Last Updated:March 15, 2025, 08:53 IST
केरल हाई कोर्ट ने 50 साल की शादीशुदा महिला को सरोगेसी की अनुमति दी है. कोर्ट ने कहा कि सरोगेसी एक्ट, 2021 के तहत 50 साल की महिलाएं भी सरोगेसी का विकल्प चुन सकती हैं.

केरल हाई कोर्ट का फैसला: 50 साल की महिलाएं सरोगेसी चुन सकती हैं
हाइलाइट्स
केरल हाई कोर्ट ने 50 साल की महिला को सरोगेसी की अनुमति दी.सरोगेसी एक्ट, 2021 के तहत 50 साल की महिलाएं भी सरोगेसी कर सकती हैं.कोर्ट ने KSARTSB को एक हफ्ते में सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया.शादी-शुदा महिलाओं के हक में कोर्ट का एक अहम फैसला आया है. केरल हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि 50 साल की महिला भी सरोगेसी का विकल्प चुन सकती है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 के तहत ऐसा करने की इजाजत है. चीफ जस्टिस नितिन जमदार और जस्टिस एस. मनु की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को पलटते हुए 50 साल की महिला को मां बनने की इच्छा पूरी करने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने कहा कि शादी-शुदा महिला अपनी मां बनने की इच्छा पूरी कर सकती है. अदालत का यह फैसला महिलाओं के अधिकारों और मातृत्व की इच्छा को सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
हाई कोर्ट ने कहा कि कानून में सरोगेसी के लिए उम्र सीमा 23 से 50 साल के बीच बताई गई है. इसमें 50 साल की महिलाएं भी शामिल हैं. केरल स्टेट असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड (KSARTSB) ने पहले महिला को सरोगेसी की इजाजत देने से इनकार कर दिया था. बोर्ड का कहना था कि कानून के मुताबिक, सरोगेसी कराने की इच्छुक शादीशुदा महिला की उम्र सर्टिफिकेट जारी होने की तारीख पर 23 से 50 साल के बीच होनी चाहिए. इसके बाद महिला और उसके पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले सिंगल बेंच ने बोर्ड के फैसले को सही माना था.
टीओआई की खबर के मुताबिक, डिवीजन बेंच ने महिला की अपील को मंजूर करते हुए KSARTSB को एक हफ्ते के अंदर एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया है. इस मामले में सबसे बड़ा विवाद इस बात पर था कि क्या 50 साल की महिला को सरोगेसी की इजाजत दी जा सकती है क्योंकि कानून में 23 से 50 साल के बीच की महिलाओं को ही इसकी इजाजत देने की बात कही गई है. स्कूल के रिकॉर्ड के मुताबिक, महिला का जन्म 24 जून, 1974 को हुआ था. इस हिसाब से वह 50 साल की हो चुकी है. सिंगल बेंच ने कहा था कि महिला की उम्र 50 साल हो चुकी है, इसलिए वह इसके लिए योग्य नहीं हैं.
क्या कहता है कानून
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 (ART एक्ट) के तहत ART प्रक्रिया (जैसे IVF और इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन) कराने वाली महिलाओं की उम्र 21 साल से ज्यादा और 50 साल से कम होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ART प्रक्रियाओं में मां बनने की इच्छुक महिला को मेडिकल जोखिम होता है. वहीं, सरोगेसी में मां बनने की भावनात्मक इच्छा प्रमुख होती है. कोर्ट ने कहा कि सरोगेट मदर और बच्चा चाहने वाली महिला की उम्र की व्याख्या एक जैसी नहीं हो सकती.
हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी भी जानिए
हाईकोर्ट ने कहा कि सरोगेसी कानून का मकसद अनैतिक गतिविधियों पर रोक लगाना है, न कि सही मामलों में भी लोगों को इसका फायदा उठाने से रोकना. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता के पास मां बनने का आखिरी मौका है. यह जिंदगी का बेहद निजी और अहम पहलू है. मां बनने के इस अधिकार से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता. शादी-शुदा महिला मां बनेन की अपनी अच्छा पूरी कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि जब कानून बनाने वालों ने इसके लिए गुंजाइश रखी है तो इसे समय से पहले खत्म करने का कोई कारण नहीं बनता.
First Published :
March 15, 2025, 08:53 IST