13-11-2004: ट्रेन में घुसने के दौरान भगदड़, उन 5 मौतों से रेलवे ने क्या सीखा?

3 weeks ago

Agency:News18Hindi

Last Updated:February 16, 2025, 10:34 IST

New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार की घटना ने लोगों के पिछले तीन घावों को कुरेद दिया है, जो इसी रेलवे स्टेशन पर घटी थी. इस घटना ने साल 2004, 2010 और 2012 की घटना की याद दिला दी...और पढ़ें

 ट्रेन में घुसने के दौरान भगदड़, उन 5 मौतों से रेलवे ने क्या सीखा?

बस एक सवाल: कब सबक सिखेगा रेलवे?

हाइलाइट्स

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ ने पिछली घटनाओं की याद दिला दी2004, 2010, 2012 में भी ठीक ऐसी ही भगदड़ हुई थी.आखिरी समय में गाड़ियों का प्लेटफॉर्म बदलने से भगदड़ होती है.

New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार की देर रात भगदड़ मची. 18 लोगों की मौत हो गई, 10-12 लोग घायल हैं. रेलवे ने पहले भगदड़ से इनकार कर दिया था, हालांकि, जब मीडिया में पूरी बात सामने आई, लोगों ने अपना दर्द शेयर किया और न्यूज18 की टीम ने ग्राउंड लेवल पर जा कर पड़ताल की तो रेलवे ने भी भगदड़ की बात स्वीकार की. रेलवे स्टेशन पर ग्राउंड जीरो की वास्तविकता सामने आई. मगर हम यहां आज की नहीं बीस साल पहले की इसी स्टेशन पर, इसी तरह की घटी अन्य घटनाओं की बात करने जा रहे हैं.

तकरीबन 20 साल पहले, साल 2004 तारीख 13 नवंबर, इसी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हादसा हुआ था. छठ का त्योहार था, भीड़ ट्रेन पर चढ़ने और छठ मनाने अपने घर जाने के लिए बेताब थी. ट्रेन थी सद्भावना एक्सप्रेस, अचानक से इस पर चढ़ने के लिए ठेलम-ठेल मच गया, फिर वही हुआ जिसका किसी को अंदेशा नहीं था. एक भगदड़ मची और इस भीड़ में शामिल 5 लोगों की जान चली गई. कुछ 11 लोग घायल हुए थे.

सद्भावना एक्सप्रेस में चढ़ने के लिए मची भगदड़
मामला पटना जाने वाली सद्भावना एक्सप्रेस का था. यह हादसा प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर हुआ, जब ट्रेन पकड़ने की जल्दी में बड़ी संख्या में लोग ओवरब्रिज से सीढ़ियां उतर रहे थे. छठ की पूर्व संध्या पर सद्भावना एक्सप्रेस में सवार होने के लिए यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जो ट्रेन के जनरल डिब्बों में सवार होना चाहते थे. जिसके बाद यह घटना हुई.

फिर 2010, 2012 और अब
इस घटना ने 2004, 2010 और 2012 की उन भगदड़ों की भयावह तस्वीरें वापस ला दी हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई थी. साल 2010 में भी ऐसे ही हुआ था. आखिरी समय में पटना जाने वाली ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदल दिया गया, जिसकी वजह से भगदड़ मच गई, 2 लोगों की मौत हुई और तकरीबन 15 लोग घायल हो गए थे.

2012 में भी कुछ ऐसा हुआ, रेलवे के एक अधिकारी ने टीओआई को बताया कि भगदड़ में 35 साल की एक महिला और 14 साल का एक लड़का इस हादसे में मर गया था. दरअसल, नई दिल्ली से बिहार के भागलपुर जाने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस 13 के बजाय 12 से 14:50 पर 5 मिनट की देरी से खुली थी, जिसके बाद भगदड़ मच गई.

समानता है कुछ
अगर इन सभी घटनाओं को जोड़ कर देखा जाए तो सेम पैटर्न सामने आ रहा है. पहला तो सभी भगदड़ फुटओवर ब्रिज और सिढ़ियों पर हुई हैं. सारी भगदड़ होने की पीछे ऐन वक्त पर गाड़ियों के समय और प्लेटफॉर्म में बदलाव है. जब नई दिल्ली रेलवे प्रशासन को मालूम रहता है कि स्टेशन पर गाड़ी पकड़ने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, अगर प्लेटफॉर्म को बदल दिया जाता है तो भारी मात्रा में भीड़ सीढ़ियों पर पहुंचेगी तो भगदड़ की स्थिति उपजना तय है. एक तरह से इसे रेलवे की लापरवाही ही माना जा सकता है, जिसने अपने अतीत की घटनाओं से सबक नहीं लिया.

अभी क्या कुछ बदला है?
इस घटना के बीस साल गुजर चुके हैं, ट्रेन एडवांस हो गई हैं, तकनीक भी और हमारा रेलवे भी, मगर आज के हादसे को जोड़ कर देखें तो इश 20 साल में रेलवे ने क्या सीखा? क्या सिर्फ जिम्मेदारी से बचने का तरीका या फिर किसी आपात स्थिति से निपटने के भी नए तरीके अपनाए गए हैं. मगर फिर भी इस तरह की घटना होना

क्या करने की जरूरत है
विशेषज्ञ रेलवे स्टेशनों पर भगदड़ को रोकने के लिए बेहतर भीड़ नियंत्रण उपायों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे में सुधार का सुझाव देते हैं. एक सीनियर रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘गलियारों की चौड़ाई बढ़ाने, ओवरब्रिज और प्लेटफॉर्म को चौड़ा करने जैसे कदम भीड़ को कम करने और भगदड़ को रोकने में मदद कर सकते हैं. रैंप और एस्केलेटर के माध्यम से प्लेटफॉर्म तक आसान पहुंच प्रदान करने से भीड़ को अधिक समान रूप से वितरित करने में मदद मिल सकती है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

February 16, 2025, 10:30 IST

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13-11-2004: ट्रेन में घुसने के दौरान भगदड़, उन 5 मौतों से रेलवे ने क्या सीखा?

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