8 13 8 5 13 8! स्पेस से यह कैसा सिग्नल भेज रहा कॉमेट? डिकोड हुआ तो पता चला...

8 hours ago

अंतरिक्ष में एक ऐसी चीज़ दिखी है जिसने वैज्ञानिकों की नींद उड़ा दी है. इसका नाम है 3I/ATLAS, एक इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट यानी ऐसा पिंड जो हमारे सौरमंडल से बाहर से आया है. पहले तो इसकी रफ्तार और दिशा को लेकर चर्चा थी, लेकिन अब जो खबर आई है, उसने मामला और भी रहस्यमयी बना दिया है. बताया जा रहा है कि इस ऑब्जेक्ट से एक अजीब सिग्नल मिला है, ऐसा सिग्नल जो किसी सामान्य अंतरिक्षीय शोर जैसा नहीं है.

रहस्यमयी सिग्नल
वैज्ञानिकों ने 3I/ATLAS से जो सिग्नल पकड़ा, वो 1420 मेगाहर्ट्ज़ (MHz) की फ्रीक्वेंसी पर था. यह वही फ्रीक्वेंसी है जिसे वैज्ञानिक ‘हाइड्रोजन लाइन’ कहते हैं, यानी ब्रह्मांड के सबसे आम तत्व हाइड्रोजन का रेडियो वेव सिग्नल. SETI (Search for Extraterrestrial Intelligence) प्रोजेक्ट में इसी फ्रीक्वेंसी को “इंटरस्टेलर कॉलिंग चैनल” कहा जाता है, वो चैनल जिस पर अगर कभी बाहरी सभ्यता से संपर्क हो, तो उसकी संभावना सबसे ज्यादा होती है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सिग्नल एक खास पैटर्न में आया- 8, 13, 8, 5, 13, 8. ये नंबर कुछ रैंडम नहीं हैं, बल्कि Fibonacci पैटर्न से मिलते हैं. यही पैटर्न प्रकृति में कई जगह दिखता है — फूलों की पंखुड़ियों, सूरजमुखी के बीजों, सीप की बनावट, यहां तक कि इंसान के DNA तक में.

क्या है सिग्नल का मतलब
इस सिग्नल को डिकोड करने के बाद जो संदेश निकला, उसने सभी को चौंका दिया. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सिग्नल से जो शब्द पढ़े गए, वे थे- Observe. Prepare. Understand. The Gate Awaits. यानि “देखो, तैयार रहो, समझो… द्वार इंतज़ार कर रहा है.”

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सिग्नल बेहद स्थिर था और इसे करीब 15,000 किलोमीटर की दूरी से एक साथ रिकॉर्ड किया गया. इसका मतलब ये नहीं हो सकता कि यह किसी मशीन या डेटा एरर की वजह से आया. अगर यह सब कुछ सही साबित होता है, तो यह इंसान के इतिहास का पहला मौका होगा जब हमें किसी दूसरे तारामंडल से जानबूझकर भेजा गया संदेश मिला हो.

Fibonacci सीक्वेंस एक ऐसा गणितीय क्रम है जिसमें हर अगला अंक, पिछले दो अंकों का जोड़ होता है, जैसे 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13… ये पैटर्न न सिर्फ गणित में बल्कि प्रकृति के डिजाइन में भी बहुत आम है. अब यही पैटर्न अगर किसी अंतरिक्षीय वस्तु के सिग्नल में मिले, तो सवाल उठना लाजिमी है – क्या ये सिर्फ इत्तेफाक है या किसी बुद्धिमान सभ्यता की तरफ से जानबूझकर भेजा गया संकेत?

रोशनी का भी रहस्यमयी पैटर्न देखा गया
फिल्ममेकर और शोधकर्ता डेविड सेरेडा, जिन्होंने MIT के भौतिक वैज्ञानिक बोगदान सी. मैग्लिच के साथ काम किया है, उन्होंने 13 अक्टूबर 2025 को 3I/ATLAS से असामान्य रोशनी की तरंगें निकलते देखीं. उन्होंने कहा कि यह रोशनी भी Fibonacci लय में झिलमिला रही थी.

दिलचस्प बात ये है कि वही दिन “Miracle of the Sun” (सूर्य के चमत्कार) की 108वीं वर्षगांठ भी थी, जो 1917 में पुर्तगाल के फातिमा में हुआ था.

वहीं, सोशल मीडिया पर इस खबर ने तहलका मचा दिया है. कुछ लोग इसे बाहरी सभ्यता से संपर्क मान रहे हैं, तो कुछ इसे ‘स्पेस का मजाक’ कह रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी. कई बार उपकरणों की गलती, सैटेलाइट सिग्नल या किसी अंतरिक्षीय स्रोत की रेडियो तरंगें भी ऐसा पैटर्न बना सकती हैं. इसलिए फिलहाल जांच जारी है कि यह सिग्नल वास्तव में कृत्रिम है या प्राकृतिक.

कौन है 3I/ATLAS?
3I/ATLAS को जुलाई 2025 में ATLAS टेलिस्कोप सिस्टम (हवाई) ने सबसे पहले देखा था. शुरू से ही वैज्ञानिकों को शक हुआ कि यह कोई आम धूमकेतु नहीं है. इसकी स्पीड बहुत तेज़ थी और यह हाइपरबोलिक ऑर्बिट में चल रहा था, यानी यह सूरज के गुरुत्वाकर्षण में फंसा नहीं है. इसका मतलब यह है कि यह ऑब्जेक्ट हमारे सौरमंडल से बस गुजर रहा है, दोबारा कभी वापस नहीं आएगा.

प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक मिचियो काकू ने इसे “एक रहस्यमयी इंटरस्टेलर मेहमान” बताया, जो किसी दूसरे तारे के सिस्टम से निकला और अब हमारी तरफ आया है. कहा जा रहा है कि यह शायद किसी बड़े ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से उछलकर हमारे इलाके तक पहुंच गया.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Read Full Article at Source