नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हाईकोर्ट के कुछ रिटायर जजों को 6,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच मामूली पेंशन मिलने पर ‘हैरानी’ जताई. जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस पी. के. मिश्रा और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ हाईकोर्ट के एक रिटायर जज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है. जिन्होंने कहा है कि उन्हें मात्र 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है. याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक जज के रूप में सेवा देने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के रूप में प्रमोट किये गए थे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने टिप्पणी की कि ‘हमारे सामने हाईकोर्ट के रिटायर जज हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, जो चौंकाने वाला है. ऐसा कैसे हो सकता है?’ जस्टिस गवई ने कहा कि जजों के लिए रिटायर के बाद की सुविधाएं हर हाईकोर्ट में अलग-अलग हैं और कुछ राज्यों ने बहुत बेहतर लाभ दिए गए हैं.
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 27 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी. मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट के रिटायर जजों के पेंशन लाभ की गणना में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे बार या जिला न्यायपालिका से प्रमोट हुए हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हाईकोर्ट के रिटायर जजों के पेंशन लाभों की गणना हाईकोर्ट के जज के रूप में उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED :
November 7, 2024, 23:33 IST