Last Updated:November 17, 2025, 11:03 IST
Success Story: IIT BHU से पासआउट सिद्धांत सिंह की कहानी सचमुच प्रेरणादायी है. उन्होंने पिता के निधन और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद पढ़ाई, ट्रेडिंग और स्टार्टअप के जरिए सफलता हासिल की.
IIT BHU के सिद्धांत सिंह की प्रेरक कहानीSuccess Story: कभी-कभी जिंदगी इतनी जोर से तोड़ती है कि उठने का मन भी नहीं करता. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो टूट जाने के बावजूद चलना नहीं छोड़ते. हम सब गिरते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोग चलना छोड़ देते हैं और कुछ उठकर दौड़ना शुरू कर देते हैं. ऐसे ही लोग तूफान के बीच खड़े होकर खुद को संभालना सीख जाते हैं, क्योंकि वे समझ जाते हैं कि हाथ पर हाथ रखकर बैठने से जीवन नहीं चलता.
अगर सच में सफलता पानी है, तो चुनौतियों का डटकर सामना करना ही पड़ेगा. वे समझ जाते हैं कि तूफान को चीरकर आगे निकलना ही जिंदगी है. ये एक ऐसे ही शख्स की कहानी है, जिसने गिरना स्वीकार किया लेकिन रुकना नहीं. IIT BHU से पासआउट सिद्धांत सिंह की कहानी सचमुच प्रेरित करने वाली है. उन्होंने मुश्किल समय में खुद को संभाला और कम उम्र में ही अच्छी सफलता हासिल की.
17 साल की उम्र में पिता का निधन
सिद्धांत सिर्फ 17 साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया. इतनी छोटी सी उम्र में सिर से पिता का साया उठ जाना इंसान को उम्र से कई साल बड़ा बना देता है. बेंगलुरु जैसे महंगे शहर में उनके परिवार की महीने की आय 30,000 रुपये रह गई. इस कारण उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियां भी उठानी पड़ीं. इन सबके बीच भी उन्होंने हार नहीं मानी और IIT BHU में एडमिशन लिया.
IIT के पहले ही साल में उन्होंने ट्रेडिंग शुरू की और एक गेमिंग स्टार्टअप बनाया, जिसे 250 से ज्यादा लोग इस्तेमाल करने लगे. यह स्टार्टअप आगे नहीं चला, लेकिन सिद्धांत ने नए मौके ढूंढने जारी रखे. उन्होंने प्राइवेट इक्विटी में काम किया और फिर एक कंपनी में एनालिस्ट बने.
एक साल में चार देशों की यात्रा
सिद्धांत ने अपने सोशल मिड़िया पोस्ट पर अपनी कहानी बयां करते हुए लिखा कि मैंने एक मार्केटिंग एजेंसी शुरू की और उसे 5 लाख रुपये मासिक आमदनी तक ले गया. एक साल में चार देशों की यात्रा की. कॉलेज खत्म होने से पहले ट्रेडिंग से अपनी फीस चुका दी. अब मैं अपने विचारों को असल दुनिया में लागू करने की कोशिश कर रहा हूं ताकि ज्यादा लोगों की मदद कर सकूं.
सिद्धांत का कहना है कि मुश्किलें कितनी भी हों, रोज थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ना जरूरी है. छोटे कदम भी बड़ी प्रगति ला सकते हैं. उनकी कहानी ने कई लोगों को हिम्मत दी. कुछ ने उनके जज्बे की तारीफ की, वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि उन्होंने भी कम उम्र में अपने पिता को खोया था और सिद्धांत की कहानी ने उन्हें नई ताकत दी.
Be Me>
> Lost my dad at 17
> Family Income dropped to ₹30k per month; in a city like blr for 3 people
> Took over family’s finance while preparing for college
> Studied hard and got into IIT, didn’t let emotional and financial problems be a reason for my failure
> Started… pic.twitter.com/HpuzoH3Wvd
दूसरे यूजर्स ने भी बताई अपनी कहानी
एक यूजर ने लिखा कि तुम्हारी कहानी मेरी जैसी ही है. मैंने भी 16 की उम्र में पिता को खो दिया था और 17 में पढ़ाई करते हुए काम शुरू किया था. बहुत अच्छा कर रहे हो. एक अन्य यूजर ने लिखा कि मैंने भी 17 साल की उम्र में पिता को खो दिया था, लेकिन परिवार के लिए मेहनत कर रहा हूं. उम्मीद है सब अच्छा होगा.
सिद्धांत की कहानी यही बताती है कि जिस दिन इंसान हालातों को बहाना बनाना छोड़ दे, उस दिन से उसकी जिंदगी बदलनी शुरू हो जाती है. या तो हालात इंसान को तोड़ देते हैं, या इंसान उन्हीं हालातों को हथियार बनाकर हर मुश्किल का सामना कर लेता है.
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First Published :
November 17, 2025, 11:03 IST

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