वो भारतीय कौन है, जो अमेरिका में लगातार पांचवीं बार बना सांसद

2 weeks ago

Ro Khanna wins 5th time in US: डोनाल्ड ट्रंप बुधवार को एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए. ट्रंप की जीत को अमेरिकी इतिहास में किसी नेता की सबसे बड़ी राजनीतिक वापसी करार दिया जा रहा है. ट्रंप ने एक कड़े मुकाबले में प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक की उम्मीदवार कमला हैरिस को हराकर दोबारा चार साल बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है. इसी चुनाव में एक भारतीय ने भी इतिहास रचा है और लगातार पांचवीं बार सांसद बनकर अपना एक रिकार्ड बनाया है.

कमला हैरिस पर किसने किया गर्व
अमेरिका के चुनाव इतिहास में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की सबसे बुरी हार के बाद हर कोई अपनी-अपनी राय दे रहा है. इसी बीच भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने बुधवार को कहा कि उन्हें उपराष्ट्रपति पर गर्व है और एक दिन अमेरिका के लोग उन्हें प्रेरक के तौर पर देखेंगे. 48 साल के रो खन्ना ने कहा 'आज मैं कहना चाहता हूं कि मुझे कमला हैरिस पर गर्व है.

कौन हैं रो खन्ना, जो पांचवीं बार बनें अमेरिका में सांसद
अमेरिका चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं हैरिस रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी और अब राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप (78) से भले हार गईं हो लेकिन  अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करने वाले खन्ना को मंगलवार को लगातार पांचवीं बार फिर से चुना गया.

भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल थे दादाजी
रो खन्ना का जन्म फिलाडेल्फिया में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ. रो खन्ना के माता-पिता 1970 के दशक में बेहतर संभावनाओं की तलाश में अमेरिका आ गए थे. उनके पिता एक केमिकल इंजीनियर हैं और मां एक स्कूल टीचर हैं. खन्ना डॉट हाउस डॉट जीओवी वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक रो खन्ना को जनसेवा की प्रेरणा अपने दादा जी से मिली है. इस वेबसाइट के मुताबिक रो खन्ना के दादा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी. उन्होंने लाला लाजपत राय के साथ आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था और कई साल तक जेल में भी बिताए थे.

ओबामा प्रशासन में कर चुके हैं काम
रो खन्ना की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने पहले स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इकॉनमिक्स पढ़ाई. खन्ना ने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से इकोनॉमिक्स में बीए और येल यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली है. शिकागो यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्होंने 1996 में इलिनॉयस सीनेट के लिए फर्स्ट कैंपेन में हिस्सा लिया था. इसके अलावा उन्होंने ओबामा प्रशासन में डिप्टी असिस्टेंट सेक्रेट्री का काम भी कर चुके हैं. खन्ना ने दो किताबें-आंत्रप्रिन्योरियल नेशन: व्हाई मैन्यूफैक्चरिंग इज स्टिल की टू अमेरिकाज फ्यूचर और डिग्निटी इन अ डिजिटल एज लिखी हैं.

पेंसिल्वेनिया में पले-बढ़े रो खन्ना
पेंसिल्वेनिया में पले-बढ़े खन्ना ने कहा, ‘‘बक्स काउंटी में पले-बढ़े एक बच्चे के रूप में मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक अफ्रीकी और भारतीय अमेरिकी महिला उम्मीदवार बनेगी और पेंसिल्वेनिया में 48 प्रतिशत वोट प्राप्त करेगी. रास्ता कठिन है, लेकिन एक दिन अमेरिका लेग उनसे प्रेरणा लेंगे उनके दिखाए राह पर चलेंगे.’’ खन्ना ने कहा कि सीनेट और प्रतिनिधि सभा के साथ ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक कार्यालय एवं आवास) भी खो चुकी डेमोक्रेटिक पार्टी जल्द वापसी करेगी. वहीं, उद्यमी से राजनेता बने विवेक रामास्वामी ने बुधवार को राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को अमेरिका की वापसी बताया और कहा कि देश को इस समय एक कठोर निर्णय लेने वाले ‘कमांडर-इन-चीफ’ की जरूरत है.

कमला हैरिस की हार की क्या रही वजह?
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल रहे रिपब्लिकन पार्टी के नेता रामास्वामी ने कहा, ‘'यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप आधुनिक इतिहास में किसी भी राष्ट्रपति के मुकाबले सबसे बड़े अंतर से जीते. वह कोई विचारक नहीं है. वह कोई नीति विशेषज्ञ नहीं है. वह समझौता नहीं करने वाले एक अमेरिकी है. उन्हें अयोग्य ठहराया गया, दो बार मारने की कोशिश की गई. इनमें से कोई भी काम नहीं आया. मीडिया में हमारे स्व-नियुक्त ‘श्रेष्ठ’ लोगों ने उन्हें गलत समझा, उन्हें कम आंका और संदेह किया.' इनपुट भाषा से भी

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