Last Updated:March 11, 2025, 15:19 IST
Worlds Most Expensive Land: सरहिंद के नवाब के दरबार में दीवान टोडरमल ने 78,000 सोने के सिक्के देकर चार गज जमीन खरीदी थी. इसी जमीन पर गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों और माता गुजरी का अंतिम संस्कार हुआ था. इस...और पढ़ें

फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा, इसी शहर में थी वो जमीन.
हाइलाइट्स
दीवान टोडरमल ने 78,000 सोने के सिक्के देकर 4 गज जमीन खरीदीइस जमीन पर गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों का अंतिम संस्कार हुआफतेहगढ़ साहिब में इस स्थान पर अब गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब हैWorlds Most Expensive Land: अगर दुनिया की सबसे महंगी जमीन की बात की बात की जाए तो वो हांगकांग के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में है. फरवरी 2021 में यहां 1.25 एकड़ जमीन की कीमत 935 मिलियन डॉलर (करीब 81 अरब, 55 करोड़ रुपये) थी. वहीं, अगर भारत की बात की जाए तो सबसे महंगी जमीन मुंबई में है. मुंबई के मालाबार हिल्स इलाके की जमीन की कीमत करोड़ों रुपये प्रति वर्ग फुट है. समुद्र के किनारे होने के वजह से यह इलाका बहुत महंगा है. लेकिन इन सब से इतर दुनिया की सबसे महंगी जमीन का दर्जा पंजाब के सरहिंद फतेहगढ़ साहिब को हासिल है.
इस स्थान पर गुरु गोबिंद सिंह के दोनों छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी का अंतिम संस्कार हुआ था. सरहिंद के नवाब वजीर खान के दरबार में दीवान रहे जैन विद्वान टोडरमल ने चार गज जमीन 78,000 हजार सोने के सिक्के जमीन पर खड़े कर ये जगह मुगल सल्तनत से खरीदी थी. इस जमीन पर गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे सुपुत्रों छह साल के जोरावर सिंह, नौ साल के फतेह सिंह और उनकी माता गुजरी देवी का अंतिम संस्कार किया गया था.
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जमीन पर बिछा दी थीं सोने की मोहरें
साहिबजादों और माता गुजरी देवी के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए नवाब वजीर खान कोई जगह नहीं दे रहा था. इस पर दीवान टोडरमल ने मुगलों से इनके अंतिम संस्कार के लिए जगह मांगी तो उन्होंने सोने की मोहरें बिछाकर जमीन देने के लिए रजामंदी दी थी. दीवान टोडरमल ने अपना कुछ बेचकर सोने के सिक्के इकट्ठे किए. इस पर दीवान टोडरमल ने हजारों सोने की मोहरों को बिछाकर जमीन खरीदी और अपनी पत्नी के सहयोग से तीनों का अंतिम संस्कार फतेहगढ़ साहिब में किया था. दुनिया भर के इतिहास में ना तो ऐसे त्याग का कोई उदाहरण नहीं मिलता. ना ही किसी जमीन के किसी छोटे से टुकड़े के लिए इतनी ज्यादा कीमत आज तक नहीं चुकाई गई. अपने इस सौदे की वजह से यह दुनिया की सबसे महंगी जमीन बन गई.
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मुगलों ने कर लिया था गिरफ्तार
सिखों के दसवें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह जी ने जब श्री आनंदपुर किला छोड़ा तो उनका परिवार सिरसा नदी पर बिछड़ गया था. दोनों बड़े साहिबजादे गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ रह गए और दो छोटे साहिबजादे माता गुजरी के साथ रह गए. साल 1705 में मुगलों ने साहिबजादों जोरावर सिंह, फतेह सिंह के साथ माता गुजरी को गांव सहेड़ी के पास गिरफ्तार कर लिया और उन्हें फतेहगढ़ साहिब ले जाया गया.
इस्लाम अपनाने से कर दिया इनकार
इन तीनों से इस्लाम कबूल करने के लिए कहा गया. लेकिन साहिबजादों ने यह शर्त मानने से इनकार कर दिया. इस पर मुगलों ने यातना देने के लिए माता गुजरी और दोनों साहिबजादों को तीन दिन और दो रातों के लिए ठंडे बुर्ज में रखा था. जब इस पर भी वे इस्लाम कबूल करने के लिए राजी नहीं हुए तो दोनों साहिबजादों को दीवार में चिनवा दिया गया. अपने बेटों के शहीद होने के बाद माता गुजरी ने भी प्राण त्याग दिए था. इसके बाद नवाब वजीर खान ना तो दोनों साहिबजादों और माता गुजरी के पार्थिव शरीर दे रहे थे और ना ही अंतिम संस्कार के लिए कोई जगह दे रहे थे. ऐसी स्थिति में दीवान टोडरमल आगे आए.
फतेहगढ़ साहिब में दीवान टोडरमल की हवेली जिसे जहाज हवेली या जहाज महल के नाम से जानते हैं.
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उस स्थान पर है गुरुद्वारा
दीवान टोडरमल ने जब सिख धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए जमीन पर सोने की मोहरें बिछा दीं तो यह देखकर नवाब वजीर खान का लालच बढ़ गया. उन्होंने कहा कि सोने के सिक्के खड़े करके लगाओ. टोडरमल ने यह शर्त भी स्वीकार कर ली और सोने के सिक्के खड़े करके लगा दिए. उस समय जो मोहरों का वजन होता था, उसके हिसाब से 78 हजार का कुल वजन सात-आठ टन निकलेगा. उस समय के हिसाब के इतने सोने की कीमत दो-तीन अरब के बीच रही होगी. इससे आज के हिसाब से जमीन की कितनी कीमत होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके बाद से सिखों के लिए यह जमीन ना केवल महंगी बल्कि पवित्र माने जाने लगी. जिस जगह पर दोनों छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी के पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार किया गया था, उस जगह पर अब गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब मौजूद है. इस गुरुद्वारे के बेसमेंट का नाम दीवान टोडरमल की याद में दीवान टोडरमल जैन हॉल रखा गया है.
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कौन थे दीवान टोडरमल?
सामाना में जन्में टोडरमल को जमीनी मामलों का जानकार माना जाता था. इसी वजह से उन्हें सरहिंद के नवाब वजीर खान के दरबार में दीवान का पद मिला हुआ था. दुनिया भर के इतिहास में ना तो ऐसे त्याग का कहीं कोई और उदाहरण मिलता है, ना ही किसी जमीन के टुकड़े की इतनी भारी कीमत आज तक चुकाई गई है. दीवान टोडरमल की हवेली फतेहगढ़ साहिब के हरनाम नगर में आज भी मौजूद है, जो जहाज हवेली या जहाज महल के नाम से प्रसिद्ध है. यह हवेली फतेहगढ़ साहिब से केवल एक किमी दूरी पर स्थित है. इसकी देखभाल पंजाब सरकार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की मदद से करती है.
दीवान टोडरमल की याद में बना स्मारक.
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दीवान ने गुरु गोबिंद सिंह से क्या मांगा
जब गुरु गोबिंद सिंह को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने दीवान टोडरमल से अपनी कृतज्ञता प्रकट की. उन्होंने टोडरमल से इसके बदले में कुछ मांगने को कहा. टोडरमल ने गुरु गोबिंद सिंह से कहा कि आप ऐसा वर दीजिए कि मेरे घर पर कोई पुत्र ना पैदा हो और मेरी वंशावली मेरे साथ ही खत्म हो जाए. गुरु गोबिंद सिंह ने जब इसका कारण पूछा तो टोडरमल ने रोंगटे खड़े करने वाला जवाब दिया. टोडरमल ने कहा कि जो जमीन इतना महंगा दाम देकर खरीदी गई और आपके चरणों में न्योछावर की गई. मैं नहीं चाहता कि भविष्य में मेरे वंशज कहें कि यह जमीन मेरे पुरखों ने खरीदी थी. दीवान टोडरमल की सिख गुरु के प्रति निष्ठा और त्याग अपने आप में एक अनूठी मिसाल है. इसके लिए उनका नाम सिख इतिहास में हमेशा सम्मान से लिया जाता रहेगा.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 11, 2025, 15:19 IST