हवा में था गुजरात के CM का प्लेन, तभी आया पाकिस्तानी जेट और बरसा दी गोलियां

11 hours ago

भारत और पाकिस्तान एक बार फिर जंग के मुहाने पर खड़े हैं. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर हैं. पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 27 पर्ययकों को गोलियों से भून डाला था. भारत ने साफ कर दिया है कि इस हमले के गुनहगारों से चुन-चुनकर हिसाब बराबर करेगा. भारत की चेतावनी के बाद पाकिस्तान हमले के डर से घबराया हुआ है. उसने भारत से सटी सीमा और नियंत्रण रेखा के पास अपने सैनिकों को अलर्ट कर दिया है. भारत-पाकिस्तान के बीच जंग की इस आहट ने दोनों देशों के बीच हुए युद्धों की यादें ताजा कर दी हैं.

इन्हीं में एक घटना 1965 के भारत-पाक युद्ध से जुड़ी है, जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता के विमान पर पाकिस्तानी फाइटर ने हमला कर दिया था. यह ऐसी घटना थी, जिसने भारत को झकझोर कर रख दिया. यह बात 19 सितंबर, 1965 की है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच जंग अपने चरम पर थी. दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर आमने-सामने थीं और हवा में भी जंग छिड़ी हुई थी. उसी दिन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बलवंत राय मेहता का बीचक्राफ्ट विमान ने अहमदबाद से उड़ान भरी. मेहता को भारत में पंचायती राज व्यवस्था का जनक माना जाता हैं. वह अहमदाबाद से मिठापुर जा रहे थे, लेकिन रास्ते में पाकिस्तानी एयरफोर्स के एक फाइटर जेट ने उनके विमान को निशाने पर ले लिया. इस हमले में बलवंत राय मेहता समेत आठ लोग मारे गए.

1965 की जंग का माहौल
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग अप्रैल में रन ऑफ कच्छ विवाद से शुरू हुई थी. अगस्त तक यह जंग पूरे कश्मीर क्षेत्र में फैल गई. दोनों देशों की वायुसेनाएं लगातार एक दूसरे की सरजमीं पर बम बरसा रहे थे.. पाकिस्तानी एयरफोर्स (PAF) ने भारतीय क्षेत्रों में कई बार घुसपैठ की कोशिश की, और भारतीय वायुसेना (IAF) इसका जवाब दे रही थी. इसी दौरान, 19 सितंबर को गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंत राय मेहता ने एक सिविल विमान में उड़ान भरी. उनके साथ उनकी पत्नी सरोजबेन, तीन सहायक, एक पत्रकार, और दो क्रू मेंबर भी विमान में सवार थे. यह एक नियमित फ्लाइट थी, और किसी को अंदाजा नहीं था कि यह यात्रा इतनी दुखद साबित होगी.

क्या हुआ था उस दिन?
मेहता के बीचक्राफ्ट विमान ने दोपहर में अहमदाबाद से उड़ान भरी थी. यह विमान कच्छ के रन के पास से गुजर रहा था, जो भारत-पाक सीमा के करीब है. उसी समय, पाकिस्तानी एयरफोर्स की नंबर 18 स्क्वाड्रन के दो पायलट, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एआई बुखारी और फ्लाइंग ऑफिसर कैस हुसैन, एक F-86 सेबर जेट में भुज के दक्षिण-पश्चिम में गश्त पर थे. तभी पाकिस्तानी रडार ने एक ‘संदिग्ध’ विमान को ट्रैक किया, जो उनकी सीमा के करीब था. पाकिस्तानी कमांड ने इसे जांचने का आदेश दिया.

सिविल विमान होने के बावजूद, बीचक्राफ्ट ने अपनी पहचान स्पष्ट करने की कोशिश की, लेकिन PAF पायलटों ने इसे जासूसी विमान समझ लिया. दोपहर करीब 3:30 बजे सेबर जेट ने बीचक्राफ्ट पर हमला कर दिया. विमान पर मशीनगन से फायरिंग की गई और यह आग का गोला बनकर कच्छ के रन में गिर गया. इस हमले में बलवंत राय मेहता और उनकी पत्नी सहित विमान में सवार सभी लोगों की मौत हो गई.

कौन थे बलवंत राय मेहता?
बलवंत राय मेहता गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री थे और पंचायती राज व्यवस्था के जनक माने जाते हैं. उन्होंने भारत में ग्रामीण शासन को मजबूत करने के लिए पंचायती राज संस्थानों की नींव रखी. उनकी छवि एक ऐसे सम्मानित कांग्रेसी नेता के तौर पर थी, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी. उनकी मृत्यु ने न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश को सदमे में डाल दिया.

क्या बोला पाकिस्तान?
इस घटना के बाद पाकिस्तान ने दावा किया कि यह एक ‘गलती’ थी. पाकिस्तानी एयरफोर्स के पायलटों ने विमान को जासूसी विमान समझकर हमला किया था. लेकिन इस घटना के लिए न तो पाकिस्तानी सरकार और न ही पायलटों ने कभी औपचारिक माफी मांगी. इस घटना के 46 साल बाद वर्ष 2011 में हमले में शामिल पायलट कैस हुसैन की बेटी को एक पत्र लिखकर माफी मांगी और इसे ‘युद्ध की त्रासदी’ करार दिया. हालांकि, यह माफी बलवंत राय मेहता या उनके परिवार के लिए नहीं थी, जिसके चलते इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठे.

भारत की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद ऑल इंडिया रेडियो ने विमान में सवार लोगों के नामों की घोषणा की. भारत सरकार ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे पाकिस्तान की क्रूरता का उदाहरण बताया. लेकिन युद्ध के माहौल में भारत इस घटना का तत्काल जवाब नहीं दे सका. बलवंत राय मेहता की मृत्यु ने भारत में सिविल विमानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए. इस घटना ने भारत-पाक संबंधों में और कड़वाहट पैदा की, जो पहले से ही तनावपूर्ण थे.

19 सितंबर, 1965 को बलवंत राय मेहता के विमान को मार गिराना एक ऐसी घटना थी, जिसने भारत को गहरा सदमा दिया. यह घटना न केवल एक नेता की हत्या थी, बल्कि युद्ध के दौरान सिविल विमानों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल थी. आज, जब भारत और पाकिस्तान फिर से तनाव के दौर से गुजर रहे हैं, यह घटना हमें सतर्क रहने की याद दिलाती है. बलवंत राय मेहता की विरासत आज भी पंचायती राज के जरिये जीवित है, लेकिन उनकी मृत्यु भारत-पाक इतिहास में एक दर्दनाक सत्य बनी हुई है.

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