Last Updated:July 11, 2025, 22:13 IST
Telangana Budget 2025: CAG रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना को हर महीने ₹4,000 करोड़ का राजस्व घाटा हो रहा है. पेंशन और कल्याण योजनाओं ने राज्य का खजाना खाली कर दिया है. ऑफ-बजट उधारी (₹36,900 करोड़) ने हालात और बिग...और पढ़ें

तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार के सामने बड़ी परेशानी (फाइल फोटो)
हैदराबाद: तेलंगाना की चमकती सड़कों और वेलफेयर स्कीम्स की चकाचौंध के पीछे एक खौफनाक सच्चाई छुपी है. राज्य का खजाना खाली हो चुका है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, तेलंगाना को हर महीने करीब 4000 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है. और ये सिर्फ किसी विपक्षी नेता का आरोप नहीं है, खुद राज्य के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ये स्वीकार कर चुके हैं. अब इस पर कैग (CAG) की रिपोर्ट ने मुहर लगा दी है. तेलंगाना सरकार ने अपने 2025-26 के बजट में दिखाया था कि राज्य को राजस्व अधिशेष रहेगा, लेकिन वास्तविक तस्वीर इसके ठीक उलट निकली. अप्रैल महीने में ही राज्य को ₹4,023 करोड़ का घाटा हुआ. यानी सरकार की आमदनी से खर्च कहीं ज्यादा है.
ये पैसा जा कहां रहा है?
पिछली और मौजूदा दोनों सरकारों ने एक-दूसरे से होड़ लगाकर ऐसी स्कीमें चलाईं जिनका सीधा असर खजाने पर पड़ा. रायथु बंधु, दलित बंधु, आसरा पेंशन, फ्री LPG, फ्री बस यात्रा, इंदिरम्मा हाउसिंग स्कीम… हर योजना वोटों के लिए थी, लेकिन पैसों का कोई हिसाब नहीं रखा गया. अब स्थिति यह है कि राजस्व व्यय का 11.5% सिर्फ सब्सिडियों पर खर्च हो रहा है.
ऑफ-बजट कर्ज ने बिगाड़ा खेल
तेलंगाना सरकार ने सीधे कर्ज न लेकर कॉरपोरेशनों और स्पेशल पर्पज व्हीकल्स (SPVs) के जरिए लोन उठाया, जिन्हें बजट में नहीं दिखाया गया. लेकिन इनका भुगतान सरकार ही कर रही है. अकेले कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना के नाम पर हजारों करोड़ का लोन लिया गया, जिसकी ब्याज दर 8.9% से 10.5% के बीच है, जो सामान्य बाजार दरों से भी ज्यादा है.
“The State is bankrupt. Bankers treating Telangana representatives as thieves when they go for loans, Nobody (read as Union govt) are not giving appointments in Delhi” says Telangana CM pic.twitter.com/jFKOC4aJac
अगर आप सरकारी दस्तावेजों में देखेंगे तो आपको तेलंगाना का ऋण-राज्य जीएसडीपी अनुपात 28.10% नजर आएगा. लेकिन जब इन छुपे कर्जों को भी जोड़ दें तो यह आंकड़ा 36.9% तक पहुंचता है. यानी जितना उत्पादन राज्य करता है, उसका एक तिहाई सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा है.
कर्ज लौटाने की ताकत भी नहीं
राज्य के कुल राजस्व का 34% हिस्सा सिर्फ ब्याज और कर्ज की किश्तें चुकाने में खर्च होता है. ऐसे में बाकी जरूरी चीजों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा बचता ही नहीं.
हर महीने लोन लेकर खर्च चल रहा है
तेलंगाना सरकार को अपनी दैनिक जरूरतों के लिए भी RBI से वर्किंग कैपिटल लोन (Ways and Means Advances) लेना पड़ रहा है. और कई बार तो ओवरड्राफ्ट की नौबत आ जाती है. ये साफ संकेत हैं कि सरकार के पास कैश फ्लो का संकट है.
कानून में बदलाव कर बनाया रास्ता
2020 में राज्य सरकार ने Fiscal Responsibility Act में संशोधन कर दिया और अपनी लोन गारंटी की सीमा 90% से बढ़ाकर 200% कर दी. यानी पहले जितनी आमदनी होती थी, उससे 90% तक ही लोन की गारंटी दी जा सकती थी, अब उसे दोगुना कर दिया गया. ये फैसला आर्थिक विवेक नहीं, बल्कि आत्मघाती कदम साबित हुआ.
क्या दिवालिया हो जाएगा तेलंगाना?
तेलंगाना अभी डिफॉल्ट के कगार पर नहीं है, लेकिन अगर यही सिलसिला जारी रहा, तो आने वाले सालों में हालत श्रीलंका जैसी हो सकती है. कर्ज बढ़ता रहेगा, आमदनी कम होती जाएगी और जनता पर टैक्स का बोझ लादना पड़ेगा.
राज्य को अब जरूरत है खर्च पर लगाम लगाने की, फ्री स्कीम्स की समीक्षा की, राजस्व बढ़ाने के नए रास्ते तलाशने की और सबसे जरूरी, वित्तीय पारदर्शिता बहाल करने की. तेलंगाना के सामने विकल्प बहुत सीमित हैं. या तो सरकार राजनीतिक लाभ के लिए स्कीम्स चलाकर दिवालियापन की ओर बढ़े, या फिर सख्त फैसले लेकर राज्य की वित्तीय हालत संभाले.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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Location :
Hyderabad,Telangana