शारदा सिन्हा बचपन में कैसी थीं? भाभी तारा शर्मा ने बताई पहली मुलाकात की बात

7 hours ago

पटना. बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के निधन से पूरा देश गम में डूबा हुआ है. छठ गायन को आसमान पर पहुंचाने वाली शारदा सिन्हा का छठ महापर्व के नहाय खाय के दिन ही दिल्ली एम्स में निधन हो गया था. शारदा सिन्हा के निधन के बाद सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ी कई यादें लोग साझा कर रहे हैं. ऐसे ही एक पुराने फेसबुक पोस्ट में स्वर कोकिला शारदा सिन्हा अपनी बड़ी भाभी तारा शर्मा के बारे में बता रही हैं. वहीं, एक ताजा पोस्ट में उनकी भाभी बता रही हैं कि शारदा सिन्हा का बचपन कैसा था? आपको बता दें कि शारदा सिन्हा अपनी भाभी से जिस अंदाज में बात कर रही हैं, उससे साफ झलकता है कि ननद-भाभी के रिश्ते बहुत अच्छे थे. अब, जबकि शारदा सिन्हा का निधन हो चुका है. ऐसे में उम्र में 10-12 साल बड़ी भाभी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है.

शारदा सिन्हा कई इंटरव्यू में अपनी बड़ी भाभी तारा शर्मा का जिक्र कर चुकी हैं. ऐसे ही एक वीडियो में शारदा सिन्हा कहती हैं, ‘उतरने के साथ ही भौजी को पकड़ कर कड़िया झुमड़ खेलने लगते थे. जबतक चक्कर नहीं आ जाता था तब तक भाभी को छोड़ते नहीं थे.’ आपको बता दें कि आठ भाइयों में शारदा सिन्हा अकेली बहन थीं. जब तारा शर्मा का शारदा सिन्हा के बड़े भाई चिंदानंद शर्मा से विवाह हुआ था तो वह साढ़े तीन साल की बच्ची थीं.

शारदा सिन्हा की पुरानी यादें उनकी भाभी की जुबानी
वहीं, भाभी तारा शर्मा शारदा सिन्हा से जुड़ी यादों को बोलते-बोलते अब भावुक हो जाती हैं. तारा शर्मा कहती हैं, ‘मैं उनके बारे में सुनकर खुद ही अस्वस्थ हो गई हूं. मेरी शादी उनके बड़े भाई से साल 1955 में हुई थी. जब मैं ससुराल आई तो शारदा सिन्हा तीन-साढ़े तीन साल की थीं. उस जमाने में महिलाएं घुंघट में ही रहती थीं. वह बच्ची थी और मेरे घुंघट में आकर छिप जाती थीं. मेरी ननद नहीं वह मेरी बेटी थीं. हर समय भौजी-भौजी करती रहती थीं.

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पता ही नहीं चला ननद से बेटी कब बन गई- तारा शर्मा
तारा शर्मा आगे कहती हैं, ‘जब वह थोड़ी बड़ी हुई तो स्कूल में पढ़ने लगीं. फिर हमलोग दोस्त जैसा व्यवहार करने लगे. समझ में ही नहीं आता था कि वह छोटी थी और मैं बड़ी. देहात में आंगन में हगमलोग रात में कड़िया झुमड़ खेलते थे. वह गाना गाती थीं. 8 भाइयों की एकलौती बहन थी. सबका प्यार उसको मिलता था. अभी 31 मार्च को ही उससे मिलकर आई हूं. तबीयत खराब थी, लेकिन वह ठीक थीं.’

शारदा सिन्हा को दुनिया कैसे याद करेगी?
आपको बता दें कि पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा की इस तरह की कई यादें आने वाले दिनों में लोगों के बीच में आती रहेंगी. लोग शारदा सिन्हा की उसी यादों के सहारे उनको खासकर छठ के मौके पर तो जरूर याद करते रहेंगे. हमसब के बीच अब शारदा सिन्हा के गाए गीत ही रह जाएंगे.

शारदा सिन्हा का गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ पटना के गांगा के किनारे अंतिम संस्कार किया जाएगा. अभी शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर उनके पटना स्थित आवास पर रखा गया है. शारदा सिन्हा बिहार के बेगूसराय की थीं. कुछ दिन पहले ही उनके पति का भी निधन हो गया था. शारदा सिन्हा अपने पीछे एक भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं.

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FIRST PUBLISHED :

November 6, 2024, 23:08 IST

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