'शेर' थे वीर नारायण सिंह, अंग्रेज भी थर-थर कांपते,गुफा में मिलते शौर्य के सबूत

3 weeks ago

Last Updated:June 23, 2025, 12:14 IST

क्या आप छत्तीसगढ़ के पहले शहीद वीर नारायण सिंह के बारे में जानते हैं? जिनसे अंग्रेज भी थर-थर कांपते थे. उनके शौर्य से जुड़े कुछ सबूत आज भी एक रहस्यमयी गुफा में मौजूद हैं. देखिए खास रिपोर्ट...

'शेर' थे वीर नारायण सिंह, अंग्रेज भी थर-थर कांपते,गुफा में मिलते शौर्य के सबूत

वीर नारायण सिंह की गुफा.

हाइलाइट्स

वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ के पहले शहीद थे.वह रहस्यमयी गुफा में रहते थे.गुफा में वीर नारायण सिंह की वीरगाथा दफन.

बलौदा बाजार. छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के सोना खान गांव से महज 4 किलोमीटर दूर, जंगल की दुर्गम पहाड़ियों में एक गुफा है, जहां छत्तीसगढ़ के पहले शहीद वीर नारायण सिंह की वीरगाथा का एक रहस्यमयी अध्याय छुपा है. इस गुफा के भीतर छत्तीसगढ़ के पहले शहीद वीर नारायण सिंह की वीरगाथा दफन है. News 18 की खास रिपोर्ट देखिए…

अंग्रेजों के समय से है गुफा
सोना खान गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित यह दुर्गम पहाड़ी और इसके बीचों-बीच एक गुफा है. इस गुफा के अंदर कई सुरंगें हैं, जिनका आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है. गुफा की खासियत यह है कि जब अंग्रेज वीर नारायण सिंह को ढूंढने आते थे, तो वह इसी गुफा में छिप जाते थे और अंग्रेजों पर हमला करते थे. जब अंग्रेजों को एहसास हुआ कि गुफा के अंदर कई सुरंगें हैं, तो उन्होंने कुछ सुरंगों को ब्लास्ट कर बंद कर दिया, लेकिन आज भी वह सुरंगें मौजूद हैं, जिनका पता कोई नहीं लगा पाया है.

आज भी मौजूद हैं निशान
हमारी टीम ने इस गुफा में प्रवेश की कोशिश की, लेकिन अंदर सिर्फ 100 मीटर तक ही जा सके. ग्रामीणों के मुताबिक, इस गुफा के अंदर कई सुरंगें हैं, जो अलग-अलग स्थानों तक जाती हैं, लेकिन आज तक इनका रहस्य कोई नहीं सुलझा पाया. गुफा के आसपास आज भी तलवारों के निशान, बारूद के धब्बे और जले हुए पत्थरों के अवशेष देखे जा सकते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कहा जाता है कि जब अंग्रेज सेनाएं यहां बारूद और गोले बरसाती थीं, तब वीर नारायण सिंह इसी गुफा से उनका डटकर सामना करते थे.

इसी गुफा से निकलकर वीर नारायण सिंह अंग्रेजों को चकमा देते थे. इस गुफा की यह भी खासियत है कि इसमें अलग-अलग सुरंगें बनी हुई हैं, जिनमें घुसकर वीर नारायण सिंह अंग्रेजों को चकमा देकर दूसरी सुरंग से निकल जाते थे. साथ ही यह भी बताया जाता है कि इस गुफा की सुरंगें कई किलोमीटर तक फैली हुई हैं, जिनका पता आज तक नहीं चल पाया है.

क्या कहते हैं इतिहासकार?
इतिहासकार ने बताया कि 1795 में जन्मे वीर नारायण सिंह ने 1856 के सूखे में गरीबों के लिए साहूकारों से अनाज छीनकर बांटा और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की. 1857 में जेल से भागकर उन्होंने आदिवासियों और किसानों को संगठित किया. 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जय स्तंभ चौक पर अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दी, लेकिन उनकी वीरता की गूंज आज भी इस गुफा की दीवारों में बसी है.

Seasoned journalist Dallu Slathia brings over 6 years of expertise in digital media, leading 4 states for Local18- MP, Jharkhand, Himachal Pradesh and Haryana. Her experience in digital journalism includes craf...और पढ़ें

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Location :

Baloda Bazar,Raipur,Chhattisgarh

'शेर' थे वीर नारायण सिंह, अंग्रेज भी थर-थर कांपते,गुफा में मिलते शौर्य के सबूत

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