Iran-United States relations: ईरान और अमेरिका के बीच बातचीच के दरवाजे अभी बंद नहीं हुए हैं. खुद ईरान के अधिकारियों ने इसका ऐलान किया है. राजधानी तेहरान से जारी एक बयान के मुताबिक, ईरान अमेरिका के साथ बातचीत पर विचार करेगा, लेकिन ऐसा तभी होगा जब बातचीत ईरान के परमाणु कार्यक्रम के सैन्यीकरण के बारे में उठ रही चिंताओं तक ही सीमित रहे. X पर पोस्ट एक बयान में लिखा गया - 'अगर तेहरान और वाशिंगटन की बातचीत का मकसद नेक हो तो ऐसी चर्चा पर विचार किया जा सकता है.'
अमेरिका ने भेजा था बातचीत का न्योता
आपको बताते चलें कि एक दिन पहले, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने अमेरिका के साथ संभावित बातचीत को ये कहकर खारिज कर दिया था कि बातचीत होगी तो अमेरिका का एजेंडा ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और ईरानी क्षेत्र में अपने प्रतिबंध लगाना होगा. खामेनेई की टिप्पणी ट्रंप द्वारा ईरान के साथ एक नए समझौते की मांग करते हुए उन्हें भेजे गए पत्र की बात स्वीकार करने के एक दिन बाद आई थी.
क्या बोले थे खामनेई?
खामनेई ने कहा था - बातचीत का प्रस्ताव इसलिए भेजा गया ताकि हमारे तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाई जा सके और उस परमाणु समझौते को बदला जा सके, जिससे उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका को अलग कर लिया था'.
खामेनेई ने ये भी कहा कि अमेरिका की मांगें सैन्य और ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव से संबंधित होंगी. इस तरह की बातचीत से ईरान और पश्चिम के बीच की समस्याओं का समाधान नहीं होगा.
ट्रंप ईरान में क्या चाहते हैं?
ट्रंप ने ईरान से बातचीत की पहल ऐसे समय की है, जब इजरायल और अमेरिका दोनों ने चेतावनी दी है कि वे ईरान को कभी भी परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे. इस बात को लेकर ईरान और अमेरिका के बीच सैन्य टकराव की आशंका बढ़ गई है. क्योंकि तेहरान यूरेनियम के जरिए परमाणु बम बनाने की फिराक में है. जबकि ऐसे प्रयोग केवल परमाणु-सशस्त्र संपन्न देश ही कर सकते हैं.
तेहरान एक दशक से कह रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, जबकि अमेरिका इसे तेजी से परमाणु बम बनाने की तरकीब बता रहा है. ईरान पर पहले से अमेरिका ने कई प्रतिबंध ठोक रखे हैं. दोनों देशों के बीच पुराने प्रतिबंधों को लेकर तनाव चरम पर है. दूसरी ओर इजरायल के साथ गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ युद्ध में अस्थिर संघर्ष विराम यानी सीजफायर के बावजूद तनाव बना हुआ है.
वो चाहते हैं कि हम रुक जाएं यानी ऐसी बातचीत जिसका उद्देश्य अगर ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना है और ये दावा करना है कि ओबामा जो हासिल करने में विफल रहे, वह अब पूरा हो गया है, तो ऐसी बातचीत कभी नहीं होगी.'