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सिर्फ यहां ही देख सकते हैं कार्तिकेय भगवान को उत्तर दिशा में खड़े हुए, जानिए इस अद्भुत मंदिर के बारे में...
कांचीपुरम: तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के कुंद्रथुर में स्थित मुरुगन मंदिर, एक रहस्यमय और दिव्य स्थल है, जो न केवल अपने अद्वितीय आर्किटेक्चर (Unique Architecture) के लिए बल्कि अपनी रहस्यमय कथाओं और आस्था के लिए भी प्रसिद्ध है. यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे बड़े पुत्र कार्तिकेय या मुरुगन भगवान मुरुगन को समर्पित है. हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान मुरुगन अपनी यात्रा के दौरान तिरुपोरुर से तिरुत्तानिगई तक पहुंचे थे और इस पहाड़ी पर कुछ समय तक विश्राम किया था. इस स्थान को ‘साउथ थानिगई’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि भगवान मुरुगन यहां उत्तर की दिशा में ध्यानमग्न होते हैं, जैसे वह थानिगई की ओर देख रहे हों.
बता दें कि इस मंदिर की वास्तुकला का विशेष आकर्षण है कि यह तमिलनाडु का एकमात्र मुरुगन मंदिर है जहां भगवान मुरुगन उत्तर दिशा में खड़े हैं. यह मंदिर महान चोल सम्राट कुलोथुंगा चोला द्वितीय द्वारा बनवाया गया था. एक और रहस्यमय पहलू इस मंदिर का है कि भगवान मुरुगन को केवल एक देवी के साथ ही देखा जा सकता है. यदि आप एक दिशा से मंदिर के दर्शन करते हैं, तो वह देवी वल्ली के साथ होते हैं, और दूसरी दिशा से देखने पर वह देवी देवयानी के साथ होते हैं.
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मंदिर तक पहुंचने के लिए 84 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 84 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो पहाड़ी की ओर जाती हैं, लेकिन अगर आप इन सीढ़ियों को नहीं चढ़ सकते तो वाहन से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं, क्योंकि रास्ता वाहनों के लिए भी उपलब्ध है. इतिहास में, जब भगवान मुरुगन ने तिरुपोरुर में राक्षसों को हराया, तो वह खुशी से तिरुत्तानी पहुंचे और वहां शिवलिंग स्थापित कर पूजा की. इस पूजा के बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ. भगवान मुरुगन ने जिस शिवलिंग की पूजा की, उसे कंडालीश्वर के नाम से जाना जाता है और वह एक अलग गर्भगृह में विराजमान हैं.
Tags: Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED :
December 30, 2024, 16:24 IST