Last Updated:June 24, 2025, 12:03 IST
ZP School: पुणे का जिला परिषद स्कूल चर्चा में है. 2021 में इसे बंद करने की योजना बन रही थी और अब 2025 में यह दुनियाभर में मशहूर हो गया है.

Pune ZP School: पुणे का यह स्कूल कोरोना काल में बंद होने वाला था
नई दिल्ली (ZP School, World Best School Prize). कुछ स्कूल खुल तो जाते हैं लेकिन मैनेजमेंट और एडमिनिस्ट्रेशन की कमी के चलते उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है. पुणे के एक स्कूल का हाल भी कुछ ऐसा ही था. 2021 में यह बंद होने की कगार पर था. फिर इसकी किस्मत ने यू-टर्न लिया और यह न सिर्फ बच गया, बल्कि दुनियाभर में मशहूर भी हो गया. हम बात कर रहे हैं पुणे जिले के खेड़ तालुका में स्थित जलिंदरनगर के जिला परिषद (ZP) स्कूल की. इसे वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल प्राइज 2025 की एक कैटेगरी में शॉर्टलिस्ट किया गया है.
ठीक 4 साल पहले जो स्कूल बंद होने वाला था, आज उसे ग्लोबल पहचान मिल गई है. यह सिर्फ एक संयोग या किस्मत का खेल नहीं है, बल्कि कई लोगों की लगातार मेहनत का शानदार परिणाम है. पुणे का जिला परिषदीय स्कूल T4 एजुकेशन द्वारा आयोजित वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल प्राइज 2025 के लिए सामुदायिक सहयोग (Community Collaboration) कैटेगरी में टॉप 10 फाइनलिस्ट में शामिल है. इस उपलब्धि के पीछे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षक दत्तात्रेय वारे की लीडरशिप और कम्युनिटी की भागेदारी मायने रखती है.
Zilla Parishad School Pune: बंद होने वाला था पुणे का सरकारी स्कूल
2021 में एक वक्त ऐसा भी था, जब जलिंदरनगर ZP स्कूल में केवल 3-4 छात्र ही बचे थे. इस वजह से इसे बंद करने की योजना बनाई जा रही थी. उस समय स्कूल की स्थिति इतनी खराब थी कि इसे बचाना बिलकुल असंभव लग रहा था. लेकिन 2022 में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षक दत्तात्रेय वारे इस स्कूल में आए और उनके जादू से यहां की स्थिति में बदलाव शुरू हो गया. इससे पहले वारे ने शिरूर तहसील के वाबलेवाडी ZP स्कूल में अपने शानदार काम के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार जीता था.
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Dattatray Ware: दत्तात्रेय वारे ने कैसे बचाया स्कूल?
दत्तात्रेय वारे ने स्कूल में कई इनोवेटिव टीचिंग मेथड्स शुरू किए थे. इनमें सबसे ज्यादा तारीफ ‘विषय मित्र’ (Subject Friend) सिस्टम की होती है. इस मॉडल में अलग-अलग उम्र के स्टूडेंट्स एक-दूसरे को पढ़ाते और सीखते हैं, जिससे क्लास में Inclusive और डायनमिक माहौल बनाने में मदद मिलती है. वारे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका लक्ष्य कभी पुरस्कार जीतना नहीं था. वह यह साबित करना चाहते थे कि सरकारी स्कूल भी विश्व स्तरीय शिक्षा दे सकते हैं. यह तभी संभव है, जब समुदाय साथ मिलकर काम करे.
लोकल कम्युनिटी से मिली मदद
स्कूल की सफलता का श्रेय न केवल शिक्षकों, बल्कि लोकल कम्युनिटी को भी दिया जाता है. वहां के समुदाय ने स्कूल को बचाने के लिए एकजुट होकर काम किया. इसी से जिला परिषदीय स्कूल की स्थिति में सुधार हुआय T4 एजुकेशन ने पुणे के सरकारी स्कूल की तारीफ करते हुए कहा कि ट्रांसफॉर्मेटिव टीचिंग मेथडोलॉजी के जरिए यह धारणा बदल गई है कि सरकारी स्कूलों का कोई भविष्य नहीं है. अगर सभी स्कूल इसी मॉडल पर काम करें तो शिक्षा के क्षेत्र में काफी तरक्की की जा सकती है.
वर्ल्ड टॉप स्कूल की लिस्ट में भारत के कितने स्कूल?
जलिंदरनगर जिला परिषदीय स्कूल के साथ भारत के तीन अन्य स्कूल भी विभिन्न श्रेणियों में फाइनलिस्ट कैटेगरी तक पहुंचे हैं:
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
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