'वो अच्छा था लेकिन..' शख्स को रिजेक्ट करने के बाद दिया भगवद गीता का हवाला

4 hours ago

Last Updated:October 27, 2025, 11:56 IST

Viral Post: नौकरी के लिए रिजेक्ट होना जितना बुरा है, उतना ही किसी को रिजेक्ट करना भी. कई बार लोग अच्छे कैंडिडेट को रिजेक्ट करके काफी दुख महसूस करते हैं. ऐसा ही इस जीआईएस प्रोफेशनल के साथ भी हुआ.

'वो अच्छा था लेकिन..' शख्स को रिजेक्ट करने के बाद दिया भगवद गीता का हवालाViral Post: सोशल मीडिया पर इस पोस्ट ने नई बहस छेड़ दी है

नई दिल्ली (Viral Post). नौकरी की तलाश में इंटरव्यू देना और उसमें पास होना हर किसी का सपना होता है. लेकिन क्या हो जब एक बेहतरीन उम्मीदवार को भी सिर्फ इसलिए मना कर दिया जाए क्योंकि उसके पास जरूरी स्किल की कमी हो? GIS सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल प्रियंका जोशी ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही किस्सा शेयर किया, जो तुरंत वायरल हो गया. उन्होंने बताया कि उन्हें एक ऐसे कैंडिडेट को न कहना पड़ा, जो दिल से बहुत अच्छा इंसान लग रहा था, लेकिन उसके पास नौकरी के लिए सही स्किल्स नहीं थीं.

प्रियंका जोशी ने महसूस किया कि वह उम्मीदवार शायद नौकरी के लिए बेताब था- हो सकता है कि उस पर घर चलाने का दबाव हो या EMI का बोझ हो. लेकिन मैनेजर होने के नाते उन्होंने जज्बातों को अपने फैसले पर हावी नहीं होने दिया. उन्होंने वायरल पोस्ट में इस स्थिति को भगवद गीता के सिद्धांत ‘निष्काम कर्म’ से जोड़ा. इसका मतलब है- फल की चिंता किए बिना अपना कर्तव्य निभाना. उन्होंने कहा कि उनका कर्म यह सुनिश्चित करना था कि काम के लिए सही हुनर वाला व्यक्ति चुना जाए. यह मुश्किल लेकिन जरूरी फैसला था.

हुनर vs जज्बात: रिजेक्शन के 3 बड़े कारण

सोशल मीडिया यूजर प्रियंका जोशी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने उस उम्मीदवार को केवल इसलिए ‘रिजेक्ट’ किया क्योंकि उसके पास रोल के लिए जरूरी स्किल्स नहीं थे. यह फैसला पर्सनल नहीं, बल्कि प्रोफेशनल ड्यूटी का हिस्सा था. कई यूजर्स ने उनके फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि दफ्तर में दयालुता (Charity) नहीं, बल्कि बेहतरीन टीम बनाना जरूरी है. तभी काम में मुनाफा हासिल हो सकेगा.

Today, I had to reject a candidate for a job interview. He seemed like a genuinely good person, but he simply didn’t possess the skills required for the role. I could sense his desperation… perhaps he had a family to support, maybe EMIs weighing on him ….yet, I couldn’t let…

छोटे प्रोजेक्ट में नहीं था सिखाने का समय

इस वायरल पोस्ट पर तीखी प्रतिक्रिया मिलने के बाद प्रियंका जोशी ने एक और पोस्ट में स्थिति साफ की. उन्होंने बताया कि अगर यह कोई लंबा प्रोजेक्ट होता तो शायद वह उस व्यक्ति को मौका दे सकती थीं और उसे ट्रेनिंग दे सकती थीं. लेकिन यह प्रोजेक्ट छोटा था यानी उनके पास उतना समय नहीं था. उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो तुरंत काम में जुट सके, न कि ऐसा जिसे पहले स्किल्स सीखने में समय लगे.

सीखने की इच्छा पर बहस

प्रियंका जोशी के इस फैसले ने इंटरनेट पर बड़ी बहस शुरू कर दी. कुछ लोगों ने उनके फैसले को कठोर बताया और तर्क दिया कि स्किल्स तो कुछ हफ्तों में सीखी जा सकती हैं. लेकिन अगर कोई कर्मचारी मेहनती और वफादार है तो उसे मौका दिया जाना चाहिए. अच्छा एटिट्यूड हुनर से ज्यादा अहम होता है. कुछ यूजर्स ने कहा कि जिसे मौका दिया जाता है, वह काम को ज्यादा महत्व देता है और कंपनी के प्रति वफादार रहता है. हालांकि, जोशी ने अपनी प्रोफेशनल जिम्मेदारी पर कायम रहते हुए अपना ‘कर्म’ पूरा किया.

Deepali Porwal

With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें

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First Published :

October 27, 2025, 11:56 IST

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