Last Updated:September 27, 2025, 10:28 IST
Ahmedabad News: सात साल की उम्र में एक बच्चे का अपहरण कर लिया जाता है. वह अपने माता-पिता से जुदा हो जाता है. जवानी में कदम रखा तो गुलामी की जंजीर तोड़कर अपनों की तलाश शुरू की तो कई तरह की कठिनाइयां सामने आने लगी हैं.

Ahmedabad News: माता-पिता का प्यार हर किसी के नसीब में नहीं होता है. जो बच्चे अपनों से अलग होते हैं, उसका दर्द उसको छोड़कर कोई नहीं समझ सकता है. कल्पना कीजिए एक ऐसा बच्चा जिसे खुद से खाना भी नहीं आता है और वह उसी उम्र में परिवार से अलग हो जाए, फिर जवानी में अपने माता-पिता की तलाश शुरू की जाए तो कैसे हालात पैदा होंगे. गुजरात में एक ऐसा ही भावुक करने वाला मामला सामने आया है. एक बच्चे को महज सात साल की आयु में अगवा कर लिया. 30 साल से भी ज्यादा समय तक उसने बंधुआ मजदूरी की. गुलामी का दंश झेला. तमाम बेड़ियों को तोड़कर जब माता-पिता और अपने परिवार की तलाश शुरू की तो पुलिस के सामने भी अजीब समस्या पैदा हो गई.
दरअसल, ज़िंदगी से हार चुके एक मासूम का संघर्ष आखिरकार रंग लाने लगा है. तीन दशक पहले महज़ 7 साल की उम्र में घर से खेलने निकला एक बच्चा ट्रक ड्राइवर द्वारा अगवा कर लिया गया था. ट्रक चालक उसे सैकड़ों किलोमीटर दूर हरियाणा ले गया, जहां उसे एक पशु फ़ार्म पर बंधुआ मज़दूर बनाकर रखा गया. अब 35 साल का दुबला-पतला युवक ‘राजू’ नाम से अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पुलिस चौकी पर पहुंचा और अपनी दर्दनाक दास्तान सुनाई.
बचपन, जवानी सब छिन गई
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, 16 सितंबर को लौटे इस युवक ने पुलिस को बताया कि अपहरण के बाद से ही उसकी ज़िंदगी कैद, गुलामी और मजबूरी में बीती. उसने कहा कि उसे दिन में सिर्फ दो बार खाना दिया जाता था और बदले में उसे बकरियों व भेड़ों की देखभाल करनी पड़ती थी. उसने अपनी पहचान का एकमात्र सहारा अपने हाथ पर गुदे ‘राजू’ नाम को बताया. कालूपुर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर एचआर वाघेला के अनुसार, ‘उसने हिंदी में अपनी तीन दशक लंबी पीड़ा महज़ तीन मिनट में सुनाई. उसने बताया कि कैसे बचपन में उसका अपहरण हुआ और फिर जानवरों के बाड़े में उसे कैद रखकर मजदूरी कराई गई.’ वाघेला ने आगे बताया कि उसकी हालत ऐसी थी कि बचपन, किशोरावस्था और जवानी सब कुछ उससे छीन लिया गया. उसे स्कूल तक नहीं भेजा गया. बस जानवरों के बीच ज़िंदगी काटनी पड़ी.
भागने की कोशिश और मदद
राजू ने पुलिस को बताया कि वह सालों से लोगों से मदद की गुहार लगाता रहा. आखिरकार पिछले साल एक ट्रक ड्राइवर ने उसे जयपुर तक लाने का वादा किया और हाल ही में उसे लाकर यहां छोड़ दिया. वहां से वह ट्रेन पकड़कर अहमदाबाद लौटा. अब सबसे बड़ी चुनौती है उसके परिवार को ढूंढना. राजू को इतना भर याद है कि उसके घर में तीन कमरे थे, पिता साइकिल से काम पर जाते थे और उसकी पांच बहनें थीं. वह मानता है कि उसका अपहरण भारत की 50वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के आसपास हुआ था.
परिवार का पता लगाने में जुटी पुलिस
पुलिस ने उसकी तस्वीर और उपलब्ध जानकारियां हर तरफ फैला दी है, ताकि उसके परिवार का पता चल सके. इसके साथ ही पुराने गुमशुदगी मामलों की जांच की जा रही है. इंस्पेक्टर वाघेला ने कहा, ‘परिवार का पता लगाना बेहद कठिन होगा, क्योंकि राजू को यह भी नहीं पता कि उसका बचपन किस इलाके में बीता था, लेकिन हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं.’ तीन दशक तक गुलामी झेलने के बाद अहमदाबाद लौटे राजू की यह दर्दनाक कहानी इंसानी मजबूरी, तन्हाई और उम्मीद के बीच संघर्ष का अनकहा सच उजागर करती है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
Ahmedabad,Ahmedabad,Gujarat
First Published :
September 27, 2025, 10:28 IST