यमन जाएंगे की नहीं ये सरकार तय करेगी... निमिषा प्रिया के मामले में बोला SC

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Last Updated:July 18, 2025, 15:26 IST

Nimisha Priya Case: निमिषा की फांसी को टालने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से यमन जाने की इजाजत मांगी है. केंद्र सरकार अब इस पर फैसला लेगी.

यमन जाएंगे की नहीं ये सरकार तय करेगी... निमिषा प्रिया के मामले में बोला SC

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया.

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने यमन यात्रा की अनुमति पर केंद्र से जवाब मांगा.याचिकाकर्ता ने मृतक परिवार से बातचीत की मांग की है.कोर्ट ने कहा- सरकार ही तय करेगी कि यात्रा की इजाजत दी जाए या नहीं.

नई दिल्ली: केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी फिलहाल एक नाजुक मोड़ पर खड़ी है. यमन में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है और अगर हालात नहीं बदले, तो कभी भी उन्हें फांसी दी जा सकती है. भारत सरकार और निमिषा का परिवार उनकी फांसी रुकवाने के लिए भरसक कोशिशें कर रहे हैं. इसी को लेकर मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है.

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से कहा है कि वह फैसला करे कि निमिषा प्रिया को बचाने के लिए यमन जाने की इजाजत दी जा सकती है या नहीं. कोर्ट ने यह बात उस याचिका पर सुनवाई करते हुए कही, जिसमें कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यमन जाकर मृतक के परिवार से बातचीत करके माफी (पर्दा) मांगने की अनुमति मांगी है.

कौन हैं निमिषा प्रिया, और क्यों मिली उन्हें सजा?
निमिषा प्रिया एक भारतीय नर्स हैं, जो कुछ साल पहले नौकरी के सिलसिले में यमन गई थीं. वहां उनका एक व्यक्ति, तलाल अब्दो महदी, से झगड़ा हो गया. बताया गया कि साल 2017 में किसी विवाद के चलते उस व्यक्ति की हत्या हो गई. इस मामले में यमन की अदालत ने निमिषा को मौत की सजा (फांसी) दे दी.

यमन में इस्लामी कानून चलता है, और वहां कुछ मामलों में अगर मृतक के परिवार को ‘ब्लड मनी’ यानी खून-बहा दिया जाए, तो वो अपराधी को माफ कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए मृतक के परिवार की सहमति जरूरी होती है.

यमन क्यों नहीं जा सकते सीधे?
अब समस्या ये है कि यमन एक ऐसा देश है जहां आम नागरिकों का जाना बहुत मुश्किल है. भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों से यमन यात्रा पर पाबंदी लगा रखी है. ऐसे में निमिषा को माफ करवाने के लिए जो लोग यमन जाकर बात करना चाहते हैं, उन्हें पहले भारत सरकार से विशेष अनुमति लेनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
इस मामले में ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ नाम के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और एक केरल के मुस्लिम धर्मगुरु को यमन भेजा जाए ताकि वो मृतक के परिवार से मिलकर ब्लड मनी पर बातचीत कर सकें.

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील आर. बसंत ने कोर्ट से कहा, “हमारी कोशिश है कि किसी तरह निमिषा को फांसी से बचाया जा सके, लेकिन इसके लिए सरकार की इजाजत चाहिए.”

कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई सीधा आदेश नहीं दिया, लेकिन कहा कि याचिकाकर्ता केंद्र सरकार को एक औपचारिक आवेदन दें. कोर्ट ने साफ किया कि सरकार ही तय करेगी कि यात्रा की इजाजत दी जाए या नहीं.

भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया कि सरकार फिलहाल इस मामले में किसी तरह की गारंटी नहीं दे सकती. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि निमिषा सुरक्षित वापस लौटे, लेकिन अगर बातचीत से कुछ उल्टा असर हुआ तो स्थिति और खराब हो सकती है.”

क्या मृतक का परिवार माफ करेगा?
इस बीच इस केस में नया मोड़ तब आया जब मृतक तलाल के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी ने साफ कर दिया कि वह निमिषा को माफ नहीं करेंगे. उनका कहना है कि हत्या एक बड़ा गुनाह है और उसके लिए सजा जरूर मिलनी चाहिए. यानी अभी तक मृतक का परिवार ब्लड मनी लेने और माफी देने के लिए तैयार नहीं हुआ है. इससे हालात और मुश्किल हो गए हैं.

विदेश मंत्रालय की भूमिका क्या है?
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि वह इस मामले को बहुत ही गंभीरता से देख रहा है. मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि सरकार ने निमिषा के परिवार को कानूनी मदद दी है, एक वकील की नियुक्ति की है, और काउंसलर विज़िट्स भी करवाए जा रहे हैं.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार यमन के अधिकारियों और कुछ दोस्त देशों से लगातार बातचीत कर रही है, ताकि कोई सकारात्मक समाधान निकाला जा सके.

माँ की उम्मीदें अब भी ज़िंदा हैं
इस पूरे मामले में सबसे भावुक भूमिका निमिषा की मां प्रेमा कुमारी निभा रही हैं. वह 57 साल की हैं और पिछले कई महीनों से दिन-रात एक करके अपनी बेटी को फांसी से बचाने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने खुद भी यमन की राजधानी सना जाकर मृतक के परिवार से संपर्क साधने की कोशिश की है.

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New Delhi,Delhi

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