Last Updated:November 15, 2025, 06:09 IST
Rudra-7 Combat Drone: भारतीय सशस्त्र बल डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड करने के साथ ही उसे और भी मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है. डीआरडीओ से लेकर HAL तक कई हाईप्रोफाइल डिफेंस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. फाइटर जेट से लेकर मिसाइल और ड्रोन टेक्नोलॉजी में लगातार नई सफलताएं हासिल की जा रही हैं.
Rudra-7 Combat Drone: रुद्र-7 कॉम्बैट ड्रोन का लेह में सफल ट्रायल किया गया है. (फाइल फोटो) Rudra-7 Combat Drone: मॉडर्न वॉरफेयर में स्टील्थ फाइटर जेट के साथ ही ड्रोन की भूमिका हर दिन बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. कटिंग एज टेक्नोलॉजी की मदद से मॉडर्न वेपन सिस्टम डेवलप किए जा रहे हैं. पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के साथ ही एयर डिफेंस सिस्टम पर भी लगातार काम चल रहा है, ताकि किसी भी तरीके के एरियल थ्रेट को न्यूट्रलाइज किया जा सके. भारत ने ड्रोन डेवलपमेंट में भी महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है. दुर्गम पर्वतीय इलाकों की निगरानी के साथ ही दुश्मनों और घुसपैठियों को पलक झपकते ही खत्म किया जा सकता है. खासकर बॉर्डर इलाके में यह ड्रोन इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हो सकता है. हाल में ही लेह में 21000 फीट की ऊंचाई पर रुद्र-7 फर्स्ट पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन का सफल ट्रायल किया जा सकता है.
गुरुग्राम स्थित डिफेंस टेक्नोलॉजी कंपनी DroneVerse ने अपने कॉम्बैट एफपीवी (First-Person View) ड्रोन ‘रुद्र-7’ के हाई-एल्टीट्यूड वाले परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा करने की घोषणा की है. यह परीक्षण लेह के पास पर्मा क्षेत्र में किए गए, जो समुद्र तल से 21,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इतनी अत्यधिक ऊंचाई पर ड्रोन की क्षमता और स्थिरता को परखना भारतीय डिफेंस टेक्नोलॉजी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है. रुद्र-7 ने सब-ज़ीरो तापमान और तेज हवाओं के बावजूद अपने उड़ान नियंत्रण, स्थिरता और लक्ष्य साधने की क्षमता का प्रभावी प्रदर्शन किया. ट्रायल ने यह साबित किया कि ड्रोन का उन्नत प्रोपल्शन ट्यूनिंग सिस्टम और एडेप्टिव फ्लाइट एल्गोरिद्म उच्च ऊंचाई पर भी पूरी दक्षता के साथ काम करते हैं.
रुद्र-7 की 3 बड़ी खासियत
मॉड्यूलर पेलोड स्लॉट, जिनमें विस्फोटक वारहेड या निगरानी उपकरण लगाए जा सकते हैं. लाइटवेट कार्बन-कॉम्पोजिट एयरफ्रेम, जो उच्च टिकाऊपन और गतिशीलता प्रदान करता है. इंटेलिजेंट इलेक्ट्रॉनिक स्टेबलाइजेशन, जो कठिन भू-भाग में भी स्थिर उड़ान सुनिश्चित करता है.LAC की सुरक्षा होगी और मजबूत
ड्रोन ने परीक्षण मिशनों के दौरान हाई-स्पीड वर्टिकल क्लाइंब, प्रिसिजन स्ट्राइक सिमुलेशन और हाई-डेफिनिशन लाइव वीडियो ट्रांसमिशन जैसी क्षमताओं का प्रदर्शन किया. सेना की तकनीकी टीम ने उसके पेलोड कैरिज, ब्लास्ट रेडियस नियंत्रण और टारगेटिंग कंसिस्टेंसी जैसे महत्वपूर्ण मानकों का मूल्यांकन किया. हाई एल्टीट्यूड पर सफल ट्रायल के बाद भारतीय सेना ने DroneVerse को Army Commendation for Innovation and Technical Excellence से सम्मानित किया. यह सम्मान संकेत देता है कि रुद्र-7 भविष्य में भारतीय सेना की हाई-एल्टीट्यूड और पर्वतीय क्षेत्रों की ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है, जहां पारंपरिक यूएवी अक्सर पिछड़ जात हैं. ‘इंडिया डिफेंस न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, सेना के अधिकारियों का मानना है कि रुद्र-7 जैसे FPV ड्रोन सीमावर्ती क्षेत्रों में सामरिक बढ़त सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे, खासकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) जैसी संवेदनशील लोकेशनों पर जहां मौसम और ऊंचाई दोनों चुनौतीपूर्ण होते हैं. लेह-लद्दाख के साथ ही चीन से लगती सीमाओं की सुरक्षा को और भी चाक-चौबंद करने में मदद मिलने की संभावना है.
फ्रंटलाइन अटैक मिशन के लिए डिजाइन
DroneVerse ने रुद्र-7 को फ्रंटलाइन एफपीवी असॉल्ट मिशनों के लिए इंजीनियर किया है. यह स्वॉर्म ऑपरेशन (यानी एक साथ कई ड्रोन द्वारा समन्वित हमला) के लिए भी उपयुक्त है. इसमें मॉड्यूलर पेलोड स्लॉट, जिनमें विस्फोटक वारहेड या निगरानी उपकरण लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा लाइटवेट कार्बन-कॉम्पोजिट एयरफ्रेम, इंटेलिजेंट इलेक्ट्रॉनिक स्टेबलाइजेशन जैसी तकनीक को भी एड किया गया है, जिससे इसकी एफिसिएंशी और बढ़ गई है. लेह में सफल ट्रायल के बाद रुद्र-7 अब एडवांस्ड एंड्योरेंस और ऑटोनॉमस नेविगेशन अपग्रेड के लिए तैयार है. सेना की नई पीढ़ी की FPV अटैक ड्रोन परियोजना के तहत इसे और विकसित किया जाएगा. कंपनी ने बताया कि अगला चरण मास-प्रोडक्शन रेडीनेस, फील्ड इंडक्शन और अतिरिक्त वैलिडेशन परीक्षणों का होगा. FPV ड्रोन दुनिया भर में युद्धक रणनीतियों को बदल रहे हैं और भारत में रुद्र-7 जैसे स्वदेशी सिस्टमों का विकास सुरक्षा ढांचे को नई मजबूती प्रदान करता है. विशेषकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां पारंपरिक निगरानी और हमला प्रणाली की सीमा है, ऐसे ड्रोन सामरिक बढ़त प्रदान कर सकते हैं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 15, 2025, 06:09 IST

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