Last Updated:March 10, 2025, 17:14 IST
Cyber crime: कोलकाता की 24 वर्षीय युवती देवलीना चक्रवर्ती ने 785 फर्जी सिम कार्ड जारी कर साइबर अपराधियों को बेचे. पुलिस जांच में पता चला कि वह फिंगरप्रिंट धोखाधड़ी कर नए सिम एक्टिवेट करती थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर
कोलकाता की एक 24 वर्षीय युवती, देवलीना चक्रवर्ती, ने नाम, पता और पहचान बदल-बदलकर पुलिस से बचने की भरपूर कोशिश की. लेकिन आखिरकार उसकी असली पहचान सामने आ ही गई. पुलिस जांच में सामने आया कि देवलीना ने एक-दो नहीं, बल्कि 785 से ज्यादा फर्जी सिम कार्ड जारी किए. उसने अलग-अलग नामों से सिम कार्ड खरीदे और उन्हें अवैध रूप से बेच दिया.
पश्चिम बंगाल की सबसे बड़ी फर्जी सिम आपूर्तिकर्ता
कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देवलीना को पश्चिम बंगाल की सबसे बड़ी फर्जी सिम आपूर्तिकर्ता माना जा रहा है. पुलिस की सूची में उसका नाम ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, लेकिन इससे पहले ही उसने 785 सिम कार्ड हासिल कर लिए थे. इन सिम कार्ड्स का उपयोग कई बड़े साइबर अपराधों में किया गया, जिससे पुलिस के लिए यह मामला और भी गंभीर बन गया.
ग्राहकों के फिंगरप्रिंट लेकर बनाती थी सिम कार्ड
देवलीना ने अपने ग्राहकों के फिंगरप्रिंट लेकर नए सिम कार्ड एक्टिवेट किए. वह लोगों को यह कहकर बरगलाती थी कि उनका वेरिफिकेशन फेल हो गया है और दोबारा फिंगरप्रिंट देना होगा. लेकिन असल में वह इन फिंगरप्रिंट्स का इस्तेमाल करके नए सिम कार्ड अपने पास रख लेती थी और बाद में उन्हें साइबर अपराधियों को बेच देती थी.
विदेशों तक फैला था अपराध का नेटवर्क
कोलकाता पुलिस ने पिछले महीने 2,000 से ज्यादा फर्जी सिम कार्ड जब्त किए थे. देवलीना द्वारा बेचे गए सिम कार्ड्स से 200 से अधिक साइबर अपराध किए गए. इनमें डिजिटल धोखाधड़ी, लोन फ्रॉड और हैकिंग शामिल थे. पुलिस के मुताबिक, इनमें से कुछ अपराध कंबोडिया, थाईलैंड और म्यांमार जैसे देशों से संचालित किए गए थे.
देवलीना पर कौन-कौन सी धाराएं लगीं?
देवलीना और तीन अन्य आरोपियों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66सी और 66डी के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही, भारतीय दंड संहिता की धारा 61 (2), 319 (2), 318 (4), 336 (2), 336 (3), 338, 340 (2) के तहत भी केस दर्ज किया गया है. इस मामले में अब तक 10 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
कैसे हुआ पुलिस को देवलीना के गिरोह का पता?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस गिरोह के सदस्य अलग-अलग लोगों के दस्तावेजों में हेरफेर कर सिम कार्ड बनाते थे और उन्हें ऊंची कीमतों पर बेचते थे. कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) रूपेश कुमार ने बताया कि आरोपी, प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के पीओएस टर्मिनलों का गलत इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने हजारों फर्जी सिम कार्ड एक्टिवेट किए और उन्हें देश-विदेश में साइबर अपराधियों को बेचा.
First Published :
March 10, 2025, 17:14 IST