नई दिल्ली. ऐपल की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी और दक्षिण कोरिया की दिग्गज मोबाइल निर्माता कंपनी सैमसंग ने प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के पीछे बड़ा ही अजीबो-गरीब बहाना बनाया है. एक तो दक्षिण कोरिया में पहले ही प्रति सप्ताह का वर्किंग ऑवर अन्य देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है, ऊपर से अब सैमसंग ने इस वर्किंग ऑवर को कम बताते हुए हार का ठीकरा कर्मचारियों पर फोड़ दिया. कंपनी ने चिप प्रोडक्शन के अपने लक्ष्य में पीछे रहने के कारणों का खुलासा किया, जिसमें कर्मचारियों और कम वर्किंग ऑवर को ही इसके लिए जिम्मेदारी ठहराया है.
सैमसंग अपने आने वाले मोबाइल फोन Galaxy S25 सीरीज के लिए चिप बनाने का काम कर रही है. लेकिन, इसके निर्माण में अभी तक तय समय-सीमा से पीछे रह गई है. चोसुन डेली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सैमसंग ने इस लक्ष्य से पीछे रहने का कारण सप्ताह में सिर्फ 52 घंटे काम करने की लिमिटेशन को बताया है. कंपनी का कहना है कि कम समय मिलने के कारण ही Exynos 2500 चिप का प्रोडक्शन नहीं हो सका है. कंपनी ने इसी साल अपने इस नेक्स्ट जेनरेशन प्रोसेसर को दुनिया के सामने लाने का लक्ष्य रखा था, जो पूरा नहीं हो सका.
कर्मचारियों पर फोड़ा ठीकरा
सैमसंग ने Exynos को विकसित करने वाली टीम पर लक्ष्य पूरा न होने का ठीकरा फोड़ा है. कंपनी ने कहा कि सप्ताह में 52 घंटे का काम जिसमें 12 घंटे ओवरटाइम शामिल है, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इस लिमिटेशन की वजह से कंपनी के इंजीनियर जरूरत के समय भी अपना काम बंद कर देते हैं, जिससे काम अधूरा रह जाता है.
बिना पैसे के करते हैं ओवरटाइम
चोसुन डेली ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि काम के घंटे तय होने की वजह से कुछ कर्मचारियों को शीर्ष पर बने रहने के लिए बिना पैसे के ही ओवरटाइम करना पड़ता है. यही कारण है कि सैमसंग के मैनेजमेंट ने वर्किंग ऑवर के लिमिटेशन से बचने के लिए दक्षिण कोरिया के सांसदों के साथ चर्चा की है, ताकि नीतियों में बदलाव करके प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए कर्मचारियों से ज्यादा काम करा सकें.
इससे कम समय में आगे बढ़ रहीं दूसरी कंपनियां
सैमसंग की यह दलील इसलिए भी लोगों के गले नहीं उतर रही, क्योंकि दूसरी टेक कंपनियां इससे भी कम समय काम कराकर टार्गेट पूरा कर रही हैं. सैमसंग की सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धी कंपनी ताइवान की TSMC ने सप्ताह के 48 घंटे के वर्किंग ऑवर (40 रेगुलर ऑवर और 36 मंथली ओवरटाइम) में ही लक्ष्य पूरा कर लिया है. क्रिटिक्स का कहना है कि दक्षिण कोरिया की अन्य कंपनियां जैसे SK Hynix भी इतने ही घंटे काम कराकर प्रतिस्पर्धियों को कड़ी टक्कर दे रही है. हालांकि, सैमसंग की विदेशी प्रतिद्वंदी Qualcomm और Apple को ऐसे किसी लिमिटेशन का सामना नहीं करना पड़ता है. लिहाजा ये कंपनियां जरूरत पड़ने पर अपने वर्किंग ऑवर को जितना चाहे बढ़ा सकती हैं.
भारत सहित अन्य देशों में क्या है वर्किंग ऑवर
अगर वर्किंग ऑवर की बात करें तो दुनिया में औसतन हर सप्ताह 40 से 50 घंटे तक काम कराने का प्रावधान है. भारत में यह 48 घंटे प्रति सप्ताह अथवा एक दिन में अधिकतम 9 घंटे है. पड़ोसी पाकिस्तान में 46.6 घंटे तो यूएई में 52 घंटे है. भूटान में 55 घंटा तो बांग्लादेश में 49.9 घंटे प्रति सप्ताह है. इसी तरह, चीन में 45.7 घंटे, नेपाल में 42.6 घंटे, जापान में 41.3 घंटे, इजराइल में 39.4 घंटे, रूस में 39.2 घंटे, अमेरिका में 38.5 घंटे और ऑस्ट्रेलिया में 36.5 घंटे है.
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FIRST PUBLISHED :
November 14, 2024, 15:16 IST