हे भगवान! रात में सांप की पूंछ पकड़कर रस्सी कूद करने लगे बच्चे, देखकर हलक में अटक जाएगी जान

1 month ago

Children Playing With Dead Snake: ऑस्ट्रेलिया से एक परेशान कर देने वाला वीडियो सामने आया है. यहां कुछ बच्चे खेलने के लिए स्किपिंग रोप यानी कूदने वाली रस्सी की जगह मरे हुए सांप का इस्तेमाल करते हुए नजर आए. वहीं एक व्यस्क उन्हें इसके लिए सुपरवाइज करते हुए सुनाई दे रही हैं. वीडियो वूराबिंदा शहर का बताया जा रहा है. वीडियो में बच्चे सांप पकड़कर कूदते हुए नजर आ रहे हैं. 

ये भी पढ़ें- टेक ऑफ के बाद आसमान में आग का गोला बना विमान, चंद मिनटों में जलकर स्वाहा, धूं-धूंकर उठीं लपटें

सांप पकड़कर उछल रहे बच्चे 
सोशल मीडिया पर बच्चों के सांप के मृत शरीर के साथ स्किपिंग करने का यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है.

Australian Aboriginal children use dead python as a skipping rope in Woorabinda, Queensland pic.twitter.com/1VfIdL3hIs

— Clown Down Under (@clowndownunder) March 10, 2025

वीडियो में कैमरे के पीछे एक महिला बच्चों को कहते हुए सुनाई दे रही है,' मुझे वह दिखाओ, मुझे वह दिखाओ क्या है.' वहीं कैमरे के सामने बच्चे सांप पकड़कर उछल कूद मचाते हुए देखे जा रहे हैं. इनमें से एक बच्चा कहता हुआ सुनाई दे रहा है कि यह एक सिर वाला पायथन है. बच्चों के इसे खेल के रूप में इस्तेमाल किए जाने से पहले ही यह मर चुका था. 

वायरल हुआ वीडियो 
बच्चों के मरे हुए सांप के साथ खेलने वाला यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. वहीं पर्यावरण, टूरिज्म, साइंस और इनोवेशन डिपार्टमेंट  ( RSPCA) ने इस वीडियो पर चिंता जताई है. इसको लेकर एक प्रवक्ता ने कहा,' हम इस अनुचित व्यवहार की निंदा करते हैं और घटना की जांच करेंगे.' उन्होंने कहा,' देशी पशुओं की हत्या या उन्हें चोट पहुंचाने पर RSPCA को रिपोर्ट करना चाहिए.' 

ये भी पढ़ें- क्या पुतिन के दुश्मन देश को खून के आंसू रुला देंगे मस्क? क्यों आग बबूला हुए टेस्ला के मालिक

लोगों की प्रतिक्रिया 
सोशल मीडिया यूजर्स भी इस पोस्ट पर आपत्ति जता रहे हैं. लोगों का मानना है कि सांप के साथ इस तरह खेलने से अच्छा उसे तरीके से दफना देना चाहिए. एक यूजर ने लिखा,' सांप का उसकी जमीन पर सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होना चाहिए था.' एक दूसरे यूजर ने लिखा,' यह कोई परेशानी वाली बात नहीं है. वे अपने जमीन से जुड़े हुए हैं और जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं. यह उनकी संस्कृति है. परेशान करने वाली बात बस यह है कि वे अंधेरे के बाद भी खेल रहे हैं.' वहीं एक तीसरे ने लिखा कि बच्चों में इस तरह के बर्ताव को बढ़ावा देने से उनमें मनुष्यों और पशुओं के प्रति दया का भाव नहीं आता. वे दोनों को होने वाली पीड़ा की अनुभूति नहीं कर पाते. 

Read Full Article at Source