सैलरी बढ़ी, पर सुकून खोया! Noida से बेंगलुरु आया शख्स पछता रहा, बोला- ये शहर..

1 month ago

Last Updated:March 20, 2025, 13:17 IST

Bangalore: नोएडा से बेंगलुरु नौकरी के लिए गए एक आईटी प्रोफेशनल को शहर की बदहाल सड़कों, ट्रैफिक और रहन-सहन ने निराश कर दिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी कहानी साझा करते हुए कहा कि यह सैलरी हाइक के बदले मिलने वा...और पढ़ें

सैलरी बढ़ी, पर सुकून खोया! Noida से बेंगलुरु आया शख्स पछता रहा, बोला- ये शहर..

प्रतीकात्मक तस्वीर

बड़ी सैलरी, बेहतर करियर और एक नए शहर में नई जिंदगी की उम्मीद. यही सोचकर नोएडा के एक आईटी प्रोफेशनल ने बेंगलुरु आने का फैसला किया था. उन्हें लगा था कि हर महीने 30,000 रुपये की सैलरी हाइक उनकी जिंदगी बदल देगी. लेकिन चार महीने बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि यह बदलाव उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था.

गड्ढों वाली सड़कें और कभी न खत्म होने वाला ट्रैफिक
रेडिट पर अपनी कहानी साझा करते हुए उन्होंने लिखा, “बेंगलुरु आने से पहले मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक बड़ा शहर इतना अव्यवस्थित हो सकता है. हर सड़क गड्ढों से भरी है, ट्रैफिक इतना ज्यादा है कि ऑफिस पहुंचते-पहुंचते आधी एनर्जी खत्म हो जाती है.” उन्होंने बताया कि जहां नोएडा में चीजें थोड़ी व्यवस्थित लगती थीं, वहीं बेंगलुरु में हर जगह भीड़ और अव्यवस्था देखने को मिलती है.

पानी भी पीने लायक नहीं, रहने के लिए जगह भी कम
सिर्फ सड़कों और ट्रैफिक की ही परेशानी नहीं थी, बल्कि पानी की गुणवत्ता भी बेहद खराब निकली. उनका कहना था, “हर दिन ऐसा लगता है कि पानी पीने से कहीं तबीयत न बिगड़ जाए. और रही बात रहने की, तो यहां इतने लोग हैं कि पर्सनल स्पेस जैसी कोई चीज ही नहीं बची.” नोएडा की खुली और बड़ी जगहों की तुलना में बेंगलुरु उन्हें घुटन भरा महसूस होने लगा.

अहसास होता है कि मैं कहीं बाहर का हूं…
उन्होंने ये भी बात कही कि बेंगलुरु में उत्तर और दक्षिण भारतीयों के बीच एक अनकही खाई महसूस होती है. “यहां हर दिन अहसास होता है कि मैं कहीं बाहर का हूं. भाषा से लेकर रोजमर्रा की बातचीत तक, ऐसा लगता है जैसे हमें पूरी तरह अपनाया नहीं गया है.” उनका मानना था कि इस तरह की मानसिकता किसी को भी अजनबी महसूस करवा सकती है.

“नोएडा बेस्ट टियर-1 सिटी है!”
बेंगलुरु आने से पहले उन्हें लगता था कि नोएडा में जिंदगी मुश्किल है. प्रदूषण, ट्रैफिक और सेफ्टी जैसी समस्याएं हमेशा चर्चा में रहती हैं. लेकिन अब उन्हें महसूस हुआ कि नोएडा में कम से कम एक सिस्टम तो है. उन्होंने लिखा, “नोएडा में कम से कम सड़कों की हालत इतनी खराब नहीं है और यहां चीजें ज्यादा ऑर्गेनाइज्ड हैं. बेंगलुरु में तो हर दिन का स्ट्रगल है.”

रेडिट पर छिड़ी बहस, लोगों ने रखी अपनी राय
उनकी पोस्ट वायरल होने के बाद लोगों के बीच इस पर बहस छिड़ गई. कई यूजर्स ने उनकी बात का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा, “मैं भी बेंगलुरु से नोएडा गया और यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा फैसला था. बेंगलुरु में हर चीज महंगी है, ट्रैफिक भयानक है, और यहां बचत करना मुश्किल है.”

वहीं, कुछ यूजर्स का कहना था कि वे भी बेंगलुरु में खुद को कभी पूरी तरह से स्वीकार्य महसूस नहीं कर पाए. “जब मैंने बेंगलुरु में घर खरीदा, तब भी लोगों ने कहा कि यह तुम्हारा शहर नहीं है. ऐसा लगता है कि यहां बस सकते हैं, लेकिन इसे कभी अपना नहीं बना सकते,” एक यूजर ने लिखा.

कुछ बेंगलुरु निवासी भी इस बहस में कूद पड़े. एक लोकल यूजर ने लिखा, “हम जानते हैं कि हमारे शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर की दिक्कतें हैं. बेंगलुरु बहुत तेजी से बढ़ा, लेकिन सही प्लानिंग नहीं हुई. ट्रैफिक और गड्ढों से हम भी परेशान हैं.”

Location :

Bangalore,Karnataka

First Published :

March 20, 2025, 13:17 IST

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