23,000 करोड़ बांट दिए जाएं... CJI के सामने क्यों आई ये चौंकाने वाली दलील?

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Last Updated:August 07, 2025, 16:45 IST

CJI Br Gavai News: सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करीब 23,000 करोड़ रुपये की बरामद ब्लैक मनी को उस वित्तीय अपराधों के पीड़ितों में बंटा दिया जाए. ...और पढ़ें

23,000 करोड़ बांट दिए जाएं... CJI के सामने क्यों आई ये चौंकाने वाली दलील?सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में क्या हुआ?

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त सब सॉलिसिटर जनरल का चेहरा देखने लगे जब उन्होंने ऐसी जोरदार दलील दी जिसको सुनकर हर कोई दंग रह गया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि ईडी ने 23000 करोड़ रुपये की जो ब्लैक मनी बरामद की है उसे पीड़ितों में बांट दी जाए, इसके बाद तो कोर्टरूम में कुछ समय के लिए सन्नाटा सा छा गया.

ये बयान उस वक्त आया जब प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड (BSPL) से जुड़ी JSW स्टील की समाधान योजना पर पुराने फैसले की समीक्षा कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट के दो मई के विवादास्पद फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई हो रही थी.

इतना पैसा… और सीधे पीड़ितों को?
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि ये पहली बार है जब इस स्तर की जानकारी अदालत के सामने लाई जा रही है. उन्होंने साफ किया कि बरामद पैसा सरकारी खजाने में नहीं जाता, बल्कि सीधे उन लोगों तक पहुंचाया गया है जो इन वित्तीय अपराधों के शिकार थे.

बिना दोषी ठहराए, सजा: CJI
प्रधान न्यायाधीश गवई ने एक और अहम सवाल उठाया कि सजा की दर क्या है? इस पर मेहता ने जवाब दिया कि देश की क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में खामियों की वजह से सजा की दर कम है. CJI ने तंज कसते हुए कहा कि भले ही उन्हें दोषी न ठहराया गया हो, लेकिन आप लगभग बिना किसी सुनवाई के उन्हें (आरोपियों को) सजा देने में वर्षों से सफल रहे हैं.

नोटों से जाम हुई मशीनें
विधि अधिकारी ने अदालत को बताया कि कई मौकों पर, जब नेताओं के घरों में छापे पड़े इतनी नकदी मिली कि नोट गिनने की मशीनें रुक गईं. नई मशीनें मंगानी पड़ीं. उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि जब बड़े नाम सामने आते हैं, तो यूट्यूब पर ‘विमर्श’ शुरू हो जाते हैं, जिनका उद्देश्य जांच एजेंसियों की साख को प्रभावित करना होता है.

मैं चैनल नहीं देखता, CJI का जवाब
CJI ने बेबाकी से कहा कि हम विमर्शों के आधार पर मामलों का फैसला नहीं करते. मैं समाचार चैनल नहीं देखता, सिर्फ अखबार की सुर्खियां पढ़ता हूं वो भी 10–15 मिनट के लिए.

क्यों अहम है ये सुनवाई?
यह पूरा मामला 2 मई को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें JSW स्टील की समाधान योजना को खारिज कर बीएसपीएल के परिसमापन का आदेश दिया गया था. 31 जुलाई को कोर्ट ने यह फैसला वापस ले लिया और अब मामले की दोबारा सुनवाई हो रही है.

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First Published :

August 07, 2025, 16:45 IST

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