सुखोई में ब्रह्मोस के साथ तैनात होंगी घातक LORA मिसाइलें

5 hours ago

Agency:एजेंसियां

Last Updated:July 10, 2025, 15:18 IST

ब्रह्मोस, LORA और सुखोई की तिकड़ी एक साथ आई तो भारत की सेना को वो ताकत मिल जाएगी, जो अब तक क‍िसी भी देश के पास नहीं है. यह दुश्मनों को सोचने पर मजबूर करेगा कि कोई भी दुस्साहस अब सिर्फ सीमाओं तक नहीं रुकेगा अब त...और पढ़ें

सुखोई में ब्रह्मोस के साथ तैनात होंगी घातक LORA मिसाइलें

लोरा मिसाइलों को ब्रह्मोस के साथ सुखोई पर तैनात करने की तैयारी.

हाइलाइट्स

ब्रह्मोस और सुख‍ोई के साथ LORA लगी तो डेडली कॉम्बिनेशन हो जाएगाLORA की 400-430 किमी रेंज, सटीकता और सस्ती लागत इसे खास बनाती हैईरान-इजरायल जंग के दौरान इस मिसाइल की क्षमता नजर आई

भारत की सैन्य ताकत में एक और घातक अध्याय जुड़ने जा रहा है. इंडियन एयरफोर्स की ताकत सुखोई-30MKI फाइटर जेट में अब ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ इजरायल की लंबी दूरी तक मार करने वाली LORA मिसाइलों को भी तैनात करने की प्‍लानिंग है. यह सिर्फ एक आर्मी अपग्रेड नहीं, बल्कि भारत की दूसरे के घर में घुसकर मारने की पॉल‍िसी को और धार देने वाला फैसला है. यह पाक‍िस्‍तान से लेकर चीन तक सारे दुश्मनों की नींद उड़ाने के लिए काफी है.

LORA यानी लॉन्‍ग रेंज ऑर्टिलरी (Long Range Artillery) मिसाइल इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने डेवलप की है. यह एक टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसकी 400 से 430 किलोमीटर की लंबी रेंज, सटीक टारगेट हिट करने की क्षमता और अपेक्षाकृत कम लागत. LORA को जमीन, जहाज या मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है, जिससे यह बेहद फ्लेक्सिबल बन जाती है. इस मिसाइल की CEP (Circular Error Probability) 10 मीटर से भी कम है, यानी ये लक्ष्य के बेहद करीब गिरती है.

सीईएपी को ऐसे समझें
CEP को आप ऐसे समझ सकते हैं क‍ि जब कोई मिसाइल किसी टारगेट को निशाना बनाकर दागी जाती है, तो वह हर बार बिल्कुल सेंटर पर नहीं गिरती. मान लीजिए 100 बार मिसाइल दागी गई तो CEP वह रेडियस होता है जिसमें 50% मिसाइलें गिरती हैं. यानी अगर किसी मिसाइल की CEP 10 मीटर है, तो इसका मतलब है कि वो मिसाइल 50% बार अपने लक्ष्‍य से अधिकतम 10 मीटर के घेरे के अंदर गिरेगी.

ब्रह्मोस LORA सुखोई यानी सुपर स्ट्राइक ट्रायो
ब्रह्मोस मिसाइल पहले से ही भारत की स्ट्रैटेजिक स्ट्राइक कैपेसिटी का अहम हिस्सा है, जो 290 से 450 किमी की रेंज तक सुपरसोनिक स्पीड से दुश्मन को तबाह कर सकती है. जब इसी क्षमता को सुखोई जैसे मल्टीरोल फाइटर जेट के साथ जोड़ दिया गया, तब ही भारत की एयर पावर में जबरदस्त इजाफा हुआ. अब इसमें LORA जैसे बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को शामिल करने की योजना इस कॉम्बिनेशन को डेडली ट्रायो बना देती है. ब्रह्मोस दुश्मन की कमांड और कंट्रोल फैसिलिटी को पलभर में खत्म करने की क्षमता रखता है. LORA डीप-स्ट्राइक टारगेट्स को बेहद सटीकता से निशाना बना सकता है. और सुखोई-30 की तेज गति, लंबी उड़ान और बड़ी पेलोड क्षमता इसे एक फ्लाइंग स्ट्राइक प्लेटफॉर्म बना देती है.

ऑपरेशन सिंदूर और ‘हिट फर्स्ट’ पॉलिसी
ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने बता द‍िया क‍ि वह अब इंतजार नहीं करेगा. अगर उस पर क‍िसी भी तरह का अटैक होगा, तो पलटवार बड़ा घातक होगा. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सीधा प्रहार कर भारत ने बता दिया कि अब जवाब सीमाओं पर नहीं, सीमा पार मिलेगा. LORA की तैनाती इसी रणनीत‍िक का विस्‍तार है. यह मिसाइल चीन के तिब्बत और पाकिस्तान के भीतर स्थित रणनीतिक ठिकानों को टारगेट करने में मदद कर सकती है. सबसे खास बात, इंडियन आर्मी या इंडियन एयरफोर्स को सीमा पार करने की जरूरत नहीं होगी.

इजरायल का अनुभव
LORA मिसाइल की क्षमता हाल ही में इजरायल-ईरान टकराव में देखी गई, जब इजरायल ने बिना आर्मी जमीन पर उतारे, LORA जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों से ईरान के अंदर सटीक हमले किए. अगर सुखोई फ्लीट में LORA तैनात होती है तो यह पाकिस्तान के इस्लामाबाद, कराची से लेकर चीन के ल्हासा, शिनजियांग तक मार करने की क्षमता देगी. यानी अब सिर्फ जवाबी हमला नहीं, पहले स्ट्राइक की शक्ति भी भारत के पास होगी.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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