विक्रम संवत से चलने वाले हिंदू कैलेंडर को भारत में बनाया गया. लंबे समय तक भारत में इससे कामकाज भी होता रहा है लेकिन अब हमारे देश का सरकारी से लेकर कारपोरेट कामकाज अंग्रेजी यानि ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से चलता है. लेकिन दुनिया का एक देश ऐसा भी है, जहां सरकार और सरकारी कामकाज विक्रम संवत यानि हिंदू कैलेंडर से चलता है.
हिंदू नववर्ष शुरू हो चुका है. भारत में 1954 में ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ विक्रम संवत कैलेंडर को भी मान्यता दे दी थी. क्या आपको मालूम है कि ये देश कौन सा है जो हिंदू कैलेंडर को ही मानता है. ये भारत का पड़ोसी देश है.
वर्ष 1954 से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने हिंदू कैलेंडर यानि विक्रम संवत को ग्रेगोरियन फारमेट के साथ अपना लिया था लेकिन देश का सारा कामकाज ग्रेगोरियन कैलेंडर फारमेट से ही होता है. भारत की सारी संस्थाएं जिसमें हिंदू संस्थाएं भी हैं, वो अपना प्रशासनिक कामकाज अंग्रेजी कैलेंडर से ही करती हैं. तो अब हम आपको बताते हैं कि दुनिया का वो अकेला देश कौन सा है, जो हिंदू कैलेंडर को मानता है. इसे विक्रमी कैलेंडर भी कहते हैं. ये ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है. इसे विक्रम संवत कैलेंडर भी कहते हैं.
करीब 57 ईसा पूर्व से ही भारतीय उपमहाद्वीप में तिथियों एवं समय का आंकलन करने के लिए विक्रम संवत, बिक्रम संवत अथवा विक्रमी कैलेंडर का प्रयोग किया जा रहा है. ये यह हिन्दू कैलेंडर नेपाल का आधिकारिक कैलेंडर है. वैसे भारत के कई राज्यों विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल भी किया जाता है.
ये नेपाल का बीते वर्ष के कैलेंडर का चैत्र मास. नेपाल में हिंदू कैलेंडर के अनुसार ही आधिकारिक कामकाज होता है. (nepal calender)
नेपाल में 1901 से आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल
नेपाल में आधिकारिक तौर पर विक्रम संवत कैलेंडर का इस्तेमाल 1901 ईस्वी में शुरू किया गया.नेपाल के राणा वंश द्वारा बिक्रम संवत को आधिकारिक हिंदू कैलेंडर बनाया गया. नेपाल में नया साल बैशाख महीने (ग्रेगोरियन कैलेंडर में 13-15 अप्रैल) के पहले दिन से शुरू होता है. चैत्र महीने के आखिरी दिन के साथ समाप्त होता है. नए साल के पहले दिन नेपाल में सार्वजनिक अवकाश होता है.
ये चांद की स्थितियों के साथ सौर नक्षत्र वर्ष का भी उपयोग करता है. विक्रम संवत कैलेंडर का नाम राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया था, जहां संस्कृत शब्द ‘संवत’ का प्रयोग “वर्ष” को दर्शाने के लिए किया गया है. विक्रमादित्य का जन्म 102 ईसा पूर्व और उनकी मृत्यु 15 ईस्वी को हुई थी.
57 ईसा पूर्व में भारतवर्ष के प्रतापी राजा विक्रमादित्य ने देशवासियों को शकों के अत्याचारी शासन से मुक्त किया था. उसी विजय की स्मृति में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से विक्रम संवत की भी शुरुआत हुई थी.
नेपाल में सरकारी कामकाज से लेकर स्कूलों और हर जगह हिंदू कैलेंडर ही लागू होता है. (Photo by News18 AI)
नेपाल में क्या क्या चलता है हिंदू कैलेंडर से
1. सरकारी दस्तावेज और प्रशासन
– नेपाल सरकार के सभी आधिकारिक दस्तावेज, प्रमाणपत्र, और सरकारी रिपोर्ट्स विक्रम संवत (B.S.) में जारी किए जाते हैं.
– नेपाली नागरिकता प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आवेदन, और अन्य कानूनी दस्तावेजों में तिथि विक्रम संवत में दी जाती है.
– चुनाव तिथियां भी विक्रम संवत के आधार पर तय होती हैं.
2. शैक्षणिक प्रणाली
– स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का अकादमिक वर्ष विक्रम संवत पर आधारित होता है.
– परीक्षाओं की तिथियां, परिणाम घोषित करने की तिथियां और शैक्षणिक सत्र पंचांग के अनुसार चलते हैं.
– छात्रों के प्रमाणपत्र और मार्कशीट विक्रम संवत में जारी की जाती हैं.
3. राजकीय अवकाश और पर्व
– नेपाल में सभी राष्ट्रीय छुट्टियां, पर्व, और त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार तय किए जाते हैं.
-दशैं (दुर्गा पूजा), तिहार (दीवाली), और अन्य प्रमुख त्योहारों की तिथियाँ विक्रम संवत के अनुसार बदलती रहती हैं.
– नेपाली नववर्ष (Baisakh 1 – अप्रैल के मध्य में) विक्रम संवत के अनुसार मनाया जाता है।
4. बैंकिंग और वित्तीय लेनदेन
– सरकारी बजट और वित्तीय वर्ष विक्रम संवत के अनुसार चलता है
– सरकारी बैंकों और खातों के लेन-देन की तिथियां भी विक्रम संवत में होती हैं
– नेपाल स्टॉक एक्सचेंज और सरकारी नीतियों में भी विक्रम संवत का ही उपयोग होता है.
नेपाल में जब नया साल शुरू होता है तो हिंदू तौर तरीकों से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. (wiki commons)
इसमें भी 12 महीने का एक साल और 07 दिन का हफ्ता
इस संवत् का आरम्भ गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से और उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत् से ही शुरू हुआ. महीने का हिसाब सूर्य व चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है.
ये 12 राशियां 12 सौर मास हैं. पूर्णिमा के दिन, चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है. चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है, इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है.
क्यों ये बेहतर है
विक्रम संवत में कई ऐसी बातें हैं जो इसे अंग्रेजी कैलेंडर से ज्यादा बेहतर बनाती हैं. हिन्दुओं के सभी तीज-त्यौहार, मुहूर्त, शुभ-अशुभ योग, सूर्य-चंद्र ग्रहण, हिन्दी पंचांग की गणना के आधार पर ही तय होते हैं. इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर एक महत्वपूर्ण काम की शुरुआत हिन्दी पंचांग से मुहूर्त देखकर ही की जाती है.
विक्रम संवत कैलेंडर के जनक राजा विक्रमादित्य के छोटे भाई भृतहरि थे. (Photo by News18 AI)
तब संवत शुरुआत के लिए विक्रमादित्य ने माफ किया पूरी प्रजा का ऋण
विक्रम संवत के जनक विक्रमादित्य राजा भर्तृहरि के छोटे भाई थे. भर्तृहरि को उनकी पत्नी ने धोखा दिया तो उन्होंने राज्य छोड़कर संन्यास ले लिया. राज्य सौंप दिया विक्रमादित्य को. ऐसा माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा का पूरा ऋण माफ कर दिया था, ताकि लोगों की आर्थिक दिक्कतें खत्म हो जाएं. उस समय जो राजा अपनी प्रजा का पूरा कर्ज माफ कर देता था, उसके नाम से ही संवत प्रचलित हो जाता था. इस कारण उनके नाम से विक्रम संवत प्रचलित हो गया.
विक्रम संवत से पहले कौन सा पंचांग चलता था
करीब 5 हजार साल पहले यानी द्वापर युग से भी पहले सप्तऋषियों के नाम से संवत चला करते थे. द्वापर युग में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. इसके बाद श्रीकृष्ण के नाम से संवत प्रचलित हुआ. द्वापर युग के बाद कलियुग शुरु हुआ था. श्रीकृष्ण संवत के करीब 3000 साल बाद विक्रम संवत की शुरुआत हुई, जो आज तक प्रचलित है.
भारत की कौन सी संस्थाएं हिंदू कैलेंडर से काम करती हैं
भारत में कुछ पारंपरिक और धार्मिक संस्थाएं हैं जो मुख्य रूप से हिंदू पंचांग (विक्रम संवत, शक संवत, या अन्य स्थानीय पंचांगों) के अनुसार काम करती हैं और ग्रेगोरियन कैलेंडर का कम या सीमित उपयोग करती हैं.
मंदिर
– ज्योतिर्लिंग एवं शक्तिपीठ मंदिर (जैसे काशी विश्वनाथ, तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी) – इनका संचालन पंचांग के आधार पर होता है.
– द्वारका, पुरी, बद्रीनाथ और रामेश्वरम के चार धाम मंदिर – इनके उत्सव और अनुष्ठान केवल हिंदू पंचांग पर आधारित होते हैं.
– जगन्नाथ मंदिर (पुरी) – रथ यात्रा और अन्य प्रमुख अनुष्ठानों की तारीखें हिंदू कैलेंडर से तय होती हैं.
– कामाख्या मंदिर (असम) – इसका प्रमुख उत्सव अंबुबाची मेला हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है.
अखाड़े और संत परंपराएं
अखाड़ा परिषद – यह कुंभ मेले, संतों की दीक्षा और अन्य आयोजनों के लिए केवल हिंदू पंचांग का उपयोग करते हैं.
रामानंदी, वैष्णव, नागा साधु और शैव मठ – इनकी तिथियां पंचांग से तय होती हैं.
ज्योतिष एवं पंचांग संबंधी संस्थाएं
भारतीय पंचांग और ज्योतिष संस्थान – जैसे कि उज्जैन, वाराणसी और पुरी में प्रमुख संस्थान जो हिंदू कैलेंडर का अनुसरण करते हैं.
शंकराचार्य मठ (चार पीठें) – ये धार्मिक आयोजनों और पर्वों के लिए पंचांग का पालन करते हैं.
कुछ पारंपरिक हिंदू शैक्षिक संस्थान
कुछ गुरुकुल एवं वेद विद्यालय (जैसे कांची कामकोटि पीठ और वाराणसी के पारंपरिक संस्कृत विद्यालय) अपने अकादमिक वर्ष और परीक्षाएं हिंदू पंचांग के आधार पर निर्धारित करते हैं.
कुछ पारंपरिक राजघराने और संस्थाएं
मेवाड़, जयपुर, काशी और द्वारका के कुछ शाही परिवार – इनकी शाही रस्में और तिथियां हिंदू पंचांग पर आधारित होती हैं.
क्या भारत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी ग्रेगोरियन कैलेंडर से चलता है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्य रूप से हिंदू मूल्यों और परंपराओं को महत्व देता है, लेकिन इसका प्रशासनिक और संगठनात्मक कार्य पूरी तरह से केवल हिंदू कैलेंडर पर आधारित नहीं है.
– RSS अपने कई प्रमुख आयोजनों और पर्वों के लिए हिंदू पंचांग (विशेषकर विक्रम संवत) का उपयोग करता है
– संगठनात्मक और प्रशासनिक कार्यों में ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग किया जाता है
– विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल, हिंदू जागरण मंच – ये संगठन धार्मिक आयोजनों के लिए हिंदू पंचांग का पालन करते हैं.
– भारतीय मजदूर संघ (BMS), विद्यार्थी परिषद (ABVP), और स्वदेशी जागरण मंच – इनका प्रशासनिक कार्य ग्रेगोरियन कैलेंडर से होता है.