्यादा सामाजिक ताकत की परीक्षा बन चुकी है. सतीश कुमार के नाम वापस लेने से महागठबंधन ने फिलहाल ‘फ्रेंडली फाइट’ का संकट टाल तो दिया है, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराज़गी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. असली चुनौती अब नाराज वोटरों को साधने की है. एक ओर राजद का जनाधार और स्थानीय नेटवर्क है तो दूसरी ओर एनडीए की संगठित ताकत और महिला नेतृत्व की सहानुभूति. नतीजा चाहे जो हो-वारसलीगंज इस बार बिहार की सियासत में सबसे चौंकाने वाली कहानी लिखने जा रहा है. कह सकते हैं कि वारसलीगंज में मुकाबला अब सीधा है पर नतीजा अभी अनिश्चित है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

October 24, 2025, 07:36 IST

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